उत्तराखंड के डी.जी.पी.अशोक कुमार ने कहा कि हाल हवाल में महिलाओं के साथ छेड़छाड़ करने वाले पुलिस कर्मियों को सजा दी जा रही है, जबकि ड्यूटी के दौरान स्ट्रैस में आए जवानों की काउंसिलिंग विभाग द्वारा की जा रही है। मनोचिकित्सक भी इस तरह की हरकत को मनोग्रस्तता बताते हैं और इसे स्ट्रैस से अलग रखते हैं। हालांकि वो बताते हैं कि इस बीमारी का भी इलाज हैं।
नैनीताल जिले में बीती 23-24 नवंबर को बी.एस.सी.की छात्रा से बस में छेड़छाड़ के एक मामले में पुलिस कर्मी पर ही आरोप लगा था। इसके अलावा पी.ए.सी.जवान पर भी बैंककर्मी के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगा था। इसके अलावा पिथौरागढ़ जिले के कनालीछीना में बीती 24 नवंबर की रात एक आयोजन के दौरान नशे में धुत सिपाही ने महिला से छेड़छाड़ कर दी। इस घटना का वीडियो बन गया जो जोरों से वायरल हो गया। पुलिस ने आनन फानन में जवान को निलंबित कर दिया।
प्रदेश में पुलिस जवानों के इस बदले व्यवहार पर सूबे के डी.जी.पी.अशोक कुमार से पूछा गया। उन्होंने बताया कि सभी आरोपी पुलिस कर्मियों को निलंबित कर दिया गया है। उन्होंने कहा कि पुलिस फोर्स के जवानों की ऐसी कोई भी हरकत बर्दाश्त नहीं कि जाएगी। पुलिस फोर्स की भारी कमी के कारण जवानों से ओवर ड्यूटी लिए जाने के कारण हुई ऐसी घटना के सवाल पर उन्होंने इसे सिरे से नकार दिया और कहा कि ये एक बहाना है जिसे किसी भी हालत में स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि जो जवान स्ट्रैस में है विभाग उसकी काउंसलिंग कराकर परेशानी का निवारण कर रहा है।
बी.डी.पाण्डे के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ.गिरीश पाण्डे ने बताया कि इस तरह की हरकत को मनोग्रस्तता ‘ओबशेषन’ कहा जाता है। इसका स्ट्रैस और ओवर ड्यूटी से कोई लेना देना नहीं है। स्ट्रैस में रहने वाला व्यक्ति काम से दूर या छुट्टी लेकर जा सकता है, लेकिन वो ऐसी हरकत नहीं करेगा। ये केवल मनोग्रस्तता है जिसमें कोई व्यक्ति केवल एक ही चीज को बार बार सोचता रहता है, चाहे वो लड़की से छेड़छाड़ ही क्यों न हो। उन्होंने कहा कि देश की शरहद या देश के अंदर 24 घंटे ड्यूटी करने वाले लोग कभी कभी स्ट्रैस में आ जाते हैं, जिन्हें काउंसलिंग से ठीक किया जा सकता है।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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