मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की अध्यक्षता में आज सचिवालय स्थित विश्वकर्मा भवन के सभागार में मंत्रिमंडल की बैठक संपन्न हो गई है। लोकसभा चुनाव से पहले कैबिनेट की इस अहम बैठक मे महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी दी गई है।
10 प्रस्तावों पर मुहर
अटल आयुष्मान योजना में डायलईसिस सेंटरो में अब 100 प्रतिशत प्रतिपूर्ति होगी।
कौशल विकास विभाग में work फाॅर्स प्रोजेक्ट स्वीकृत हुआ हुआ अब 630 करोड़ रूपए का ये प्रोजेक्ट स्वीकृत हुआ, ये कई आईटीआई बनाते है।
लखवाड़ परियोजना में पुनर्नस्थापना मामले में भी हुई स्वीकृति।
महत्वपूर्ण निर्णय हुआ है कि उड़ान योजना के अंतर्गत समूह ख के अलावा समूह ग के अधिकारियो को इस योजना के तहत घूमने की प्राथमिकता।
शहरी विकास विभाग के तहत गढ़ी नेगी काशीपुर को नगर पंचायत का दर्जा।
उच्च शिक्षा में PHD के बच्चो को अब 100 शोधार्थियों को 5 हजार रुपये महीना छात्रवृत्ति दी जाएगी
शिक्षा विभाग के अनुसार शिक्षक भर्ती के लिए B,ED की डिग्री मान्य नहीं होगी प्राथमिक शिक्षक के लिए BElEd होगा अनिवार्य।
हेली दर्शन कार्यक्रम शुरू होगा कैलाश ॐ पर्वत के लिए शुरू होगी योजना 4 night 5 डे का पैकेज 6 माह के लिए।
इन्वेस्टर समिट के तहत हर्रा वाला और हरिद्वार में अस्पताल।
देखिये – कैबिनेट के फैसले— मुख्य बिंदु
अटल आयुष्मान योजना के तहत सरकारी अस्पतालों में डायलसिस सेंटर पर 100% प्रतिपूर्ति सरकार देगी।
वर्ल्ड बैंक के सहयोग से 630 करोड़ का होगा वर्कफोर्स डिवेलपमेंट प्रोजेक्ट। कैबिनेट की मंजूरी। पहले 450 करोड़ था।
आईटीआई समेत तमाम काम होने से लखवाड़ परियोजना के तहत विस्थापन नीति को मंजूरी।
उत्तराखंड सेवा क्षेत्र नीति के प्रख्यापन को मंजूरी। यू्आईडीबी संचालित करेगा। 2030 तक कि नीति है। निवेश की न्यूनतम सीमा अलग अलग रखी गई है। सब्सिडी की सीमा कुल निवेश का 25% या 100 करोड़ होगी।
राजकीय होटल मैनेजमेंट संस्थान देहरादून और अल्मोड़ा की सेवा नियमावली को मंजूरी।
गढ़ी नेगी क्षेत्र काशीपुर को नगर पंचायत बनाया।
100 छात्रों को 5000 प्रति माह, जो पीएचडी कर रहे हों, कहीं और से कोई स्कॉलरशिप न मिल रही हो।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के तहत प्राथमिक शिक्षक भर्ती में बीएड की अनिवार्यता खत्म।
पिथौरागढ़ के आदि कैलाश, ओम पर्वत का 5 दिवसीय हेली दर्शन होगा। छह माह के लिए ट्रायल होगा। पैकेज टूर होगा। पर्यटन विभाग के इस प्रस्ताव पर मुहर।
कैंसर हॉस्पिटल हर्रावाला और मातृ हॉस्पिटल पीपीपी मोड में चलेगा।
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उत्तराखंड सरकार ने बी एड बेरोजगारों के साथ बहुत बड़ा धोखा किया है। हम जानते हैं कि NCTE के अनुसार B.ED प्रशिक्षित Primary School Teacher के लिए पात्र नहीं है, लेकिन हमारे उत्तराखंड राज्य की भौगोलिक स्थिति एवं यहां पर D El Ed प्रशिक्षित बहुत कम मात्रा में ही प्रशिक्षित हो रहे हैं और वर्तमान में उत्तराखंड Primary School में शिक्षकों के हजारों पद रिक्त हैं तथा इस स्थिति में बी एड प्रशिक्षित बेरोजगारों को Primary School Teacher के लिए अपात्र घोषित नहीं किया जा सकता है। क्योंकि शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है और इसमें राज्य सरकार अपने भौगोलिक स्थिति एवं हिमालयी राज्य के अनुसार इसमें संशोधन करके बी एड बेरोजगारों को भी Primary School Teacher के लिए पात्र कर सकती है लेकिन उत्तराखंड के राजनेताओं को इससे कोई भी फ़र्क नहीं पड़ता है क्योंकि उनके बच्चे तो विदेशों में शिक्षा ले रहे हैं और बड़ी कम्पनियों के मालिक हैं। मरना तो पहाड़ के गरीब लोगों के बच्चों का हैं। बेरोजगारों की हाय लगती है।
भगवान के देर हैं पर अंधेर नहीं।
हम बी एड प्रशिक्षित भले आज खून के आंसू रो रहे हैं लेकिन एक दिन जिन लोगों ने इस तरह की नीति उत्तराखंड में बनाई एक उनके बच्चे भी खून के आंसू रोयेंगे।
उत्तराखंड सरकार ने बी एड बेरोजगारों के साथ बहुत बड़ा धोखा किया है। हम जानते हैं कि NCTE के अनुसार B.ED प्रशिक्षित Primary School Teacher के लिए पात्र नहीं है, लेकिन हमारे उत्तराखंड राज्य की भौगोलिक स्थिति एवं यहां पर D El Ed प्रशिक्षित बहुत कम मात्रा में ही प्रशिक्षित हो रहे हैं और वर्तमान में उत्तराखंड Primary School में शिक्षकों के हजारों पद रिक्त हैं तथा इस स्थिति में बी एड प्रशिक्षित बेरोजगारों को Primary School Teacher के लिए अपात्र घोषित नहीं किया जा सकता है। क्योंकि शिक्षा समवर्ती सूची का विषय है और इसमें राज्य सरकार अपने भौगोलिक स्थिति एवं हिमालयी राज्य के अनुसार इसमें संशोधन करके बी एड बेरोजगारों को भी Primary School Teacher के लिए पात्र कर सकती है लेकिन उत्तराखंड के राजनेताओं को इससे कोई भी फ़र्क नहीं पड़ता है क्योंकि उनके बच्चे तो विदेशों में शिक्षा ले रहे हैं और बड़ी कम्पनियों के मालिक हैं। मरना तो पहाड़ के गरीब लोगों के बच्चों का हैं। बेरोजगारों की हाय लगती है।
भगवान के देर हैं पर अंधेर नहीं।
हम बी एड प्रशिक्षित भले आज खून के आंसू रो रहे हैं लेकिन एक दिन जिन लोगों ने इस तरह की नीति उत्तराखंड में बनाई एक उनके बच्चे भी खून के आंसू रोयेंगे।