*हालात कुछ भी हो फिर भी बधाई, अंतरराष्ट्रीय स्वतन्त्रता दिवस पर*
वर्ष 1991 में यूनेस्को और संयुक्त राष्ट्र के ‘जन सूचना विभाग’ ने मिलकर इसे मनाने का निर्णय किया था।’संयुक्त राष्ट्र महासभा’ ने भी ‘3 मई’ को ‘अंतर्राष्ट्रीय पत्रकारिता स्वतंत्रता दिवस’ की घोषणा की थी। यूनेस्को महासम्मेलन के 26वें सत्र में 1993 में इससे संबंधित प्रस्ताव को स्वीकार किया गया था। इस दिन के मनाने का उद्देश्य प्रेस की स्वतंत्रता के विभिन्न प्रकार के उल्लघंनों की गंभीरता के बारे में जानकारी देना है।लेकिन उत्तराखंड पुलिस बिना किसी जांच के पत्रकारों पर मुकदमे ठोकने में कोई कोर कसर नही छोड़ रही।जिससे ऐसा प्रतीत होता है, की कही न कही खाकी को खादी से इशारे मिल रहे है।आखिर क्या वजह है, जब पुलिस के अधिकारी खुले आम राजधानी में अपने साहबान की गाड़ी से रॉबरी करते है, जिसके सबूत सार्वजनिक भी हो जाते है, उसके बावजूद मित्र पुलिस पहले जांच करती है, फिर मुकदमा कायम कर मजबूरन गिरफ्तारी करती है।लेकिन इसी नकली राजधानी में जब मेडिकल माफिया का डरावना चेहरा दिखाने का साहस किया जाता है तो उचे रसूख रखने वालों के एक इशारे भर से पत्रकार पर मुकदमा ठोक दिया जाता है।क्या खाकी या ऊँची पहुच वालो को लगता है वो अपनी करतूतों से हमे खौफजदा भी कर पाएंगे, नही चांदी का जूता इस्तेमाल करने वाले फिर एक बार शर्मिंदा होंगे, इतना मुझे पुख्ता यकीन है।खैर इन हालातों में भी अंतरराष्ट्रीय पत्रकारिता स्वतंत्रता दिवस पर श्रमजीवी पत्रकार यूनियन आप सब को बधाई देता है।
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