करन माहरा आज संभालेंगे कांग्रेस चीफ का पद..गढ़वाल से ब्राह्मण चेहरा बनेगा कार्यकारी अध्यक्ष ?

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कांग्रेस के नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा आज विधिवत रूप से कार्यभार ग्रहण करेंगे। शनिवार को पीसीसी में नए अध्यक्ष के स्वागत की तैयारियों को अंतिम रूप दिया गया। पार्टी में असंतोष के बीच करन पर कार्यभार ग्रहण कार्यक्रम में अपना दमखम दिखाने की भी चुनौती होगी।

इस कार्यक्रम में जुटने वाली भीड़ के साथ पार्टी विधायक, निवर्तमान पदाधिकारियों की मौजूदगी भी काफी कुछ तय करेगी। निवर्तमान प्रदेश महामंत्री-संगठन विजय सारस्वत ने बताया कि प्रदेशभर से कार्यकर्ता शामिल होंगे। कुमाऊं से आने वाले कार्यकर्ताओं के लिए हरिद्वार में श्री जयराम आश्रम, राधाकृष्ण धाम-भूपतवाला और खड़खड़ी स्थित चेतन ज्योति आश्रम में व्यवस्था की गई है। जबकि, गढ़वाल से आने वाले कार्यकर्ताओं के लिए ऋषिकेश में दो आश्रम में व्यवस्था है।

जानकारी के अनुसार आज प्रदेश अध्यक्ष करन माहरा देहरादून में पदभार ग्रहण करेंगे। इस दौरान उनके पदभार ग्रहण समारोह में प्रदेश प्रभारी देवेंद्र यादव भी मौजूद रहेगें।
इससे पहले दोपहर करीब 12 बजे करन माहरा व प्रदेश प्रभारी देवेद्र यादव और नेता प्रतिपक्ष यशपाल आर्य जौलीग्रांट एयरपोर्ट पर पहुंचे। जहां पर कार्यकताओं ने उनका स्वागत किया।

गढ़वाल से ब्राह्मण चेहरा कार्यकारी अध्यक्ष

प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और विधायक दल उपनेता की नियुक्ति से उपजे क्षेत्रीय असंतुलन को पाटने को कांग्रेस गढ़वाल से कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त कर सकती है। जातीय गणित के अनुसार, पार्टी में किसी ब्राह्मण नेता को यह जिम्मेदारी मिलने की संभावना है। कांग्रेस सूत्रों ने इसकी पुष्टि की। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार पार्टी में असंतोष की बात सामने आई हैं, उसे देख इस पहलू पर विचार हो रहा है।

उत्तराखंड की राजनीति में क्षेत्रीय और जातीय राजनीति गढ़वाल-कुमाऊं और ब्राह्मण-ठाकुर के ईद-गिर्द घूमती है। यहां सरकार बनने पर सीएम और प्रदेश अध्यक्ष और विपक्ष में रहने पर प्रदेश अध्यक्ष एवं नेता प्रतिपक्ष का पद इसी फार्मूले से तय होता आया है। कांग्रेस ने इस बार जिन नेताओं को प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष और विधायक दल का उप नेता बनाया, वो सभी कुमाऊं मंडल से आते हैं।

गढ़वाल मंडल के कांग्रेस नेता इसे अपनी उपेक्षा के रूप में देख रहे हैं। इसे लेकर कई इस्तीफे भी हो चुके हैं। राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी तक को पत्र भेज भूल सुधारने का अनुरोध किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार, हाईकमान तीनों पदों पर नियुक्तियों के फैसले पर तो अडिग है, लेकिन असंतोष पाटने के लिए नया रास्ता भी निकाला जा रहा है।

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