लो कर लो बात, इंसानी अस्पताल, जिम्मेदारी जानवरो के डॉक्टर पर।
ऊधम सिंह नगर जनपद (GKM news,विकास कुमार ) के पंतनगर में स्वास्थ्य विभाग की टीम ने जब निरीक्षण किया तो पंतनगर विश्वविद्यालय यूनिवर्सिटी के अस्पताल में काफी खामियां मिली इसके बाद चिकित्सा विभाग ने अस्पताल प्रबंधन को नोटिस दिया है निरीक्षण के दौरान स्वास्थ्य विभाग की टीम को मिला की अस्पताल में x-ray मशीन नहीं थी जो भी मरीज अस्पताल में आता था उसको एक्स-रे कराने के लिए जानवरों के अस्पताल में ले जाया जाता था और वहां उसका एक्सरा किया जाता था इसके साथ ही अस्पताल प्रभारी भी जानवरों के अस्पताल के हैं।
वीओ- जी हां.. सही सुना आपने पंतनगर के गोविंद वल्लभ पंत विश्वविद्यालय में एक हॉस्पिटल बिना पंजीकरण के ही चल रहा है। इतना ही नहीं इस अस्पताल की कमान पिछले पांच साल से एक पशु चिकित्सक के पास है। अस्पताल में मरीजों और पशुओं का एक्सरे एक ही अस्पताल में हाेता है। एेसे में मरीजों में संक्रामक बीमारियों के फैलने का खतरा बना हुआ है। इसका खुलासा तब हुआ जब स्वास्थ्य विभाग की टीम ने अस्पताल का निरीक्षण किया तो असलियत सामने आई। टीम ने चिकित्सालय को तीन दिन में प्रमाण पत्रों के साथ सीएमओ दफ्तर में उपस्थित होने को नोटिस थमा दिया।
पंतनगर वासियों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए 70 के दशक में स्थापित हुआ 50 बेड का अस्पताल तकनीकी (पैरामेडिकल) स्टाफ के अभाव में मात्र औपचारिक रेफर सेंटर बन गया है। ऊधम सिंह नगर के जिला नोडल अधिकारी डॉ. अविनाश खन्ना ने चिकित्सालय का औचक निरीक्षण किया। जांच में पता चला कि 70 के दशक में शुरू हुए अस्पताल का अस्थाई पंजीकरण वर्ष 14 मई 2015 में खत्म हो चुना है जिसका नवीनीकरण नही कराया गया जबकि विभाग द्वारा कई बार नोटिस देकर अस्पताल के रजिस्ट्रेशन को नवीनीकरण कराने को कहा था। साथ ही बायोमेडिकल वेस्ट का भी कोई प्रबंध चिकित्सालय प्रशासन की ओर से नहीं कराया गया है। बायो वेस्टेज को अस्पताल परिषर में खुले में ही रखकर जलाया जाता था। इसके अलावा फायर उपकरणों का अभाव तो था ही, अस्पताल प्रशासन द्वारा फायर व प्रदूषण विभाग से अनापत्ति प्रमाण पत्र भी नहीं लिया गया था। यहां कार्डियक एंबुलेंस सहित वेंटीलेटर जैसे महंगे उपकरण तो मौजूद हैं, लेकिन इन्हें संचालित करने वाले किसी तकनीकी स्टाफ की नियुक्ति नहीं की गई है। पैथोलॉजी लैब सहित अल्ट्रासाउंड मशीन खुली पड़ी मिली। और लैब से मिली रिपोर्ट को बिना किसी के हस्ताक्षर के ही दे दिया जाता है। पंतनगर विश्विद्यालय में स्थापित अस्पताल से काफी दूरी पर स्थापित जानवरो के अस्पताल में मरीजों और पशुओं का एक ही कक्ष में एक्सरे किया जाता है। टीम ने बताया कि यह बिल्कुल गलत है, इससे मरीजों में संक्रमण तथा पशुओं द्वारा फैलने वाली स्वाइन फ्लू जैसी बीमारियां होने का खतरा बना रहता है। अब इसे दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि विवि चिकित्सालय में पांच पूर्णकालिक एमबीबीएस डॉक्टरों के होते हुए भी इसकी कमान डॉ. एनएस जादौन (एक पशु चिकित्सक) को सौंपी गई है। करीब पांच साल से चिकित्सालय प्रभारी के पद पर जमे डॉ. जादौन को एक माह पूर्व हटाकर डॉ. दुर्गेश यादव को प्रभारी बनाया गया था। मात्र एक माह बाद ही पुन: डॉ. जादौन को पुन: प्रभारी बना दिया गया। ऊधम सिंह नगर के प्रभारी सीएमओ उदय शंकर ने बताया कि चिकित्सालय पंजीकृत नहीं है। तीन दिन में समस्त प्रपत्रों सहित मुख्य चिकित्साधिकारी कार्यालय पहुंचने का नोटिस दिया गया है। अल्ट्रासाउंड मशीन के पीसीपीएनडीटी में पंजीकृत न होने पर विधिक कार्यवाई की जाएगी।
बाइट- उदय शंकर — प्रभारी सीएमओ, ऊधमसिंहनगर
वीओ-2- वही पंतनगर विश्विद्यालय के पशु चिकित्सक डॉ. एनएस जादौन ने बताया कि पशु चिकित्सालय में तीन एक्सरे मशीन लगाई गई है जिसमे एक बड़ी मशीन है जो बड़े जानवरो का एक्सरे में काम आती है तो वही दो छोटी एक्सरे मशीने लगी है जिसमे एक से छोटे जानवरो तो वही दूसरी छोटी मशीन से मनुष्यों का एक्सरे किया जाता है। और वो पशु चिकित्सक है उन्हें पंतनगर अस्पताल का प्रभारी बनाया गया है लेकिन वो मानवों का इलाज नही करते वो सिर्फ अस्पताल में मोनिटरिंग करते है।
बाइट- डॉ. एनएस जादौन — अस्पताल प्रभारी, पंतनगर विवि
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