बेबस हुए मजदूर, ना खाने को राशन और ना जाने को कोई साधन, जिम्मेदार वन निगम का सिर्फ कागजों पर राहत, धरातल पर कार्य जीरो सफाचट, ग्राउंड जीरो से स्पेशल रिपोर्ट।

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हल्द्वानी {GKM news } कुमाऊँ की लाइफ लाइन कही जाने वाली गौला नदी का सीना चीरकर सरकार को करोड़ो रूपये का राजस्व देने वाले गौला खनन के मजदूर आज लॉक डाउन की स्थिति में भुखमरी के कगार पर आ गए हैं वही वह अपने घर भी जाने को तैयार है लेकिन वो प्रशासन की बाट जोहने में लगे हैं, लेकिन प्रशासन उनकी सुध नही ले रहा है देखिये हमारी इस रिपोर्ट में

वीओ 1- ये है कुमाऊँ की लाइफ लाइन कही जाने वाली गौला नदी और उसमें खनन करने वाले हजारों की संख्या में वो मजदूर है   जो कि दिन रात अपना खून और पसीना एक कर  गौला नदी से खनिज निकलाते हैं ताकि सरकार को करोड़ो का राजस्व मिल सके लेकिन आज कोरोना वायरस  के चलते देश मे हुए लॉक डाउन का सीधा असर इन मजदूरों के ऊपर पड़ा है, आप देख सकते हैं कि किस तरह से ये लोग अपनी झोपड़ी में रहते हैं और इनके घरों में चूल्हा जरूरी है लेकिन उसमें खाना नही बन पा रहा है, बच्चों को भी बूख लग रही है लेकिन वो कुछ नही कर पा रहे हैं, साथ ही वो अपने घर अलीगढ़, हाथरस, जैसे तमाम जगह जाने को तैयार है लेकिन प्रशासन या वन निगम के अधिकारियों इनकी कोई सुध नही ली है, बुजुर्ग मजदूर ऐसे भी है जिनकी आँखों मे आँसू तक आ रहे हैं लेकिन इन आँसू से इनके परिवार का पेट नही भरने वाला है जरूरत है इनको सरकारी मदद का, लेकिन जब तक सरकारी मदद आएगी तब तक कही देर ना हो जाय।

बाइट – महिला गौला मजदूर।

बाइट -बुजर्ग गौला मजदूर।

वीओ 2 – वही गौला नदी में खनन करवाने वाली सरकारी एजेंसी वन निगम है जो कि इन मजदूरों की मदद करने का दावा कर रहा है, वन निगम के आला अधिकारियों का कहना है कि कल चोरगलिया क्षेत्र में रहने वाले 700 से अधिक खनन के मजदूरों को उनके और प्रशासन द्वारा उनके घरों को भेजा गया है , वही उनके खाने के लिए राशन की व्यवस्था कर गई है और जल्द इन मजदूरों को उनके घरों तक भेजने की व्यवस्था की जाएगी।

बाइट – आरएम वन निगम।

फाइनल वीओ – उत्तराखंड सरकार ने लॉक डाउन का फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लॉक डाउन के फैसले से पहले कर लिया था लेकिन गौला में काम करने वाले हजारों की संख्या में मजदूरों की खाने। पीने की व्यवस्था नही कर सके जबकि सरकार ने कोरोना वायरस से निपटने के लिये हर जिले को करोड़ों रुपये का फंड आवंटित किया है लेकिन जब इन मजदूरों को इसका लाभ नही मिल पा रहा है तो ऐसी सरकारी सुविधा का आखिर क्या फायदा।

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