उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने आय से अधिक सम्पति अर्जित करने के आरोपी पूर्व अपर सचिव राम विलास यादव की शार्टटर्म जमानत प्राथर्नापत्र स्वीकार कर ली है। न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की एकलपीठ ने उन्हें अपने उपचार के लिए 20 दिन की शार्ट टर्म जमानत दी है। एकलपीठ ने कहा कि बिना उनकी अनुमति के देश से बाहर न जायँ। जमानत की अवधि समाप्त होते ही जेल प्रशासन के सम्मुख सरेंडर करें। मामले में अगली सुनवाई 21 अगस्त की तिथि तय की है।
शार्टटर्म जमानत प्राथर्नापत्र में कहा गया है कि उनका स्वास्थ्य ठीक नही है उन्हें उपचार के लिए गंगाराम और एम्स देहली जाना है, इसलिए उन्हें एक माह की शार्टटर्म जमानत दी जाय। सरकार ने इसका विरोध करते हुए कहा कि एक माह का समय अधिक है, उन्हें 15 दिन का समय दिया जाय जिसपर न्यायालय ने उन्हें 20 दिन की शार्ट टर्म जमानत दे दी।
पुर्व आई.ए.एस.अधिकारी राम विलास यादव उत्तराखंड सरकार में समाज कल्याण विभाग में अपर सचिव के पद पर कार्यरत थे। इससे पहले वे उत्तर प्रदेश सरकार में लखनऊ विकास प्राधिकरण के सचिव भी रह चुके हैं। इनके खिलाफ लखनऊ में एक व्यक्ति द्वारा आय से अधिक सम्पति रखने की शिकायत दर्ज की थी। जिसके आधार पर उत्तराखंड सरकार ने जाँच शुरू की।
विजिलेंस टीम ने इनके लखनऊ, देहरादून और गाजीपुर ठिकानों पर छापा मारा जिसमें सम्पति से सम्बन्धी कई दस्तावेज मिले। जाँच करने पर इनके खिलाफ आय से 500 गुना अधिक सम्पति मिली। इसके आधार पर सरकार ने इनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया ।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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