उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बागेश्वर के कपकोट में खनन माफियाओं द्वारा अवैध रूप किए जा रहे खड़िया खनन के मामले में दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए जिलाधिकारी, प्रभागीय वनाधिकरी और एस.डी.एम.से तीन सप्ताह के भीतर अपनी रिपोर्ट पेश करने को कहा है।
कार्यवाहक मुख्य न्यायधीश मनोज कुमार तिवारी और न्यायमूर्ति विवेक भारती शर्मा की खण्डपीठ ने अगली सुनवाई 28 दिसम्बर को तय की है।
कोर्ट कमिश्नर ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि जिस खनन वाले स्थल पर पट्टे दिए गए थे, खनन कारोबारियों ने वहां उससे अधिक भारी मशीनों से खनन कर दिया दिया। जिसकी वजह से पहाड़ों को खतरा हो सकता है। पहाड़ों पर भारी मशीनों से खनन करना पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड(पी.सी.बी.)की नियमावली के विरुद्ध है।
मामले के अनुसार, बागेश्वर निवासी हीरा सिंह पपोला ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा है कि बागेश्वर जिले की तहसील कपकोट के रिमाघाटी, गुलामप्रगड और भीयूँ गाँव में सरकार ने खनन पट्टा दिया है। जिसमे खनन माफिया द्वारा मात्रा से अधिक अवैध रूप से खनन किया जा रहा है और अवैध खनन को बाहर ले जाने के लिए वन भूमि में अवैध रूप से सड़क भी बना ली गई है।
अंधाधुंध हो रहे खनन के चलते गाँव के जलस्रोत सूखने की कगार पर पहुँच चुके हैं। याचिकाकर्ता का कहना है कि अवैध रूप से किए जा रहे खनन से होने वाले दुष्प्रभाव से गाँव को बचाया जाए।
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