रामनगर| – खनन पट्टों और नदी की रॉयल्टी के मूल्यो मे अंतर के विरोध में कोसी व दाबका नदी के ट्रांसपोर्टरों ने तराई पश्चिमी वनप्रभाग के डीएफओ व वन निगम के डीएलएम से मुलाकात की| इस दौरान ट्रांसपोर्टरों ने डीएफओ को ज्ञापन देते हुए अपनी समस्याएँ भी बताई साथ ही नदीयो के रॉयल्टी रेटों को कम कर खनन पट्टो के समान करने की मांग की है|
गुरुवार को डीएफओ को सौंपे ज्ञापन में ट्रांसपोर्टर व पूर्व खनन अध्यक्ष शेर सिंह लटवाल व पीयूष बिष्ट ने बताया कि खनन पट्टों से तीन गुना अधिक रेटो पर नदी से उपखनिज निकालने वाले ट्रांसपोर्टरों को रॉयल्टी दी जा रही है| जिसके बाद ट्रांसपोर्टरों से क्रेशर स्वामी उपखनिज खरीदने को तैयार नहीं है|
जिसके चलते ट्रांसपोर्टरों के आगे रोजी रोटी का संकट छा गया है। ऐसे मे ट्रांसपोर्टर अपनी आजीविका कैसे चलाएगा खनन कारोंबारियों ने डीएफओ को दिये इस ज्ञापन से रॉयल्टी का एक समान रेट होने की गुहार लगाई है।
वही खनन विभाग पर गंभीर आरोप लगाते हुए खनन कारोंबारियों ने कहा की अवैध खनन की असली उपज ही खनन विभाग है जिसकी नीतियाँ क्रेशर स्वामियों के हिसाब से तय होती है। खनन कारोबारियों ने कहा की यदि सरकार इसमे कोई ठोस कदम नही उठाती है तो वह कोसी व दाबका नदी मे इस वर्ष खनन कार्य का बहिष्कार करेंगे ओर किसी भी गेट से नदी से खनन कार्य नही होने देंगे।
तराई पश्चिमी वनप्रभाग के डीएफओ कुंदन कुमार ने बताया कि नदी की रॉयल्टी कम करने की मांग को लेकर कोसी व दाबका नदी के खनन व्यवसाइयो से ज्ञापन मिला है| जिसे उच्चस्तर पर भेजा जायेगा| रॉयल्टी का निर्धारित मूल्य तय होना वन विभाग के अधीन नही है।
वही वन विकास निगम के डीएलएम धीरेश चंद्र बिष्ट ने बताया कि रॉयल्टी के भुगतान को ऑनलाइन करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है।
इस वर्ष से पूर्ण रूप से रॉयल्टी का भुगतान गेटो पर कैश लेस होगा जिसे इस खनन सत्र में सभी गेटों पर लागू कर दिया जायेगा| जिसके लिए सभी गेटों पर स्वाइप मशीन लगाई जाएगी जिसकी तैयारियां पूरी हो गयी है|
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