रानीखेत : कालू सैयद बाबा के 51वें उर्स का भव्य समापन,अकीदत और भाईचारे का प्रतीक बना आयोजन

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रानीखेत नगर स्थित सूफी संत हज़रत कालू सैयद बाबा की दरगाह पर आयोजित 51वें सालाना उर्स का समापन आज सुबह कुल शरीफ की रस्म के साथ अकीदतमंद माहौल में संपन्न हुआ। 20 मई से प्रारंभ हुए इस पांच दिवसीय धार्मिक आयोजन में हजारों जायरीन (श्रद्धालु) दूर-दराज़ इलाकों से शामिल हुए और बाबा की मजार पर फूल चढ़ाकर अपनी मुरादें मांगीं।

पांच दिनों तक चले इस उर्स ने रानीखेत को एक सूफियाना और आध्यात्मिक रंग में रंग दिया। खास बात यह रही कि इस दौरान सभी धर्मों के लोगों ने बाबा की मजार पर हाजिरी दी, जो इस आयोजन को धार्मिक एकता और भाईचारे का प्रतीक बनाता है। उर्स के दौरान दरगाह परिसर में लंगर का आयोजन भी किया गया, जिसमें सैकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया और सूफी परंपरा की मिठास का अनुभव किया।

उर्स के चौथे दिन नगरवासियों द्वारा गाजे-बाजे और सजी हुई चादरों के साथ भव्य चादरपोशी की गई। चादर चढ़ाने के दौरान भक्तों की भारी भीड़ उमड़ी और पूरा माहौल आध्यात्मिक ऊर्जा से भर गया। उर्स के दौरान देशभर से आमंत्रित मशहूर कव्वालों ने अपनी प्रस्तुतियों से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। कव्वालियों में सूफी प्रेम, इश्क-ए-हकीकी और अध्यात्म का अद्भुत संगम देखने को मिला।

आज सुबह उर्स के छठे दिन कुल शरीफ की रस्म अदा की गई। इस अवसर पर कुरआन शरीफ की तिलावत की गई और सूफी संतों के जीवन दर्शन पर तकरीरें (प्रवचन) हुईं। इस मौके पर हज़रत अमीर खुसरो रहमतुल्ला अलेह का मशहूर सूफी कलाम ‘रंग’ भी पढ़ा गया, जो पीर-मुर्शिद से मुहब्बत और सम्मान का प्रतीक माना जाता है।

कुल शरीफ की रस्म के दौरान देशवासियों की भलाई, भाईचारे, सौहार्द, तंदुरुस्ती और व्यापारिक तरक्की की दुआएं मांगी गईं। मजार के खादिम मोहम्मद मोहसिन ने विशेष रूप से देश में अमन-शांति के लिए दुआ की।

आकर्षण का केंद्र बना मेला और बाजार

उर्स के दौरान दरगाह परिसर के आसपास एक छोटा मेला भी सजाया गया, जिसमें बच्चों के लिए झूले, खाने-पीने की दुकानें और धार्मिक वस्तुएं उपलब्ध थीं। श्रद्धालु खरीदारी के साथ-साथ मेले की रौनक का भी आनंद लेते रहे। देर रात तक मजार के चारों ओर चहल-पहल और श्रद्धालुओं का तांता लगा रहा।

प्रशासन और विभागों को किया धन्यवाद

उर्स की सफलता के लिए उर्स कमेटी और खादिम मोहम्मद मोहसिन ने छावनी परिषद रानीखेत, कुमाऊं रेजिमेंट सेंटर, जल संस्थान, नगर पालिका परिषद, स्वास्थ्य विभाग, चिन्याऊंला प्रशासन, पुलिस और जिला प्रशासन का आभार जताया, जिनके सहयोग से यह आयोजन सकुशल संपन्न हुआ।

उर्स के समापन पर सभी उपस्थित श्रद्धालुओं को तबर्रुख (प्रसाद) वितरित किया गया। इस अवसर पर दरगाह के खादिम मोहसिन के साथ रानीखेत के गणमान्य नागरिक, समाजसेवी, विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधि और दूर-दराज से आए सैकड़ों श्रद्धालु मौजूद रहे।

यह सालाना उर्स सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आध्यात्मिक एकता, सांस्कृतिक समरसता और सामाजिक भाईचारे का जीवंत उदाहरण बन गया, जिसने एक बार फिर साबित किया कि भारत की विविधता में ही इसकी सच्ची शक्ति छिपी है।

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