प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट ने कहा कि पार्टी इस उपचुनाव की दो महीने से तैयारी में जुटी है। वहां सांगठनिक दृष्टि से पहले ही शक्ति केंद्र और बूथ स्तर पर बैठकें मुख्यमंत्री धामी के कार्यक्रम और प्रदेश पदाधिकारियों के प्रवास संपन्न हो गए हैं।
प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया के तहत विधानसभा चुनाव प्रबंधन टोली ने संभावित दावेदारों के नामों पर चर्चा कर इन्हें प्रदेश पार्लियामेंट बोर्ड को सौंपा।बागेश्वर विधानसभा सीट के उपचुनाव के लिए भाजपा ने तीन नामों का पैनल तैयार कर लिया है, जिसे केंद्रीय पार्लियामेंट्री बोर्ड को भेजा जा रहा है। गुरुवार रात्रि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट की उपस्थिति में हुई बैठक में पैनल के नामों पर मुहर लगी। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भट्ट ने कहा कि पार्टी प्रत्याशी चंपावत उपचुनाव की तर्ज पर बागेश्वर में भी रिकार्ड मतों से जीत दर्ज करेगा।
बागेश्वर विधानसभा सीट कैबिनेट मंत्री रहे चंदन राम दास के निधन के कारण रिक्त हुई है। गुरुवार रात्रि बीजापुर अतिथि गृह और फिर मुख्यमंत्री आवास में हुई प्रदेश पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक में सर्वसम्मति से तीन नामों का पैनल तैयार किया गया।बैठक में पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा, प्रदेश महामंत्री संगठन अजेय कुमार, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष व विधायक मदन कौशिक, कैबिनेट मंत्री डा धन सिंह रावत, महिला मोर्चा प्रदेश अध्यक्ष आशा नौटियाल भी शामिल हुईं। सूत्रों के अनुसार पैनल के लिए कुल पांच नामों पर चर्चा की गई।
BJP- गुरुवार को स्टेट पार्लियामेंट्री बोर्ड की बैठक में चंदन राम दास की पत्नी पार्वती दास व पुत्र गौरव कुमार दास सहित पांच नामों पर हुई चर्चा हुईं।
अगले माह 5 सितंबर को उत्तराखंड की बागेश्वर विधानसभा क्षेत्र में उपचुनाव की तारीख तय होने के साथ ही जनपद में आचार संहिता भी प्रभावी हो गई है। इस सीट पर 1,18,225 मतदाता अपने भावी विधायक का चयन करेंगे। यह सीट विधायक एवं कैबिनेट मंत्री चंदन राम दास के आकस्मिक निधन होने के कारण रिक्त हो गई थी। अब अगले वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव से पूर्व प्रदेशवासियों को प्रमुख राजनैतिक दल (BJP) भाजपा-कांग्रेस के बीच बागेश्वर में चुनावी संग्राम देखने को मिलेगा।
बताते चलें कि गत 8 अगस्त को भारत निर्वाचन आयोग ने उपचुनाव की रिक्त सीटों के लिए चुनाव तिथि निर्धारित कर दी है। इसके बाद प्रदेश की एकमात्र रिक्त सीट के लिए बागेश्वर में प्रदेश की दोनों प्रमुख राजनैतिक पार्टियों ने कमर कस दी है। अब चुनाव संपन्न होने तक दोनों दलों का पूरा फोकस इसी सीट पर बना रहेगा।
चंदन राम दास की पत्नी पार्वती दास व पुत्र गौरव कुमार दास सहित पांच नामों पर हुई चर्चा
पिछले रिकॉर्ड को देखते हुए माना जा रहा है कि इस बार भी उपचुनाव में इस सीट पर भारतीय जनता पार्टी(BJP) के पूर्व विधायक स्व. चंदन राम दास के किसी परिजन को ही चुनाव मैदान में उतारकर फिर से इतिहास दोहरा सकती है।
पूर्व मंत्री चंदन रामदास की पत्नी पार्वती दास
इस संबंध में गुरुवार को भाजपा(BJP) की स्टेट पार्लियामेंट्री बोर्ड की महत्वपूर्ण बैठक हुई, जिसमें प्रदेश अध्यक्ष महेंद्र भट्ट की अध्यक्षता में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, संगठन महामंत्री अजय कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत पूर्व प्रदेश अध्यक्ष एवं विधायक मदन कौशिक सहित वरिष्ठ नेता शामिल हुए।
बताया गया कि उम्मीदवारों के नाम के पैनल में पूर्व विधायक चंदन राम दास की पत्नी पार्वती दास व पुत्र गौरव दास सहित पांच नामों को केंद्रीय पार्लियामेंट्री बोर्ड को भेजे जाएंगे।
बता दें कि स्व. दास के बड़े पुत्र गौरव कुमार दास पूर्व से ही क्षेत्र के सामाजिक कार्यों में काफी सक्रिय रहते हैं। ऐसे में राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि उनके नाम पर मुहर लग सकती है। हालांकि यदि पार्टी स्वर्गीय चंदन रामदास की पत्नी को इस उपचुनाव में प्रत्याशी बनाती है तो इसमें भी कोई आश्चर्य नहीं किया जा सकता है।
कांग्रेस अभी असमंजस की स्थिति में
वहीं दूसरी ओर कांग्रेस उग्र रूप अख्तियार करते हुए प्रदेश के कई ज्वलंत मुद्दों को जनता के सामने पेश कर भाजपा को पटखनी देने की तैयारी कर रही है। हालांकि उपचुनाव में प्रत्याशी के नाम को लेकर पार्टी अभी असमंजस की स्थिति में है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं के अनुसार बागेश्वर उपचुनाव में पार्टी पूरी ताकत के साथ मैदान में उतरेगी और भाजपा सरकार की नाकामियों को जनता के सामने उजागर करेगी। इसको लेकर पार्टी ने तैयारी कर दी है। हालांकि चुनावी सरगर्मियों के बीच कांग्रेस व भाजपा में से किसी भी दल ने प्रत्याशी को लेकर फिलहाल अपना पत्ता नहीं खोला है।
बागेश्वर उपचुनाव में पूर्व की तरह भाजपा पीएम मोदी के नाम पर ही वोट मांगती नजर आएगी, वहीं इसके उलट विभिन्न धड़ों में बंटी कांग्रेस की पहली परीक्षा इस उपचुनाव में एकजुटता दिखाने की होगी। यदि पार्टी क्षत्रप इस परीक्षा में पास हो भी जाते हैं तो दूसरी परीक्षा के रूप में उन्हें जनता के समक्ष ऐसे मुद्दों को लेकर जाना होगा, जिन पर आम जन विश्वास कर सके।
बहरहाल, अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव से पूर्व बागेश्वर उपचुनाव की यह जंग काफी दिलचस्प होने जा रही है। इसके बाद नगर निकाय चुनाव भी आसन्न खड़े हैं और इसके लिए भी दोनों ही दलों को काफी मशक्कत करनी पड़ेगी।
अब देखना यह होगा कि बागेश्वर उपचुनाव का किला (BJP) भाजपा-कांग्रेस में कौन फतह कर पाता है!
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