उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने अंकिता भंडारी केस की जाँच सी.बी.आई.से कराए जाने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए एस.आई.टी.को निर्देश दिए हैं कि वो 3 नवम्बर तक मामले की केस डायरी और प्रगति रिपोर्ट न्यायालय में पेश करें। मामले को सुनने के बाद वरिष्ठ न्यायमूर्ति संजय कुमार मिश्रा की एकलपीठ ने मामले की अगली सुनवाई 3 नवम्बर को तय की है।
मामले के अनुसार, अंकिता के पारिवारिक सदस्य आशुतोष नेगी ने याचिका दायर कर कहा है कि पुलिस और एस.आई.टी.इस मामले के महत्वपूर्ण सबूतों को छुपा रही है। एस.आई.टी.ने अभी तक अंकिता के पोस्टमार्टम की रिपोर्ट सार्वजनिक नहीं की है। जिस दिन उसका शव बरामद हुआ था, उसी शाम परिजनों के बिना पुलिस ने अंकिता का कमरा तोड़ दिया। जब अंकिता का मैडिकल हुआ था पुलिस ने बिना किसी महिला की उपस्थिति में उसका मैडिकल कराया गया जो सर्वोच्च न्यायलय के आदेश के खिलाफ है। मैडिकल कराते समय, एक महिला का होना आवश्यक था जो इस केस में पुलिस ने नहीं किया। जिस दिन अंकित की हत्या हुई थी, उस दिन छः बजे पुलकित उसके कमरे में था और वह रो रही थी। याचिका में यह भी कहा गया है कि अंकिता के साथ दुराचार हुआ है, जिसे पुलिस नहीं मान रही है। पुलिस इस केस में लीपापोती कर रही है। इसलिए इस केस की जाँच सी.बी.आई.से कराई जाए।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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