उत्तराखंड के रिजर्व फॉरेस्ट में कई हेक्टेयर जमीन पर अवैध कब्जा करने के साथ ही वहां मंदिर और असंख्य अवैध मजारें खड़ी कर दी गईं, लेकिन वन विभाग खामोश रहा।वन अधिकारियों की नींद तब टूटी, जब सीएम पुष्कर सिंह धामी ने सख्त तेवर दिखाए। इसी के साथ वन भूमि से अवैध कब्जे हटाने की शुरुआत कर दी गई है। अभियान रफ्तार पकड़ने लगा है। विशेष अभियान के तहत हुई कार्रवाई में अब तक अवैध रूप से बने 27 मंदिर और 200 से ज्यादा मजारों को तोड़ा गया है।
अब दो गुरुद्वारों को भी नोटिस दिया गया है। वन विभाग अभी तक 56 हेक्टेयर वन भूमि को कब्जा मुक्त कराने में कामयाब रहा है। अवैध कब्जों को हटाने के लिए मुख्यमंत्री के निर्देश पर विशेष अभियान चलाया जा रहा है, जिसकी जिम्मेदारी वरिष्ठ आईएफएस अधिकारी डॉ. पराग धकाते को सौंपी गई है।
डॉ. पराग धकाते ने बताया कि ऊधमसिंहनगर और रुद्रपुर में वन भूमि पर बने दो गुरुद्वारों को नोटिस दिया गया है। वन भूमि पर धार्मिक गतिविधियों के अलावा, ढाबे, खोमचे, पंप स्टेशन, झुग्गी झोपड़ियां और दूसरी व्यवसायिक गतिविधियां भी चल रही थीं। यहां अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई कर अभी तक 56 हेक्टेयर वन भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराया गया है। प्रदेशभर में 27 मंदिर, 200 मजारों को हटाया गया है। अगर कोई अधिकारी अतिक्रमण की जानकारी छिपाते मिला तो उसके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी।
बता दें कि प्रदेश में साढ़े 11 हजार हेक्टेयर से अधिक वन भूमि अतिक्रमण की चपेट में है। कुमाऊं क्षेत्र में 9490 हेक्टेयर, जबकि गढ़वाल क्षेत्र में 2294 हेक्टेयर वन भूमि अतिक्रमण हुआ है। इस तरह से 80 प्रतिशत कुमाऊं, जबकि 20 प्रतिशत अतिक्रमण गढ़वाल क्षेत्र में हुआ है।
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