भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट में अहम सुनवाई से एक दिन पहले पतंजलि के खिलाफ एक और बड़ी कार्रवाई हुई है। उत्तराखंड स्टेट लाइसेंसिंग अथॉरिटी ने सुप्रीम कोर्ट बताया है कि पतंजलि आयुर्वेद के 14 प्रोडक्ट/दवाओं पर बैन लगा दिया गया है. लाइसेंस अथॉरिटी ने अपने हलफनामे में ये भी कहा है कि पतंजलि आयुर्वेद को समय-समय पर नोटिस भी जारी किया गया था।
अब 30 अप्रैल को सुप्रीम कोर्ट इस मामले की फिर से सुनवाई करेगा, जहां पतंजलि के को-फाउंडर रामदेव और मैनेजिंग डायरेक्टर बालकृष्ण भी मौजूद होंगे।
उत्तराखंड लाइसेंस अथॉरिटी ने ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1945 की धारा 159 (1) के तहत दिव्य फार्मेसी के 14 प्रोडक्ट को बैन किया गया है. दिव्य फार्मेसी पतंजलि के मालिकाना वाली कंपनी है. जिन प्रोडक्ट या दवाइयों को बैन किया गया है, उनमें श्वासारि गोल्ड, श्वासारि वटी, ब्रोंकोम, श्वासारि प्रवाही, श्वासारि अवलेह, मुक्ता वटी एक्स्ट्रा पावर, लिपिडोम, बीपी ग्रिट, मधुग्रिट, मधुनाशिनी वटी एक्स्ट्रा पावर, लिवामृत एडवांस, लिवोग्रिट, आईग्रिट गोल्ड, पतंजलि दृष्टि आई ड्रॉप शामिल हैं।
30 अप्रैल को भ्रामक विज्ञापन मामले में पतंजलि के माफीनामे को लेकर सुनवाई होनी है. बीती 23 अप्रैल को सुनवाई के दौरान रामदेव और बालकृष्ण ने बताया था कि उन्होंने अखबारों में माफीनामा छपवाया है. पतंजलि की तरफ से सीनियर वकील मुकुल रोहतगी ने बताया था कि 67 अखबारों में माफीनामा छपवाया गया था. इससे एक दिन पहले माफीनामे के साइज को लेकर भी सुप्रीम कोर्ट ने कंपनी को फटकार लगाई थी।
इस साल 27 फरवरी को कोर्ट ने पतंजलि के स्वास्थ्य से जुड़े विज्ञापनों पर पूरी तरह रोक लगाने का आदेश दिया था. शीर्ष अदालत ने केंद्र सरकार से भी पूछा था कि कंपनी के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं की जाए. कोर्ट ने साफ कहा था कि पतंजलि अपने विज्ञापनों से पूरे देश को गुमराह कर रहा है. इसके बाद रामदेव और बालकृष्ण ने कोर्ट से बिना शर्त माफी मांगी।
सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड स्टेट लाइसेंसिंग अथॉरिटी से भी जवाब मांगा था कि भ्रामक विज्ञापनों की जानकारी मिलने पर पतंजलि के खिलाफ क्या एक्शन लिए गए थे. कोर्ट ने कहा था कि अथॉरिटी ने फाइल आगे बढ़ाने के अलावा और कुछ नहीं किया।
अब जिन दवाओं के खिलाफ एक्शन लिया गया, उनमें से मधुग्रिट, आईग्रिट गोल्ड, लिपिडोम, बीपी ग्रिट जैसी दवाओं को नवंबर 2022 में भी बैन किया गया था. हालांकि एक हफ्ते के भीतर ही लाइसेंस अथॉरिटी ने बैन को वापस ले लिया था. अथॉरिटी ने कहा था कि दवाओं के निर्माण कार्य में ‘गलती’ से रोक लगाई गई थी. नए आदेश में कहा गया कि दिव्य फार्मेसी पहले की तरह दवा निर्माण जारी रख सकती है।
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