उत्तराखंड के काकड़ीघाट में बाबा नीब करौरी और स्वामी विवेकानंद की तपोस्थली को गंदे कूड़े के ढेर में तब्दील करने पर उतारू प्रशासन के कदम का विरोध कर रहे हैं ग्रामीण। मंदिर परिसर के ठीक सामने प्रस्तावित कूड़े के ट्रेन्चिंग ग्राउंड के नीचे बह रही स्वच्छ कोसी नदी की पवित्रता पर भी खतरे के बादल।
अल्मोड़ा जिले में राष्ट्रीय राजमार्ग एक्सटेंशन(एन. एच. ई.)पर ग्रामसभा मनरसा में बसे काकड़ीघाट नामक गाँव में इनदिनों ट्रेन्चिंग ग्राउंड निर्माण का काम चल रहा है।
इस स्थान में स्वामी विवेकानंद की तपोस्थली और बाबा नीब करौली का तपोस्थली मंदिर भी है। यहां सैकड़ों की संख्या में पर्यटक और बाबा के भक्त दर्शनों के लिए पहुंचते हैं। कोसी नदी के तट पर होने के कारण यह स्थल भक्तों के ध्यान का केंद्र और पर्यटक स्थल के रूप में प्रचलित होते जा रहा है। काकड़ीघाट में श्री हनुमान मंदिर की स्थापना बाबा नीब करौरी महाराज ने 15 जून 1965 को की थी। कैंची धाम हनुमान मंदिर एवं आश्रम कैंची धाम इसकी देखरेख करता है।
रामगढ़ ब्लॉक में आने वाले इस क्षेत्र में बन रहे ट्रेन्चिंग ग्राउंड में बड़े क्षेत्र का कूड़ा आने से यहां का शुद्ध माहौल बिगड़ जाएगा जिसके चलते ग्रामीण इसका विरोध कर रहे हैं। स्वामी विवेकानंद ट्रस्ट के अध्यक्ष हरीश परिहार ने प्रशासन के इस कदम का विरोध किया है। उन्होंने कहा है कि प्रशासन इसे तत्काल यहां से कहीं दूसरी जगह शिफ्ट करे नहीं तो ग्रामीण आंदोलन को मजबूर हो जाएंगे।
वहीं, वृद्ध ग्रामीण धन सिंह ने कहा कि ट्रंचिंग ग्राउंड में कूड़ा होने के बाद कूड़ा कोसी नदी में गिरेगा और उसकी स्वच्छता को भी खतरा हो जाएगा। नदी घाटी में बसे काकड़ीघाट को बाबा नीब करौरी बाबा की तपोस्थली, सोमवारी बाबा की तपोस्थली और स्वामी विवेकानंद के तप स्थल के रूप में जाना जाता है, जहां कुमाऊं मंडल विकास निगम का गेस्ट हाउस भी बना है।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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