उत्तराखंड के पूर्व DGP की बढ़ी मुश्किलें_12 साल बाद चार्जशीट दाखिल करने की तैयारी

ख़बर शेयर करें

www.gkmnews

ख़बर शेयर करें

उत्तराखंड के पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू को वन भूमि पर कब्जा करने के मामले में एसआईटी ने आरोपी बनाया है। पूर्व पुलिस महानिदेशक बीएस सिद्धू की मुश्किलें अब बढ़ने लगी हैं। आरक्षित वन क्षेत्र में नौ बीघा जमीन कब्जाने के मामले में 2013 में राजपुर थाने में दर्ज हुए मुकदमे में पूर्व डीजीपी को एसआईटी ने आरोपी बना लिया है।

इस मामले में पूर्व डीजीपी समेत सात लोगों को आरोपी बनाया गया है।उत्तराखंड राज्य में ऐसा पहली बार होगा कि पुलिस अपने पूर्व मुखिया के खिलाफ कोर्ट में चार्जशीट फाइल करेगी। बीएस सिद्धू पर उनके कार्यकाल के अंतिम दिनों में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी के आरोप लगे थे। एडीजी कानून व्यवस्था एपी अंशुमन के मुताबिक मामले की जांच काफी तेजी और गंभीरता से चल रही है जो लगभग अंतिम चरण में है। जल्द ही जांच पूरी कर आगे की कार्रवाई की जाएगी।

साल 2012 में सिद्धू के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने के लिए प्रार्थनापत्र दिए गए। सिद्धू के पुलिस का मुखिया होने के कारण कोई कार्रवाई नहीं हुई। धामी के मुख्यमंत्री बनने के बाद मामले के निस्तारण के लिए एसआईटी गठित की गई थी। एसआईटी में डीआईजी कानून व्यवस्था पी रेणुका देवी को अध्यक्ष बनाते हुए आईपीएस अफसर सर्वेश पंवार को जांच अधिकारी बनाया गया।

अब मुकदमे की जांच में पूर्व डीजीपी सिद्धू समेत सात लोगों को आरोपी बना लिया गया है। इनके खिलाफ जल्द चार्जशीट दाखिल कर दी जाएगी।वन भूमि कब्जाने से जुड़े मुकदमे में पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू का नाम जोड़ दिया गया है। अब ‘लंबी जांच 12 साल बाद पूरी हो सकेगी। पुलिस के इतिहास में मुकदमे की यह सबसे लंबी चलने वाली जांच मानी जा रही है। बताया जाता है कि पूर्व मुखिया को आरोपी बनाने में कई पुलिस अफसर कतराते रहे।

साल 2012 में नाथूराम नाम के व्यक्ति ने इस प्रकरण में मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप है कि उनकी जमीन किसी व्यक्ति ने मालिक बनकर बेच दी। इस मामले में मुकदमा दर्ज होने के बाद यह केस 2013 में राजपुर थाने को ट्रांसफर किया गया।

जानिए क्या है पूरा मामला

पूर्व डीजीपी बीएस सिद्धू ने वर्ष 2012 में मसूरी वन प्रभाग के वीरगिरवाली गांव में डेढ़ हेक्टेअर जमीन खरीदी और इस जमीन पर लगे साल के करीब 250 पेड़ काट दिए। सूचना मिलने पर प्रदेश के वन विभाग ने जांच कराई, जिसमें यह सामने आया कि ये पेड़ रिजर्व वन भूमि पर लगे थे। इस मामले में वन विभाग ने सिद्धू का चालान भी किया था। प्रकरण के उछलने के बाद बीएस सिद्धू के नाम हुई जमीन की रजिस्ट्री भी रद्द कर दी गई और सरकार से सिद्धू के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने की अनुमति मांगी गयी थी। सिद्धू सितंबर 2013 से अप्रैल 2016 तक प्रदेश के पुलिस महानिदेशक रहे हैं।

लेटेस्ट न्यूज़ अपडेट पाने के लिए -

👉 Join our WhatsApp Group

👉 Subscribe our YouTube Channel

👉 Like our Facebook Page