नैनीताल जिले में खतौनी अपडेट का संकट दूर,अब ऐसे होगा विरासतन का फैसला..

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नैनीताल में नामांतरण प्रकरणों के त्वरित निस्तारण के आदेश, तहसीलदारों को निर्देश : जिलाधिकारी ललित मोहन रयाल

नैनीताल : जिलाधिकारी ललित मोहन रयाल ने जिले के सभी तहसीलदारों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि गैर-विवादित नामांतरण मामलों का शीघ्र और तय समय सीमा के भीतर निस्तारण सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने कहा कि राजस्व न्यायालयों में गैर-विवादित नामांतरण के मामलों की बड़ी संख्या में लंबित रहने से खतौनी (आरओआर) को अद्यतन रखना संभव नहीं हो पा रहा है, जिससे क्रेता या अंतरित व्यक्ति अपने विधिक अधिकारों और लाभों से वंचित हो रहे हैं। उन्होंने इस स्थिति को अत्यंत खेदजनक बताया।

जिलाधिकारी ने बताया कि भूमि अंतरण की सूचना उप-निबंधक के माध्यम से तहसीलदार को उसी दिन मिल जानी चाहिए। साथ ही लेखपाल और पटवारी स्तर से प्राप्त सूचना के आधार पर भी उत्तर प्रदेश भू-राजस्व अधिनियम, 1901 की धारा-34 और पैरा ए-373 (देवेन्यू कोर्ट मैन्युअल) के तहत 30 दिनों (प्रचलन में 35 दिन) के भीतर अगर कोई आपत्ति नहीं आती है, तो नामांतरण आदेश पारित कर देना चाहिए।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि नामांतरण की प्रक्रिया एक अर्द्ध-न्यायिक प्रक्रिया है, जिसका मुख्य उद्देश्य सिर्फ खतौनियों को अद्यतन करना और राजस्व निर्धारण को सुनिश्चित करना होता है। इस प्रक्रिया में पक्षकारों को स्वतः बुलाया जाना जरूरी नहीं है।

जिलाधिकारी ने सभी तहसीलदारों को निर्देशित किया कि गैर-विवादित मामलों का त्वरित निस्तारण करें, और विवादित मामलों में भी शीघ्र सुनवाई कर फैसले सुनाना सुनिश्चित करें। उन्होंने कहा कि इस कार्य में किसी भी प्रकार की लापरवाही क्षम्य नहीं होगी।

अब चौपाल में ही होगा विरासतन का फैसला — जिलाधिकारी ललित मोहन रयाल ने दिए सख्त निर्देश!

जिलाधिकारी ललित मोहन रयाल ने जनहित में विरासतन नामांतरण प्रकरणों के त्वरित निस्तारण हेतु जनपद के सभी उप जिलाधिकारियों, तहसीलदारों तथा राजस्व अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश जारी किए हैं।

उन्होंने कहा कि भूमि स्वामी के निधन के उपरांत विरासत नामांतरण के प्रकरणों में अनावश्यक विलंब अस्वीकार्य है, क्योंकि इससे खातेदारों को सरकारी योजनाओं, मुआवज़े, और सामाजिक लाभों का समय पर लाभ नहीं मिल पाता। उन्होंने निर्देश दिए कि अधिकारी राजस्व ग्रामों में चौपाल लगाकर लंबित विरासत नामांतरण प्रकरणों का स्थलीय स्तर पर निस्तारण सुनिश्चित करें।

जिलाधिकारी ने कहा कि उत्तर प्रदेश भूमि राजस्व अधिनियम-1901 की धारा 33 के तहत यदि मृतक खातेदार के उत्तराधिकारी के संबंध में कोई विवाद नहीं है, तो नामांतरण की प्रक्रिया तत्काल प्रारंभ की जाए और संबंधित अभिलेखों में प्रविष्टि कर 30 दिवस के भीतर पूर्ण निस्तारण किया जाए।

उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि जहां किसी भूमि पर व्यक्तिगत या कानूनी विवाद पाया जाए, वहां तत्काल जांच की जाए और आवश्यकता पड़ने पर प्रकरण तहसील स्तर पर सुनवाई हेतु भेजा जाए।

जिलाधिकारी ने सभी उपजिलाधिकारियों को निर्देश दिए कि राजस्व अधिकारी आगामी 20 दिनों के भीतर सभी ग्रामों में चौपाल आयोजित करें और जनता को विरासत नामांतरण संबंधी प्रक्रिया से अवगत कराएं। साथ ही प्रत्येक तहसीलदार यह सुनिश्चित करें कि विरासत नामांतरण के सभी गैर विवादित प्रकरणों का शीघ्र एवं पारदर्शी निस्तारण किया जाए।

कालाढूंगी के नए उप-जिलाधिकारी बने विपिन चंद्र पंत

जिलाधिकारी रयाल ने एक अन्य आदेश में जानकारी दी कि उप-जिलाधिकारी कालाढूंगी परितोष वर्मा का स्थानांतरण कर दिया गया है। वे अब नगर आयुक्त, नगर निगम हल्द्वानी के पद पर कार्य करेंगे। उनके स्थान पर डिप्टी कलेक्टर विपिन चंद्र पंत, जो वर्तमान में जिला कार्यालय नैनीताल में प्रभारी अधिकारी के पद पर कार्यरत हैं, को कालाढूंगी का नया उप-जिलाधिकारी नियुक्त किया गया है।

जिलाधिकारी ने उन्हें तत्काल कार्यभार ग्रहण करने के निर्देश दिए हैं।

जिलाधिकारी ललित मोहन रयाल ने आदेश जारी करते हुए अवगत कराया है कि उत्तराखण्ड शासन द्वारा उप जिलाधिकारी कालादूँगी परितोष वर्मा का स्थानांतरण नगर आयुक्त, नगर निगम हल्द्वानी के पद पर किया गया है।


शासन के उक्त आदेश के क्रम में मंगलवार को श्री वर्मा को उनके वर्तमान दायित्वों से नवीन तैनाती स्थल हेतु कार्यमुक्त कर दिया गया है।
उन्होंने संबंधित अधिकारी को नगर निगम हल्द्वानी में योगदान हेतु निर्देशित किया गया है।

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