उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने किच्छा नगरपालिका के सिरौलीकलां वार्ड को नगर पंचायत बनाए जाने के खिलाफ दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। मामले की सुनवाई के बाद मुख्य न्यायधीश विपीन सांघी और न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ ने सरकार को निर्देश दिए हैं कि जबतक जनहित याचिका उच्च न्यायलय में विचाराधीन है तबतक इसे नगर पालिका का क्षेत्र मानते हुए यहाँ पर सभी विकास कार्य किए जाएं। न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई जुलाई माह में तय की है।
याचिकाकर्ता के अनुसार 12 नवम्बर 2021 को न्यायालय ने इसे नगर पंचायत बनाने के नोटिफिकेशन पर रोक लगा दी थी। तभी से सरकार ने नगरपालिका परिक्षेत्र में कराए जा रही सरकारी योजनाओ का लाभ इन्हें नहीं दिया जा रहा है, क्योंकि यह मुस्लिम आबादी वाला क्षेत्र है। जनहित याचिका में यह भी कहा गया है कि हमारे क्षेत्र में सभी सुविधाएं उपलब्ध हैं, जैसे स्कूल, हॉस्पिटल, बैंक, स्वच्छ सड़कें, हिंदी व कॉन्वेंट स्कूल, डेयरी व अन्य । सरकार उन्हें सरकारी योजनाओ से वंचित कर रही है।
किच्छा सिरौली निवासी नईमुलशान खान (एन यू खान) ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर कर कहा कि किच्छा नगर पालिका क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले सिरौली को नगर पंचायत में शामिल करने पर 2021 में रोक लगा दी थी, तभी से सिरौली में जनहित में होने वाले विकास कार्य ठप पड़े हुए है। आधे अधूरे विकास कार्यों के चलते सिरौली के लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।
याचिकाकर्ता का कहना है कि अन्य क्षेत्रों की तरह सिरौली में नगर पालिका द्वारा विकास कार्य कराए जाएं ताकि सिरौली के लोगों को सुविधाएं मिल सके।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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