माह-ए-रमज़ान : देशभर में आज रमजान मुबारक का चांद नजर आ गया है कल 12 मार्च से पहले रोज होगा।
रमज़ान का पाक महीना शुरू होने जा रहा है। रमजान इस्लामी कलेंडर का नवां महीना है जिसका मुसलमानों के लिए खास महत्व है। इस्लाम धर्म के बुनियाद 5 पिलर है जिसे नबी सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने बताया है वो है तौहीद,नमाज,ज़कात और हज। हर मुसलमान को इन 5 चीजों का पालन करना जरूरी है। तौहीद जिसका मतलब है गवाही देना कि अल्लाह की इबादत करना और उसे मानना मुसलमानों का फर्ज है। दिन में 5 वक्त की नमाज पढ़ना। रमजान में रोजा रखना और ज़कात देना मुसलमान के लिए जरूरी है। रमजान का पाक महीना शुरू होने जा रहा है।
हालांकि रमजान कब से शुरू है ये पूरी तरह चांद पर निर्भर करता है। रमजान के महीने में मुस्लिम समुदाय के लोग रोजे रखते हैं। इस्लाम धर्म के मुताबिक रमजान के महीने में रोज़ा रखकर इंसान खुद पर संयम रखता है,अपनी बुरी आदतों को दूर करता है और अल्लाह के बताए गए रास्ते को अपनाता है।
रमजान के पाक महीने में आप भी अल्लाह की इबादत करना चाहते हैं और रोजे के तैयारी में जुटे हैं तो सेहरी और इफ्तार का टाइम जानना भी जरूरी है। सेहरी वो समय है जिससे रोजे की शुरूआत होती है। सेहरी में रोजेदार खाना खाता है और फिर रोजे की नीयत करके अपने रोजे की शुरूआत करता है। समय पर सहरी से निपट जाएं तो आपके रोजे की पहली अरकान पूरी हो जाएगी। वहीं आपको बता दें कि रमजान में खजूर खाकर रोजा खोलने को सुन्नत माना जाता है।
कल यानी 12 मार्च से रमजान के पाक महीने की शुरुआत हो रही है। रमजान का पाक महीना इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार नौवां महीना होता है। इसे माह-ए-रमजान भी कहा जाता है। यह महीना चांद को देखकर निर्धारित किया जाता है। सबसे पहले सऊदी अरब में रमजान का चांद दिखाई देता है। सऊदी अरब में रमजान का चांद 10 मार्च को दिखाई दे चुका है, इसलिए वहां पहला रोजा 11 मार्च को रखा गया। सऊदी अरब के एक दिन बाद भारत और पाकिस्तान में रोजा रखा जाता है। ऐसे में भारत, पाकिस्तान और बांग्लादेश समेत अन्य देशों में 12 मार्च को पहला रोजा रखा जाएगा।
पाक माह-ए-रमजान की मुस्लिम घरों और मस्जिदों में तैयारियां शुरु हो गई हैं. रमजान की रातों में पढ़ी जाने वाली तरावीह की नमाज पढ़ाने वाले हाफिज-ए-कुरआन मुकद्दस कुरआन दोहरा रहे हैं. रमजान में रोजेदार दिन में रोजा रखेंगे और रात में तरावीह की नमाज पढ़ेंगे. इस बार माह-ए-रमजान का पहला रोजा करीब 13 घंटा 18 मिनट का होगा. जो माह-ए-रमजान का सबसे छोटा रोजा होगा. वहीं माह-ए-रमजान का अंतिम रोजा सबसे बड़ा होगा. जो करीब 14 घंटा 07 मिनट का होगा।
12 मार्च को पहला रोजा रखा जाएगा. यानी चांद नजर आने के अगले सुबह से रोजा रखने की शुरुआत हो जाती है. इस साल पहले रोजे की सहरी सुबह 5 बजकर 04 मिनट पर की जाएगी और इफ्तार शाम 06 बजकर 23 मिनट पर होगा. ऐसे में इस साल पहला रोजा 13 घंटे 19 मिनट का होगा. वहीं आखिरी रोजा 14 घंटे 14 मिनट का होगा
रमजान 2024 का टाइम टेबल
रमजान की शुरुआत – पहला रोज़ा | 12 मार्च 2024 |
शब-ए-कद्र | 6 अप्रैल 2024 |
रमज़ान का आख़री रोज़ा | 9 अप्रैल 2024 |
ईद-उल-फितर | 10 अप्रैल 2024 |
रमजान में रोजा का महत्व
रमजान के दौरान मुसलमान रोजा रखते हैं और अल्लाह की इबादत में अधिक से अधिक समय बिताते हैं. इस्लाम के पवित्र कुआन (अल-बकरह-184) में अल्लाह का आदेश है कि ‘व अन तसूमू खयरुल्लकुम इन कुन्तुम तअलमून’. यानी रोजा रखना तुम्हारे लिए अधिक भला है अगर तुम जानो. अरबी जबान में रोजा को सौम या स्याम कहा गया है, जिसका अर्थ होता है संयम. इस तरह से रोजा सब्र की सीख देता है. लेकिन रोजा में केवल भूखे रहना ही सब्र नहीं है.
इस दौरान नीयत भी साफ होनी चाहिए, तभी रोजा मुकम्मल होता है. सामाजिक नजरिए से जहां रोजा इंसान की अच्छाई है तो वहीं मजहबी नजरिए से यह रूह की सफाई है. वैसे तो रमजान में पूरे 29 या 30 दिनों का रोजा रखा जाता है. लेकिन पहला रोजा ईमान की पहल है।हाफिज रहमत अली निजामी ने बताया कि सोमवार 11 मार्च को माह-ए-शाबान की 29 तारीख है. इसी दिन माह-ए-रमजान का चांद देखा जाएगा.
अगर चांद नजर आ गया तो मंगलवार 12 मार्च से रमजान शुरू हो जाएगा.हाफिज अशरफ रजा और हाफिज सैफ अली ने बताया कि मुकद्दस रमजान का पहला अशरा रहमत, दूसरा मगफिरत, तीसरा जहन्नुम से आजादी का है. रमजान रहमत, खैर और बरकत का महीना है. इसमें रहमत के दरवाजे खोल दिए जाते हैं. जहन्नम के दरवाजे बंद कर दिए जाते हैं. शैतान जंजीर में जकड़ दिए जाते हैं. नफ्ल का सवाब फर्ज के बराबर और फर्ज का सवाब सत्तर फर्जों के बराबर दिया जाता है।
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