कांवड़ यात्रा पर सियासत शुरू,नकली मावा-आटा पर चुप्पी क्यों_पूर्व सीएम ने लगाए गंभीर आरोप

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फूड सेफ्टी केवल कांवड़ यात्रा में क्यों, चारधाम यात्रा में नहीं? पंचायत चुनाव में जीत के लिए एजेंडा बना रही है सरकार: हरीश रावत का बड़ा हमला

उत्तराखंड के पूर्व मुख्यमंत्री और वरिष्ठ कांग्रेस नेता हरीश रावत ने प्रदेश की धामी सरकार पर तीखा हमला बोला है। रावत ने सरकार द्वारा जारी फूड सेफ्टी संबंधित आदेशों को लेकर सवाल खड़े करते हुए पूछा है कि क्या खाद्य सुरक्षा (Food Safety)केवल कांवड़ यात्रा तक ही सीमित रहेगी या फिर चारधाम यात्रा के दौरान भी ऐसी ही सख्ती बरती जाएगी?

हरीश रावत ने कहा कि पिछले साल भी इसी तरह का आदेश कांवड़ यात्रा के दौरान जारी किया गया था, जिस पर हाईकोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई थी। अब एक बार फिर से वही प्रक्रिया दोहराई जा रही है, जो यह दर्शाता है कि सरकार ने अदालत की टिप्पणी से कोई सीख नहीं ली है। रावत ने यह भी दावा किया कि इस तरह के आदेश पंचायत चुनाव के दौरान माहौल बनाने के लिए दिए जा रहे हैं ताकि धार्मिक ध्रुवीकरण किया जा सके।

पूर्व मुख्यमंत्री ने प्रदेश की राजधानी देहरादून में नकली खाद्य पदार्थों की बिक्री को लेकर भी सरकार पर सवाल खड़े किए। उन्होंने कहा, *“देहरादून में सबसे अधिक नकली मावा और सबसे नकली आटा बिक रहा है, लेकिन सरकार इसकी कोई चिंता नहीं कर रही। आम जनता की सेहत के साथ खिलवाड़ हो रहा है।” रावत का कहना है कि यदि वास्तव में फूड सेफ्टी को लेकर सरकार गंभीर होती तो पूरे राज्य में समान रूप से नियम लागू करती, न कि केवल एक धार्मिक यात्रा तक।

हरीश रावत ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के “थूक जिहाद” वाले बयान पर भी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा, *“सीएम धामी को पता होना चाहिए कि थूक जिहाद जैसा कुछ नहीं होता। ऐसे कृत्य मानसिक विकृति के लक्षण होते हैं, और ऐसे लोगों का कोई धर्म नहीं होता। उन्हें इलाज की जरूरत होती है।” उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि दिल्ली में एक हिंदू महिला मूत्र में आटा गूंधकर खाना बना रही थी, तो फिर वह कौन-सा “जिहाद” था?

हरीश रावत ने आरोप लगाया कि सरकार केवल कांवड़ यात्रा पर फोकस करके एक विशेष समुदाय को लक्षित कर रही है, जबकि चारधाम यात्रा, जो कि राज्य की प्रमुख धार्मिक यात्रा है, उसके लिए इस तरह के फूड सेफ्टी आदेश नहीं दिए जाते। उन्होंने सवाल किया कि क्या सरकार को केवल एक समुदाय की आस्था की चिंता है?

रावत ने आगे कहा कि यह सब पंचायत चुनावों के मद्देनजर राजनीतिक लाभ के लिए किया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा कि धार्मिक मुद्दों को उछालकर सरकार ध्रुवीकरण की राजनीति कर रही है, ताकि मतदाताओं को भ्रमित किया जा सके।

हरीश रावत के इस बयान से स्पष्ट है कि उत्तराखंड की राजनीति में धार्मिक यात्राओं और खाद्य सुरक्षा को लेकर एक नया राजनीतिक विवाद खड़ा हो गया है। एक ओर सरकार कांवड़ यात्रा में फूड सेफ्टी को लेकर सजग दिख रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्ष इसे चुनावी स्टंट करार दे रहा है। अब देखना यह होगा कि सरकार इस पर क्या प्रतिक्रिया देती है और क्या चारधाम यात्रा के लिए भी समान नियम बनाए जाते हैं।

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