उत्तराखण्ड के नैनीताल में इस वर्ष मई और जून में नार्मल से अधिक बरसात होने के कारण जलस्तर अपने चरम पर है। सिंचाई विभाग का अनुमान है कि इस वर्ष नैनीझील के भरने पर निकासी गेट सितंबर अक्टूबर की जगह जुलाई अगस्त में ही न खोलने पड सकते हैं।
नैनीताल में इस वर्ष मई, जून और वर्तमान जुलाई में सामान्य से अधिक बरसात होने के चलते झील का स्तर ठीक ठाक हो गया है। नैनीझील में से पेयजल की आपूर्ति होती है।
ये पहले 12 एम.एल.डी.प्रतिदिन होती थी, लेकिन झील का स्तर तेजी से गिरने के बाद एक उच्च स्तरीय बैठक में इसे रोस्टर प्रणाली में डालकर घटाकर केवल 8 एम.एल.डी.प्रतिदिन तक कर दिया गया। इस वर्ष जुलाई के पिछले कुछ दिनों में तेज बरसात के कारण बढ़ते जलस्तर का ग्राफ आप भी देखिए।
एक जुलाई को 3 फ़ीट और 9 इंच।
दो जुलाई को 4 फ़ीट और 3 इंच।
पांच जुलाई को 4 फ़ीट और 5 इंच के बाद
तेरह जुलाई को 8 फ़ीट और 2 इंच हो गया है।
बता दें कि नैनीझील के जलस्तर को शून्य के ऊपर 12 फ़ीट तक मापा जाता है। झील का जलस्तर 12 फ़ीट पहुंचने पर स्काडा गेट ऑटोमैटिक खुल जाते हैं। लेकिन विभाग, बरसात का रुख देखते हुए जलस्तर 11 फ़ीट होने पर भी निकासी शुरू कर देता है।
पिछले पांच वर्षों में इस वर्ष कोविड काल को छोड़कर सर्वाधिक है। कोविड काल में लॉकडाउन के दौरान नैनीताल में पेयजल की मांग बहुत कम रह गई थी, जिसके कारण जलस्तर बरकरार रहा था।
वर्ष 2018 में – माइनस 1फ़ीट
वर्ष 2019 में – 1.9
वर्ष 2020 में – 8.6
वर्ष 2021 में – 7.3 और
वर्ष 2022 में – 3.6 था। इस वर्ष 13 जुलाई को जलस्तर 8.2 फ़ीट है। विभागीय अधिकारी मानते हैं कि इस वर्ष सितंबर अक्टूबर की जगह जुलाई अगस्त में ही गेट खोलकर पानी की निकासी करनी हो सकती है।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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