भाजपा का तिलिस्म तोड़ने में नाकाम कांग्रेस, इन दिग्गजों ने खाई मात.. अब ये बनेंगे CM
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 : राज्य में नामी-गिरामी चुनावी विश्लेषकों की गणित और चुनावी विद्वानों के सारे कयासी किलों को भाजपा ने ध्वस्त कर दिया है उत्तराखंड में भाजपा को एक बार फिर प्रचंड बहुमत मिला है, BJP के तिलिस्म को तोड़ने में नाकाम रहे कांग्रेस के महारथी ,भाजपा उत्तराखंड में मिथ्क तोड़कर दोबारा सरकार बनाने जा रही है। वहीं सीएम धामी खटीमा सीट से और पूर्व सीएम हरीश रावत लालकुंआ से हार गए। साफ है जनता ने ना केवल परिवारवाद को इस चुनाव में हराया है बल्कि कई अन्य समीकरण भी साफ साफ जनता ने बता दिया यशपाल आर्य जीते लेकिन अपने बेटे संजीव आर्य को नहीं जीता पाये , हरीश रावत खुद हारे तो उनकी बेटी विधानसभा पहुंच गई, हरक सिंह रावत खुद चुनावी दौड़ से बाहर रहे तो अपनी बहू को भी चुनाव में नहीं जीता पाए।
पांचवीं विधानसभा के चुनाव में गुरुवार को मतों का पिटारा खुला तो देवभूमि में फिर से लगातार दूसरी बार भाजपा सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया। मतदाताओं ने भाजपा के पक्ष में दोबारा बड़ा जनादेश सुनाते हुए कुल 70 में से 47 सीटें थमा दीं, लेकिन मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ऊधमसिंह नगर जिले की खटीमा सीट से चुनाव हार गए।
कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। 2017 की तुलना में उसकी सीट 11 से बढ़कर 19 हो गईं, लेकिन सत्ता पाने की इच्छा अधूरी रह गई। चुनाव परिणाम में बड़ा उलटफेर भी देखने को मिला। प्रदेश में कांग्रेस के चुनाव अभियान की बागडोर संभाल रहे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत नैनीताल जिले की लालकुआं सीट से चुनाव हार गए।
रावत पिछले चुनाव में भी दो सीटों से चुनाव हार गए थे। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल भी चुनाव हार गए हैं। नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने जीत का सिलसिला बरकरार रखा। परिणामों ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि प्रदेश में मोदी मैजिक की धूम रही। मतदाताओं ने डबल इंजन पर भरोसा जताया। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक एवं भाजपा सरकार के 10 में से आठ मंत्री प्रतिष्ठा बचाने में सफल रहे। कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद चुनाव हार गए। भाजपा के 27 और कांग्रेस के तीन विधायक इस बार भी चुनाव जीते हैं।
मतदान के 24 दिन बाद गुरुवार को राज्य में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच ईवीएम और पोस्टल बैलेट का पिटारा खुला। बीती 14 फरवरी को 65.37 प्रतिशत मतदाताओं ने मताधिकार का प्रयोग किया था। एक्जिट पोल के अनुसार ही मतगणना के शुरुआती रुझान से ही भाजपा को बढ़त मिलने लगी थी। पिछले चुनाव में भाजपा ने तीन-चौथाई से ज्यादा बहुमत के साथ 57 सीट हासिल की थी। इस बार ये सीट घटकर 47 रह गई हैं। सत्तारूढ़ दल ने सत्ता पर कब्जा बरकरार रखते हुए सरकार की अदला-बदली का मिथक तोड़ डाला।
इसके बावजूद भाजपा उलटफेर का शिकार होने से बच नहीं सकी। पार्टी को बड़ा झटका मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की हार के रूप में लगा है। धामी को ऊधमसिंह नगर जिले की खटीमा सीट पर उनके प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस के प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष भुवन कापड़ी ने 6579 मतों के अंतर से पराजित किया। पिछले चुनाव में तीन-चौथाई से ज्यादा बहुमत पाने वाली भाजपा इस बार दो तिहाई तक पहुंच पाई है। कांग्रेस के चुनावी चेहरे पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत लालकुआं सीट पर भाजपा के डा मोहन सिंह बिष्ट से 17,527 मतों के बड़े अंतर से हार गए। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गणेश गोदियाल भी पौड़ी जिले की श्रीनगर सीट से 587 मतों के अंतर से हारे।
सत्ताधारी दल के पक्ष में मोदी लहर एक बार फिर कारगर रही। एंटी इनकंबेंसी और मुख्यमंत्री बदलने को लेकर हमलावर विपक्ष के प्रहारों को प्रधानमंत्री मोदी ने भौंथरा कर दिया। कोरोना संक्रमण के चलते चुनाव की प्रक्रिया प्रतिबंधों के साये में प्रारंभ हुई। करीब 45 दिन तक चुनाव के लिए हुई जोर-आजमाइश में मोदी ने तीन रैलियों को संबोधित किया।
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह समेत कई केंद्रीय मंत्रियों ने भी प्रचार में ताकत झोंकी थी। कांग्रेस के स्टार प्रचारकों में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा ने कुल पांच जनसभाओं को संबोधित किया। इसके अतिरिक्त राजस्थान के पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट समेत कई केंद्रीय नेता भी विभिन्न क्षेत्रों में चुनाव प्रचार के लिए पहुंचे थे।
भाजपा सरकार के आठ मंत्री चुनाव जीते। सतपाल महाराज ने चौबट्टाखाल, बंशीधर भगत ने कालाढूंगी, बिशन सिंह चुफाल ने डीडीहाट, रेखा आर्य ने सोमेश्वर, अरविंद पांडेय ने गदरपुर, डा धन सिंह रावत ने श्रीनगर, सुबोध उनियाल ने नरेंद्रनगर व गणेश जोशी ने मसूरी सीट से जीत हासिल की। भाजपा छोड़कर कांग्रेस में वापसी करने वाले पूर्व मंत्री यशपाल आर्य बाजपुर सीट से चुनाव जीत गए हैं, जबकि उनके पुत्र संजीव आर्य नैनीताल सीट से हार गए। यमकेश्वर सीट छोड़कर कोटद्वार से चुनाव मैदान में उतरीं पूर्व मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी की पुत्री व भाजपा विधायक ऋतु खंडूड़ी ने पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह नेगी को हराकर उलटफेर किया।
कुछ इसी तरह पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत की पुत्री अनुपमा रावत ने कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद को हराकर जीत दर्ज की। बुधवार रात्रि तक चुनाव परिणाम आने तक भाजपा को 44.33 प्रतिशत मत मिले। 2017 की तुलना में भाजपा के मतों में 2.17 प्रतिशत की कमी आई है। कांग्रेस को 37.91 प्रतिशत मत प्राप्त हुए हैं। पिछले साल की तुलना में मतों में 4.41 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। बहुजन समाज पार्टी ने हरिद्वार जिले की दो सीटें लक्सर व मंगलौर लेकर वापसी की है। बसपा को मत प्रतिशत 4.82 रहा। दो निर्दलीय उत्तरकाशी जिले की यमुनोत्री व हरिद्वार जिले की खानपुर सीट पर विजयी रहे हैं।
उत्तराखंड में कई विधानसभाओं में कुछ ऐसी विधानसभा थी जिनमे हर बार उनका गढ़ मानकर विजय मिलती थी। एक ऐसी विधानसभा हरिद्वार की खानपुर की है, जंहा चैम्पियन कुंवर प्रणव प्रताप का गढ़ माना जाता था, घमण्ड में चूर चैम्पियन के विवाद छिपने से छिपाए नहीं जा सकते। इस बार भाजपा ने उनकी धर्म पत्नी पर दावेदारी आजमाई थी,सभी आश्वस्त थे कि यह सीट भाजपा की ही है। लेकिन इसका उलट हो गया और चैपियन का घमंड धराशाही हो गया।
दरअसल पत्रकार उमेश शर्मा ने बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ कर चैम्पियन के गढ़ में सेंध लगाकर 6600 वोट से विधानसभा में एंट्री कर ली है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा गरम है कि सत्ता की हनक दिखाने वाले चैम्पियन अब क्या करने वाले हैं।
उत्तराखंड विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने बड़ी जीत हासिल की है. अब ऐसे में सवाल उठता है
राज्य में अब बीजेपी का सीएम चेहरा कौन होगा?
उत्तराखंड में सीएम की रेस में धन सिंह रावत, सतपाल महाराज और त्रिवेंद्र सिंह रावत हैं. मसूरी से विधायक गणेश जोशी भी दावेदारी को आगे बढ़ा रहे हैं.
विश्वस्त सूत्रों के अनुसार जो खबर आ रही है उसके मुताबिक वर्तमान समय में सूबे के युवा मुखिया पुष्कर सिंह धामी ही संभालेंगे उत्तराखंड की बागडोर –
हालांकि खटीमा विधानसभा सीट से उनको हार का मुंह देखना पड़ा है लेकिन आलाकमान के भरोसे पर वह खरे उतरे हैं राज्य में सीएम धामी के चेहरे पर ही राज्य का पुराना इतिहास बदल गया और भाजपा को मिला है प्रचंड बहुमत, जनता जनार्दन ने सीएम फेस पर मुहर लगा दी है संभव है सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार आलाकमान जनता के इस फैसले को ही अंतिम फैसला मानेगा, मूख्यमंत्री के पुष्कर सिंह धामी की एक बार फिर होगी ताजपोशी ।
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