उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने विधानसभा सचिवालय से बर्खास्त कर्मचारियों के मामले में सुनवाई को जारी रखते हुए अगली सुनवाई 22 नम्वबर के लिए तय की है। याचिकाकर्ताओं की तरफ से आज सर्वोच्च न्यायलय के वरिष्ठ अधिवक्ता देवीदत्त कामथ ने बहस की।न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की एकलपीठ में 22 नवम्बर को भी याचिकाकर्ताओं का पक्ष जारी रहेगा।
मामले के अनुसार अपनी बर्खास्तगी के आदेश को बबिता भंडारी, भूपेंद्र सिंह बिष्ठ, कुलदीप सिंह और कुल 102 अन्य कर्मचारियों ने चुनौती दी। याचिकाओ में कहा गया कि विधानसभा अध्यक्ष ने लोकहित को देखते हुए उनकी सेवाएं 27, 28 और 29 सितम्बर 2022 को समाप्त कर दी थी।
बर्खास्तगी आदेश मे उन्हें किस आधार पर किस कारण हटाया गया, इसका कहीं उल्लेख नहीं किया गया और न ही उन्हें सुना गया। जबकि उन्होंने, सचिवालय में नियमित कर्मचारियों की तरह ही काम किया। एक साथ इतने कर्मचारियों को बर्खास्त करना लोकहित में नहीं हो सकता है। यह आदेश विधि विरुद्ध है।
विधानसभा सचिवालय में 396 पदों पर बैक डोर नियुक्तियां 2001 से 2015 के बीच में भी हुई हैं, जिनको नियमित किया जा चुका है।
याचिकाओ में कहा गया है कि 2014 तक हुई तदर्थ नियुक्त कर्मचारियों को चार वर्ष से कम की सेवा में नियमित नियुक्ति दे दी गई। लेकिन उन्हें 6 वर्ष के बाद भी नियमित नहीं किया अब उन्हें हटा दिया गया। पूर्व में उनकी नियुक्ति को 2018 में जनहित याचिका दायर कर चुनौती दी गयी थी जिसमे न्यायालय ने उनके हित में आदेश देकर माना था कि उनकी नियुक्ति वैध है। जबकि नियमानुसार छः माह की नियमित सेवा करने के बाद उन्हें नियमित किया जाना था।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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