जनता पहले से ही महंगाई की मार झेल रही है, इसी बीच सरकार ने बड़ा फैसला लिया है. एक अप्रैल से पैरासिटामोल के साथ-साथ कई एसेंशियल दवाओं के दाम बढ़ने जा रहे हैं. इन दवाओं की लिस्ट में एंटीबायोटिक एंटी-इंफेक्टिव, पेन किलर, दिल की बीमारी की दवा सबसे ऊपर है. दवा की कंपनी अब महंगे दामों में होल सेल में दवा बेचेंगी.
जानें क्या होती है एसेंशियल दवाएं..
जिन दवाईयों का यूज देश की अधिकतर जनता करती है, उसे एसेंशियल दवाओं का नाम दिया गया है. साल 2022 में एसेंशियल दवा की लिस्ट को अपडेट किया गया था. इसमें पैरासिटामोल के अलावा 384 दवाओं को शामिल किया गया है, साथ ही 24 दवाओं को इस लिस्ट से हटाया गया. वहीं गैस और एसिडिटी की कुछ दवाओं को इस लिस्ट से हटाया भी गया.
क्या है एसेंशियल दवाओं का आधार
आपको बता दें, कि दवाओं को तभी इस लिस्ट में शामिल किया जाता है, जब वह ज्यादा इफेक्टिव होने के साथ-साथ सेफ हों. साथ ही इसे खाते ही आराम मिल सके. इसके आधार पर इन्हें जरूरी दवाओं की नेशनल लिस्ट में शामिल किया गया है. इस दवाओं को जनता की डिमांड और प्रोडक्ट की सप्लाई के आधार पर भी लिस्ट में शामिल किया जाता है.
किन रोगों में काम आती हैं एसेंशियल दवाएं
इस लिस्ट में उन दवाओं को शामिल किया जाता है. जो अधिकतर लोगों के काम में आती हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि इन दवाओं का दाम सरकार के कंट्रोल में होता है. इन दवाओं की कंपनी एक साल में सिर्फ 10 प्रतिशत ही दाम बढ़ा सकती हैं. इस लिस्ट में एंटी कैंसर की दवाएं भी शामिल है.
देश में महंगाई लगातार बढ़ रही है। आम आदमी महंगाई के बोझ से परेशान है। अब अप्रैल से महंगाई का एक और तड़का लगने वाला है। दरअसल अप्रैल से जरूरी दवाओं (Essential medicines Price Hike) के दाम बढ़ने वाले हैं। इसमें पेनकिलर्स से लेकर एंटीबायोटिक तक शामिल हैं। आम आदमी जो पहले से ही महंगाई से परेशान है उसकी जेब पर बोझ और बढ़ जाएगा। इन जरूरी दवाओं की बात करें तो इसमें पेनकिलर्स, एंटीबायोटिक, दिल की दवाएं आदि शामिल हैं। एक अप्रैल से इन सब दवाओं के दाम बढ़ने वाले हैं। आम आदमी को महंगाई का बड़ा झटका लगेगा। दरअसल सरकार दवा कंपनियों को एनुअल होलसेल प्राइज इंडेक्स (WPI) में बदलाव के अनुरूप बढ़ोतरी की अनुमति देने के लिए पूरी तरह तैयार है। दवा मूल्य नियामक नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने सोमवार को कहा कि सरकार द्वारा अधिसूचित WPI में वार्षिक परिवर्तन 2022 के आधार पर दाम बढ़ाए जा सकते हैं। जानकारी के मुताबिक, बढ़ती महंगाई को देखते हुए फार्मा इंडस्ट्री दवाओं की कीमत बढ़ाए जाने की मांग कर रही थी।
अप्रैल से पेरासिटामोल सहित आवश्यक दवाएं, एंटीबायोटिक्स जैसे एमोक्सिसिलिन और अन्य एंटी-संक्रमित, और दर्द निवारक दवाएं 12 प्रतिशत से अधिक महंगी हो जाएंगी। यह इन दवाओं की कीमतों में रिकॉर्ड सालाना सबसे ज्यादा बढ़ोतरी बताई जा रही है। नेशनल फार्मास्युटिकल प्राइसिंग अथॉरिटी (NPPA) ने 1 अप्रैल से 12.1218 प्रतिशत उन अनुसूचित दवाओं के लिए अनुमति दी है जो मूल्य नियंत्रण के अधीन हैं।
अप्रैल से महंगी होने वाली दवाओं की सूची
हैलोथेन, आइसोफ्लुरेन, केटामाइन, नाइट्रस ऑक्साइड, डाईक्लोफेनाक, आइबुप्रोफ़ेन, मेफ़ानामिक एसिड, पेरासिटामोल, मॉर्फिन, एमोक्सिसिलिन, एम्पीसिलीन, बेन्ज़ाइलपेन्सिलीन, सेफैड्रोसिल, सेफ़ाज़ोलिन, सेफ्त्रियाक्सोम, कोविड प्रबंधन दवाएं, एंटी-टीबी दवा: एमिकैसीन, बेडाक्वीलिन, रिथ्रोमाइसिन आदि। एंटिफंगल: क्लोट्रिमेज़ोल, फ्लुकोनाज़ोल, मुपिरोसिन, निस्टैटिन, टेरबिनाफ़िन, आदि।
एंटीवायरल दवाएं: एसाइक्लोविर, वाल्गेंसिलोविर, आदि। एचआईवी प्रबंधन दवाएं: एबाकाविर, लामिवुडिन, ज़िडोवुडिन, एफाविरेंज़, नेविरापीन, राल्टेग्रेविर, डोल्यूटग्रेविर, रितोनवीर, आदि। गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल दवाएं: ओआरएस, लैक्टुलोज, बिसाकोडील आदि। हार्मोन, अन्य एंडोक्राइन दवाएं और गर्भनिरोधक। टीके: हेपेटाइटिस बी, डीपीटी टीका, जापानी एन्सेफलाइटिस टीका, खसरा टीका, रेबीज टीका इत्यादि।
नेत्र संबंधी दवाएं- ऑक्सीटोसिक्स और एंटीऑक्सीटोक्सिक्स, मानसिक विकारों के इलाज के लिए दवाएं, श्वसन पथ विकार दवाएं, विटामिन और खनिजमलेरिया की दवाएं: आर्टेसुनेट, आर्टेमेडर, क्लोरोक्वीन, क्लिंडामाइसिन, क्विनिन, प्रिमाक्विन आदि। कैंसर के इलाज की दवाएं: 5-फ्लूरोरासिल, एक्टिनोमाइसिन डी, ऑल-ट्रांस रेटिओनिक एसिड, आर्सेनिक ट्राइऑक्साइड, कैल्शियम फोलिनेट आदि।
एनीमिया की दवाएं:
फोलिक एसिड, आयरन सुक्रोज, हाइड्रोक्सोकोबालामिन आदि।कार्डियोवास्कुलर दवाएं: डिलिटाज़ेम, मेटोप्रोलोल, डिगॉक्सिन, वेराप्रामिल, एम्लोडिपाइन, रामिप्रिल, टेल्मिसर्टन, आदि। त्वचा संबंधी दवाएं, budesonide, सिप्रोफ्लोक्सासिं, क्लोट्रिमेज़ोल, एंटीसेप्टिक्स / कीटाणुनाशक: क्लोरोक्साइडिन, एथिल अल्कोहल, हाइड्रोजन पेरोक्साइड, पोविडाइन आयोडीन, पोटेशियम परमैंगनेट।
दवा बनाने वालों के खिलाफ बड़े पैमाने पर कार्रवाई करते हुए, केंद्र ने कल 20 राज्यों में 76 कंपनियों पर ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (डीसीजीआई) द्वारा निरीक्षण के बाद खराब गुणवत्ता और नकली दवाओं के निर्माण के लिए 18 फार्मा कंपनियों के लाइसेंस रद्द कर दिए। 26 अन्य कंपनियों को भी कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था, जिनमें से अधिकांश हिमाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड से संचालित होती हैं
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