उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने बागेश्वर के कपकोट में खनन माफियाओ द्वारा अवैध खड़िया खनन संबंधी जनहित याचिका में सुनवाई करते हुए राज्य पर्यवारण विभाग से चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा है। मुख्य न्यायधीश रितु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद के लिए तय की है।
पूर्व में न्यायालय ने इस मामले में कोर्ट कमीशन कराकर, उसकी जाँच रिपोर्ट के आधार पर जनहीत याचिका को यह कहते हुए निस्तारित कर दिया था कि स्टेट इन्वायरमेंट इम्पेक्ट असिसमेन्ट अथॉरिटी इसमे निर्णय लेगी। लेकिन इस आदेश को याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को वापस उच्च न्यायलय भेज दिया, साथ ही खनन पर रोक जारी रखी।
सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर आज उच्च न्यायालय ने दोबारा मामले की सुनवाई करते हुए राज्य पर्यावरण विभाग से चार सप्ताह में जवाब पेश करने को कहा।
मामले के अनुसार बागेश्वर निवासी हीरा सिंह पपोला ने उच्च न्यायालय में जनहित याचिका दायर की। उन्होंने न्यायालय से कहा कि बागेश्वर के कपकोट के रिमाघाटी, गुलामप्रगड व भीयूँ गाँव में सरकार ने खनन पट्टा दिया है। इसमें, खनन माफिया ने मात्रा से अधिक अवैध खनन किया और अवैध खनन सामग्री को बाहर ले जाने के लिए वन भूमि में अवैध रूप से सड़क भी बना दी। अंधाधुंध हो रहे खनन के चलते गाँव के जलस्रोत सूखने लगे हैं। याचिकाकर्ता ने प्रार्थना की है कि अवैध रूप खनन से होने वाले दुष्प्रभाव से गाँव को बचाया जाए।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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