अल्पसंख्यक मंत्रालय में देश का सबसे बड़ा स्कॉलरशिप घोटाला – अब CBI करेगी जांच

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केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के अल्पसंख्यक मंत्रालय में भारत के सबसे बड़े अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति घोटाले का खुलासा हुआ है. कई राज्यों में बनाए गए फर्जी लाभार्थी, फर्जी संस्थान और फर्जी नामों से बैंक खाते सामने आए हैं. मामला कथित तौर पर अल्पसंख्यक संस्थानों, राज्य प्रशासन और बैंकों में संस्थागत भ्रष्टाचार का है. केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी ने दिए सीबीआई जांच की बात कही है. इंडिया टुडे को मिली जानकारी के मुताबिक, मदरसों सहित 1572 अल्पसंख्यक संस्थानों की जांच में 830 फर्जी/नॉन-ऑपरेशनल पाए गए जिनमें 144 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है।

5 वर्ष में 144.83 करोड़ रुपये का घोटाला


दरअसल, अल्पसंख्यक मंत्रालय ने 10 जुलाई को सीबीआई में अपनी शिकायत दर्ज कराई थी. 34 राज्यों के 100 जिलों में मंत्रालय ने अंतरिक जांच कराई है. 21 राज्यों के 1572 संस्थानों में 830 संस्थान फर्जी पाए गए हैं. लगभग 53 प्रतिशत फर्जी अभ्यर्थी मिले हैं. पिछले सिर्फ 5 साल में मात्र 830 संस्थान में ही 144.83 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है. हालांकि बाकी संस्थानों की भी जांच जारी है।

अब तक जांचे गए मामलों में फर्जी लाभार्थियों द्वारा छात्रवृत्ति के वास्तविक लाभार्थियों को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचाने और खजाने को 144 करोड़ रुपये के नुकसान की जांच के लिए मामला सीबीआई को सौंप दिया गया है. सूत्रों की माने तो यह कई स्तरों पर संस्थागत भ्रष्टाचार है. संस्थान या तो गैर-मौजूद हैं या गैर-कार्यशील हैं, लेकिन राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल और शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली (यूडीआईएसई) दोनों पर पंजीकृत हैं।

विस्तार से जानिये क्या है स्कॉलरशिप घोटाला

देश में अल्पसंख्यक छात्रों की पढ़ाई के लिए अल्पसंख्यक कार्य मंत्रालय की ओर से जो स्कॉलरशिप दी जाती है, उसमें बड़े घोटाले का आरोप लगा है. अल्पसंख्यक छात्रवृत्ति के लगभग 53 प्रतिशत लाभार्थी ‘फर्जी’ पाए गए हैं. अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय की एक आंतरिक जांच में इस कथित भ्रष्टाचार का पता चला है. इंडिया टुडे से जुड़े गौरव सावंत और मिलन शर्मा की एक रिपोर्ट के मुताबिक इसमें अब तक 830 ‘फर्जी’ संस्थानों का पता चला है. रिपोर्ट में 144.83 करोड़ रुपये के घोटाले की बात कही गई है।

अब CBI जांच करेगी

अल्पसंख्यक मामलों की मंत्री स्मृति ईरानी ने इसकी आगे की जांच CBI (केंद्रीय जांच ब्यूरो) को सौंपी है. रिपोर्ट के मुताबिक अल्पसंख्यक मंत्रालय ने इस मामले में 10 जुलाई को अपनी शिकायत दर्ज कराई थी।

बताया जाता है कि 34 राज्यों के 100 जिलों में मंत्रालय ने आंतरिक जांच कराई. इनमें से अब तक 21 राज्यों के 1572 संस्थानों में से 830 संस्थान ‘फर्जी’ पाए गए हैं. लगभग 53 प्रतिशत ‘फर्जी’ अभ्यर्थी मिले हैं. बाकी बचे राज्यों के संस्थानों की भी जांच जारी है. फिलहाल, अधिकारियों ने इन 830 संस्थानों से जुड़े खातों को फ्रीज करने का आदेश दे दिया है।

सूत्रों के मुताबिक ये घोटाला कई स्तरों पर हुआ है और एक संस्थागत भ्रष्टाचार है. संस्थान या तो मौजूद नहीं हैं या ऑपरेशनल नहीं हैं, लेकिन ये राष्ट्रीय छात्रवृत्ति पोर्टल और शिक्षा के लिए एकीकृत जिला सूचना प्रणाली (UDISE) दोनों पर रजिस्टर हैं. अब CBI इन संस्थानों के उन नोडल अधिकारियों की जांच करेगी, जिन्होंने इन संस्थानों को अप्रूवल रिपोर्ट दी थी।

यानी अब वे जिला नोडल अधिकारी जांच के दायरे में आएंगे, जिन्होंने फर्जी मामलों को वेरिफाई किया था. ये जांच भी होगी कि कैसे कई राज्यों में ये घोटाला सालों तक चलता रहा. सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि मंत्रालय ने ये भी सवाल उठाया है कि बैंकों ने फर्जी आधार कार्ड और KYC डॉक्यूमेंट के साथ लाभार्थियों के लिए फर्जी खाते खोलने की मंजूरी कैसे दे दी?


मंत्रालय की जांच में क्या पता चला?

छत्तीसगढ़ में 62 संस्थानों की जांच में सभी संस्थान फर्जी/नॉन-ऑपरेशनल पाए गए।

राजस्थान के 128 संस्थानों की जांच की गई. इसमें 99 नकली/नॉन ऑपरेशनल पाए गए।

असम में 68 प्रतिशत संस्थान फर्जी पाए गए।

कर्नाटक में 64 प्रतिशत संस्थान फर्जी पाए गए।

यूपी में 44 प्रतिशत संस्थान फर्जी पाए गए।

पश्चिम बंगाल 39 प्रतिशत संस्थान फर्जी पाए गए.

केरल के मल्लापुरम में एक बैंक ब्रांच ने 66,000 स्कॉलरशिप दीं. ये संख्या रजिस्टर किए गए पात्र अल्पसंख्यक छात्रों की संख्या से अधिक पाई गई।

जम्मू-कश्मीर में अनंतनाग के एक कॉलेज में जिसमें 5,000 स्टूडेंट का रजिस्ट्रेशन है, उस कॉलेज से 7,000  स्कॉलरशिप क्लेम की गई।

एक पैरेंट का मोबाइल नंबर 22 बच्चों के साथ जुड़ा पाया गया, ये सभी बच्चे कथित तौर पर 9वीं क्लास के थे।

एक अन्य अल्पसंख्यक संस्थान में जहां हॉस्टल नहीं है, फिर भी वहां के सभी छात्रों के नाम पर हॉस्टल स्कॉलरशिप क्लेम की गई।

पंजाब में ऐसे अल्पसंख्यक छात्रों को छात्रवृत्ति मिल गई, जिनका स्कूल में नामांकन भी नहीं हुआ।

बता दें कि अल्पसंख्यक स्टूडेंट के लिए स्कॉलरशिप की योजना 2007-08 में शुरू की गई थी. अल्पसंख्यक मंत्रालय 1 लाख 80 हजार संस्थानों को स्कॉलरशिप देता है. इसका फायदा कक्षा 1 से उच्च शिक्षा लेने वाले अल्पसंख्यक स्टूडेंट्स को मिलता है.

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