आत्ममंथन की ज्योति से आलोकित होगा 78वां निरंकारी संत समागम,तैयारियाँ अंतिम चरण में..

ख़बर शेयर करें

हल्द्वानी –
सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज एवं निरंकारी राजपिता रमित जी की पावन छत्रछाया में 78वां वार्षिक निरंकारी संत समागम 31 अक्टूबर से 3 नवम्बर 2025 तक संत निरंकारी आध्यात्मिक स्थल, समालखा (हरियाणा) में दिव्यता और भव्यता के साथ आयोजित होने जा रहा है। इस चार दिवसीय आयोजन में देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु सम्मिलित होकर प्रेम, समर्पण और भक्ति की अनुपम अनुभूति प्राप्त करेंगे।

समागम की तैयारियाँ अब अपने अंतिम चरण में हैं। हज़ारों स्वयंसेवक पूरी तन्मयता से दिन-रात सेवा में जुटे हुए हैं। संत निरंकारी मंडल के सचिव श्री जोगिंदर सुखीजा ने बताया कि जो स्थल कभी एक साधारण मैदान था, वह अब श्रद्धालुओं की सेवा भावना से भव्य आध्यात्मिक नगरी का रूप ले चुका है।

यह समागम केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि आत्मज्ञान, प्रेम और मानवता का उत्सव है । जहाँ ब्रह्मज्ञान के माध्यम से आत्मा का परमात्मा से मिलन होता है। ‘आत्ममंथन’ की इस भूमि पर प्रत्येक साधक आत्मचिंतन और आत्मबोध के माध्यम से अपने भीतर की ज्योति को जागृत करने की प्रेरणा प्राप्त करता है।

सतगुरु माता सुदीक्षा जी महाराज की प्रेरणा से पूरे आयोजन का संचालन किया जा रहा है। उनका संदेश स्पष्ट है — “हर श्रद्धालु इस समागम में प्रेम, सम्मान और आध्यात्मिक पूर्णता का अनुभव करे।” इसी भाव के अनुरूप, समागम स्थल को चार प्रमुख खंडों में विभाजित किया गया है ताकि प्रत्येक आगंतुक को सुगम आवागमन, आवास और सुविधा मिल सके।

भक्तों की बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए विशाल पंडालों में सुव्यवस्थित बैठक व्यवस्था की गई है। समागम मंच से होने वाले प्रवचनों, भजनों और विचारों को अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए पूरे परिसर में अत्याधुनिक एलईडी स्क्रीन लगाई गई हैं, जिससे हर श्रद्धालु समान भाव से सत्संग का लाभ ले सके।

हर वर्ष की परंपरा को आगे बढ़ाते हुए, इस बार भी मुंबई के श्रद्धालु भक्तों द्वारा निर्मित मुख्य स्वागत द्वार अपनी अद्भुत कलात्मकता और आध्यात्मिक संदेश के साथ आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। यह द्वार सेवा, समर्पण और एकता की जीवंत मिसाल है। मानो सम्पूर्ण मानवता को प्रेम और समभाव से आमंत्रित कर रहा हो।

संत निरंकारी मिशन सभी श्रद्धालुओं को इस आध्यात्मिक महाकुंभ में सादर आमंत्रित करता है। आइए, 78वें निरंकारी संत समागम का हिस्सा बनकर सतगुरु के दिव्य दर्शन करें, उनके अमृतमय वचनों का लाभ प्राप्त करें, और आत्मा को परमात्मा से जोड़ने की इस पवित्र यात्रा में सहभागी बनकर जीवन को धन्य करें।

निस्संदेह, यह समागम केवल एक आयोजन नहीं बल्कि आत्ममंथन, आत्मबोध और आंतरिक शुद्धि का अद्वितीय अवसर है।

लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए -

👉 Join our WhatsApp Group

👉 Subscribe our YouTube Channel

👉 Like our Facebook Page

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *