इन्फ्लुएंसर तनु रावत फिर विवादों में_वायरलिटी का नशा..?

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ऋषिकेश – सोशल मीडिया स्टार तनु रावत एक बार फिर अपने नए इंस्टा वीडियो को लेकर विवादों के केंद्र में हैं। बीती रात राष्ट्रीय हिंदू शक्ति संगठन के कार्यकर्ता तनु रावत के घर पहुंचे और उनके वीडियो पर कड़ा विरोध जताया। मामला इतना बढ़ गया कि दोनों पक्षों के बीच तेज बहस तक हो गई।

संगठन का आरोप है कि तनु रावत ने जिस जगह यह वीडियो शूट किया है, वह जय राम योग आश्रम परिसर में स्थित फ्लैट है एक ऐसा स्थान, जिसका उद्घाटन स्वयं स्वामी अवधेशानंद गिरि महाराज ने किया था। उनका कहना है कि “आश्रम जैसे पवित्र स्थल” में तनु रावत छोटे कपड़ों में रील्स बना रही हैं, जिससे धार्मिक भावनाएं आहत हुई हैं।

प्रदेश अध्यक्ष राघव भटनागर का कहना है, “जय राम योग आश्रम राम के नाम से जुड़ा है। यह भक्ति का केंद्र है, न कि रील शूट का सेट। तनु रावत पूरे कंपाउंड में छोटे कपड़ों में घूमकर वीडियो बनाती हैं, छत पर अशोभनीय डांस करती हैं और कोई उन्हें रोकता नहीं।”

कौन हैं तनु रावत?

तनु रावत ऋषिकेश की जानी-मानी इंफ्लुएंसर और यूट्यूबर हैं। उनके यूट्यूब पर 4.55 मिलियन सब्सक्राइबर्स और इंस्टाग्राम पर 5 मिलियन फॉलोअर्स हैं।
वह पारंपरिक लुक में शिव-कृष्ण भक्ति गीतों पर डांस कर के प्रसिद्ध हुईं, लेकिन उनके कई बॉलीवुड डांस वीडियो भी चर्चा में रहते हैं। जानकारों के मुताबिक, उनकी मासिक कमाई 15 से 20 लाख रुपये के बीच बताई जाती है।

क्या ऋषिकेश अब ‘कसोल’ की राह पर?

यह विवाद अब एक बड़ा सांस्कृतिक सवाल भी खड़ा कर रहा है क्या ऋषिकेश, जिसे धर्मनगरी कहा जाता है, धीरे-धीरे ‘कसोल कल्चर’ की ओर बढ़ रहा है?
जहां कभी संतों की साधना गूंजती थी, वहीं अब हरियाणा, पंजाब और यूपी से आने वाले युवा रील्स, पार्टी और कैफे कल्चर में खोते जा रहे हैं।

स्थानीय लोग मानते हैं कि तेजी से बढ़ते टूरिज्म और सोशल मीडिया ट्रेंड्स ने शहर की आध्यात्मिक पहचान को धुंधला करना शुरू कर दिया है।

कसोल जैसी छवि बदलने की चिंता

हिमाचल का कसोल आज “पार्टी डेस्टिनेशन” के रूप में कुख्यात है वहां गांजा, शराब और विदेशी टूरिस्ट कल्चर का बोलबाला है।

ऋषिकेश के जानकारों को डर है कि अगर प्रशासन ने कानूनी और सांस्कृतिक मर्यादा नहीं बनाई, तो यह पवित्र भूमि भी ‘रील नगरी’ बन जाएगी
जहां भक्ति की जगह लाइट, कैमरा और हॉट कॉन्टेंट हावी होगा।

तनु रावत का विवाद सिर्फ एक रील का नहीं, बल्कि यह उस सांस्कृतिक दोराहे की कहानी है, जहां ऋषिकेश जैसी धर्मनगरी को यह तय करना होगा….

“भक्ति चाहिए या वायरलिटी?

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