उत्तराखंड : मेयर पालिकाध्यक्षों को मिला अधिकार, शासनादेश निरस्त_पूर्व की व्यवस्था बहाल


उत्तराखण्ड शासन द्वारा नगर निकायों की अधिप्राप्ति व्यवस्था में संशोधन संबंधी आदेश निरस्त
देहरादून — उत्तराखण्ड शासन के शहरी विकास विभाग ने स्थानीय नगर निकायों की अधिप्राप्ति व्यवस्था (Procurement System) से संबंधित एक महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए दिनांक 02 मई, 2025 को निर्गत शासनादेश संख्या 294136/IV(1)2014/02(25)/2013 T.C को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया है। यह आदेश नगर निकायों की अवस्थापना एवं सेवा परियोजनाओं हेतु सामग्री क्रय, निर्माण कार्य, सेवाओं की अधिप्राप्ति एवं लोक-निजी सहभागिता (PPP) के तहत की जाने वाली निविदाओं व अनुबंधों के परीक्षण एवं संस्तुति के लिए गठित समितियों के गठन संबंधी पूर्ववर्ती आदेश में संशोधन करता था।
अब शासन ने स्पष्ट किया है कि उक्त दिनांक 02 मई, 2025 को जारी संशोधित आदेश को निरस्त करते हुए, पूर्व में निर्गत शासनादेश संख्या 912/IV(1)2014/02(25)/2013 T.C दिनांक 29 अगस्त 2014 को यथावत लागू रखने का निर्णय लिया गया है।
निकायों की टेंडर कर्मियों से अध्यक्षों को बाहर किये जाने के लिए 2 मई को जारी किये गये शासनादेश को शहरी विकास अनुभाग ने मुख्यमंत्री के आदेश के बाद निरस्त कर नया शासनादेश जारी कर दिया है।
अब पूर्व की तरह टेंडर कमेटियों में निकायों के अध्यक्ष शामिल रहेंगे। बता दें 2 मई को जारी शासनादेश में शहरी विकास विभाग ने निकायों की टेंडर कमेटी से मेयर और अध्यक्षों को बाहर करने का आदेश दिया था।


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