अखिल भारतीय किसान महासभा द्वारा अपने पूर्व घोषित कार्यक्रम के तहत खत्तावासियों- गुर्जरों – वन ग्रामों के निवासियों के अधिकारों के लिए विशाल रैली का आयोजन किया गया। रैली गांधी इंटर कालेज, बरेली रोड, हल्द्वानी से नैनीताल रोड मुख्य मार्ग से नारेबाजी करते हुए जिलाधिकारी नैनीताल के कैम्प कार्यालय हल्द्वानी पहुंची।
जब कैंप कार्यालय का गेट खोलने को जिला प्रशासन तैयार नहीं हुआ तो वहीं गेट के सम्मुख सभा शुरू कर विरोध दर्ज किया गया। जिसके उपरांत जिलाधिकारी द्वारा गेट पर आकर उत्तराखण्ड सरकार के मुख्यमंत्री को संबोधित ज्ञापन लिया गया। जिसकी प्रतिलिपि कुमाऊँ कमिश्नर व जिलाधिकारी नैनीताल को भी दी गई।
जिलाधिकारी नैनीताल कैंप कार्यालय हल्द्वानी के गेट पर हुई संक्षिप्त सभा में अपना वक्तव्य रखते हुए भाकपा (माले) राज्य सचिव राजा बहुगुणा ने कहा कि,”जिला प्रशासन का गेट बंद करने का रवैया तानाशाही का परिचायक है। जिला प्रशासन ने लिखित सूचना के उपरांत भी जिस तरह का व्यवहार किया है वह अशोभनीय और अलोकतांत्रिक है। इसके लिए जिलाधिकारी नैनीताल को माफी मांगनी चाहिए।” उन्होंने कहा कि,”भाजपा की सरकारें जनता की समस्याओं का समाधान करने के स्थान पर उनके बीच सांप्रदायिक विभाजन करने में लगी हैं। गुर्जर -खत्तावासी इसका प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। भाजपा सांसद और केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय भट्ट द्वारा केंद्रीय वन मंत्री को दिए गए ज्ञापन में गुर्जर खत्तों को अन्य गोठ व खत्तों से अलग करना इस नीति का जीता जागता उदाहरण है। लेकिन खत्तावासियो – गुर्जरों की आज की एकता ने दिखा दिया है कि संघ भाजपा की विभाजन की राजनीति को ध्वस्त कर एकता और संघर्ष के दम पर ही अपने अधिकारों को हासिल किया जा सकता है।”
उन्होंने कहा कि,”जोशीमठ आपदा से निपटने में यह सरकार पूरी तरह अक्षम साबित हुई है और अपनी नाकामियों को जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के नेताओं को बदनाम करने की हताश कोशिश के जरिए छुपाने की कोशिश कर रही है। जिसका जोशीमठ की संघर्षशील जनता ने मुंहतोड़ जबाव दिया है। यही जवाब गुर्जरों खत्तावासियो को भी इस सरकार को देना होगा।”
अखिल भारतीय किसान महासभा के प्रदेश उपाध्यक्ष बहादुर सिंह जंगी ने सवाल उठाते हुए कहा कि, “ये कैसा अमृत काल है? जिसमें आज़ादी के 75 साल बाद भी नैनीताल उधमसिंहनगर जिलों की हजारों की आबादी मूलभूत नागरिक अधिकारों से वंचित क्यों हैं? देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तराखण्ड सरकार के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को इसका जवाब देना चाहिए।”
वक्ताओं ने कहा कि, “नैनीताल, उधम सिंह नगर व चम्पावत जिलों के वनों मे रहने वाले वनगुर्जर, पहाड़ी, थारू जनजाति व अन्य जो कम से कम 40 वर्षाें से लेकर 100, 125, 150 वर्षाें से भी अधिक समय से स्थायी रूप से वन खत्तों में रह रहे हैं। वनगुर्जर तो उत्तराखण्ड में सन् 1880 से करीब 150 वर्षों से निवास करते आ रहे हैं, जिनका नाम देश की आजादी के बाद से आज तक परिवार रजिस्टर भाग-2 में दर्ज नहीं हुआ है, न ही स्थायी निवास, जाति प्रमाण पत्र बन पाए हैं। इसके लिए वनवासियों को दर-दर की ठोकरें खानी पड़ रही हैं।
वनवासियों के बच्चे स्कूलों के अभाव में शिक्षा नही ले पा रहे हैं, जो मुश्किलों में पढ़ भी रहे हैं तो परिवार रजिस्टर में नाम दर्ज नहीं होने, स्थायी निवास व जाति प्रमाण पत्र न बन पाने से उन्हें शिक्षा अधर में ही छोड़नी पड़ रही है।जंगलों के बीच रहने वाली हजारों नागरिकों की आबादी आजादी के 75 वर्षाें बाद भी अपने मूलभूत नागरिक अधिकार नहीं पा सकी है। क्या इतनी बड़ी आबादी को मूलभूत अधिकारों से वंचित किया जाना चाहिए? यह देश के लोकतंत्र पर ही सवाल है।”
किसान महासभा ने दो महीने का अल्टीमेटम देते हुए कहा कि यदि दो माह में समस्याओं का समाधान न हुआ तो गोठ व खत्ता वासियों, वन गुर्जरों को बड़े जन आंदोलन के लिए बाध्य होना पड़ेगा। जिसकी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।
रैली व प्रदर्शन में बहादुर सिंह जंगी, राजा बहुगुणा, किसान महासभा के नैनीताल जिला अध्यक्ष भुवन जोशी, मो कासिम, बाबू गुर्जर, इनाम अली, गुलाम हुसैन, आनन्द सिंह सिजवाली, अली हसन, शमशेर अली, रेखा आर्य, डा कैलाश पाण्डेय, ललित मटियाली, पुष्कर दुबड़िया, विमला रौथाण, आलमगीर, दीवान सिंह, रहमत अली, ऐक्टू जिलाध्यक्ष जोगेन्दर लाल, पान सिंह,कुंदन सिंह, गुलाम मुस्तफा, हयात राम, नवीन मेहरा, प्रेम सिंह, गोपाल सिंह, त्रिलोक राम आर्य, मदन सिंह, दयाकिशन भट्ट, अली शेर, शमशाद, किशन बघरी, किशन सिंह जग्गी, कमल जोशी, चंद्रा, आइसा नेता धीरज कुमार, विकास सक्सेना, दिव्या पनेरु, गोविन्द सिंह जीना, निर्मला शाही, आनन्द दानू, त्रिलोक सिंह, पान सिंह दानू, मनोज आर्य, प्रमोद कुमार, बिशन दत्त जोशी, प्रवीण दानू, मो यामीन, गुलाम, सुधा देवी, गंगा सिंह आदि समेत सैकड़ों खत्तावासी शामिल रहे।
रैली के माध्यम से उठाई गई मांगें:
• वनाधिकार कानून के तहत भरे गए व्यक्तिगत और सामूहिक दावों के आधार पर वन खत्तावासियों और गुर्जरों को भूमि का मालिकाना हक दिया
जाय।
• बिंदुखत्ता समेत सभी खत्तों, वन ग्रामों को राजस्व ग्राम घोषित किया जाय।
• हजारों वन गुर्जरों, गोठ खत्तावासियों को मूलभूत नागरिक अधिकारों पर लगाई गई रोक हटाई जाए और वंचित रह गए हजारों वनवासियों को भी नागरिक अधिकार दिये जाने के आदेश पारित किया जाए।
• वनों में रहने वाले नागरिकों के लिए परिवार रजिस्टर, जन्म-मृत्यु प्रमाण पत्र, स्थायी निवास, जाति प्रमाण पत्र बनाये जाने के आदेश पारित किया
जाए। वनखत्तों में छूट गये सैकड़ों परिवारों के राशन कार्ड भी बनाएं जाएं।
• वन गुर्जरों के साथ भेदभाव, दमन- उत्पीड़न बंद किया जाए उन्हें भी चारा-फसल बोने का अधिकार दिया जाए।
• प्रधानमंत्री स्वच्छ भारत मिशन के तहत वनों में रहने वाले वन गुर्जर, गोठखत्तावासी, वनग्रामवासियों के लिए शौचालय बनाये जाने का आदेश
पारित किया जाए।
• दिवाल खत्ता (वनगुर्जर) ग्राम पंचायत लामाचौड़ खास के दक्षिण में बसे वन गुर्जर, नहरखत्ता, वन गुर्जर कलेगा खत्ता (हंसपुर) स्कूल, कोटाबाग
विकासखण्ड तहसील कालाढूंगी के अंतर्गत वन गुर्जर खत्ते, बौर खत्ता, नलवाड़ खत्ता तथा रायखत्ता (गड़प्पूखत्ता) के पेयजल संकट के समाधान
के लिए इंडिया मार्का हैंड पम्प लगाए जाएं।
• लूनियागाँज वन गुर्जर खत्ता, नलवाड़ व रायखत्ता (गड़प्पू), तहसील गदरपुर के अंतर्गत ग्राम पंचायत कूल्हा से जुड़े वनगुर्जर खत्ता, हल्दूझद्दा,
टांडा वन रेंज, भूड़ा खत्ता, नहर खत्ता में आवश्यकतानुसार प्राथमिक व उच्च प्राथमिक स्कूल खोले जाए। साथ ही भूड़ा खत्ता के मिनी
आंगनबाड़ी केंद्र को उच्चीकृत किया जाय।
• पटरानी, पुछड़ी समेत सभी वन ग्रामों को राजस्व ग्राम बनाए जाने की प्रक्रिया शुरू की जाय। पुछड़ी वन ग्राम में फेंके जा रहे कूड़े का निस्तारण
एन.जी.टी. के मानकों के आधार पर किया जाय।
• पटरानी समेत कार्बेट पार्क के अंतर्गत आने वाले सभी वन ग्रामों में जंगली जानवरों से सुरक्षा के लिए सोलर फैंसिंग की जाय।
• सभी वन प्रभागों के गेटों से वन गुर्जर खत्ता, गोठखत्तावासियों, वनग्रामवासियों के गैर व्यवसायिक वाहनों से शुल्क लेना बंद किया जाए।
• बिंदुखत्ता में गौला नदी, पुछड़ी वन ग्राम में कोसी नदी और पीपलपड़ाव खत्ता के उत्तर दिशा से भाखड़ा नदी में स्थाई तटबंध बनाए जाए।
• क्षेत्र में सांस, कैंसर, दमा जैसी बीमारियों का स्रोत बन चुकी सेंचुरी पल्प एण्ड पेपर मिल लालकुआं के जल एवं वायु प्रदूषण पर रोक लगाई जाए
और घोड़ानाला में जा रहे प्रदूषित नाले को भूमिगत किया जाय।
• तराई पूर्वी वन प्रभाग के अंतर्गत गौला रेंज में टीला खत्ता, वनगुर्जर, डौली रेंज के अंतर्गत खमारी खत्ता वनगुर्जर, पक्की पुलिया, चौड़ाघाट तथा
बौड़खत्ता के दक्षिण में बसे वनगुर्जर परिवारों को अविलम्ब सौर ऊर्जा पैनल दिये जाएं व सभी खत्तों में खराब पड़े सौर ऊर्जा पैनल व खराब
बैटरियों को बदल कर नये दिये जाऐं।
• जौलासाल खत्ता, हंसपुर खत्ता व कड़ापानी खत्ता की पुर्नवास की मांग पर कार्यवाही करते हुए पुर्नवास किया जाए।
• विकराल होती जा रही आवारा पशुओं की समस्या का समाधान किया जाए। गौ रक्षा कानून रद्द किया जाए।
• केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तावित वन संरक्षण नियम 2022 रद्द किया जाय।
बहादुर सिंह जंगी
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