उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हल्द्वानी के मंगल पड़ाव से रोड़वेज बस स्टेशन तक सड़क चौड़ीकरण और सौन्दर्यकरण मामले में जिला प्रशासन और नगर निगम से कहा कि अतिक्रमण की जद में आ रहे प्रत्येक भवन स्वामियों सहित किरायेदारों के मामले में अलग अलग शपथपत्र पेश करें।
मुख्य न्यायधीश ऋतु बाहरी और न्यायमूर्ति राकेश थपलियाल की खण्डपीठ ने नगर निगम और लोक निर्माण विभाग की तरफ से अतिक्रमणकारियों को दिए नोटिस पर सुनवाई करते हुए 14 अक्टूबर को अगली सुनवाई तक यथास्थिति बनाए रखने को कहा है।
मामले के अनुसार हल्द्वानी में मंगल पड़ाव से लेकर रोडवेज स्टेशन तक सड़क चौड़ीकरण की जद में आ रहे 67 भवन स्वामियों ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की। याचिका में कहा गया कि नगर निगम और लोक निर्माण विभाग ने उन्हें नोटिस जारी कर 4 अगस्त तक चिन्हित अतिक्रमण को स्वयं हटाने को कहा था।
प्रार्थनापत्र में आगे कहा गया कि 20 अगस्त को उच्च न्यायलय ने जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए कहा था कि अगर किसी अतिक्रमणकारी का हित प्रभावित होता है तो वे उचित फोरम या न्यायालय में जा सकते हैं। अभी तक न्यायालय का आदेश नहीं आया जबकि निगम और लोक निर्माण विभाग ने उन्हें 4 अगस्त तक स्वयं चिन्हित अतिक्रमण को हटाने के निर्देश दे दिये, जो गलत है और अभी तक उनका पक्ष ही नहीं सुना गया।
मामले के अनुसार हल्द्वानी की नया सवेरा सोसाइटी ने जनहित याचिका दायर कर कहा कि चौड़ीकरण के नाम पर अतिक्रमण हटाने की कार्यवाही 29 दिसंबर 2023 से शुरू हुई। जिसके तहत हल्द्वानी में अतिक्रमण हटाने और सड़क चौड़ीकरण का काम ठीक से नहीं किया गया। इसमें प्रशासन ने महज खानापूर्ति की है, जिसके कारण मंगल पड़ाव और नैनीताल बरेली बस अड्डा अभी भी जैसा का तैसा बना हुआ है।
इसकी वजह से हर जगह ट्रैफिक जाम की स्थिति बनी रहती है। इससे क्षेत्रीय जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। याचिका में कहा गया कि जिला प्रशासन ने सड़क चौड़ीकरण की जद में आ रही सरकारी सम्पत्तियों को तो हटा दिया लेकिन निजी भूमि में बने होटलों और दुकानदारों को महज नोटिस देकर खानापूर्ति कर ली।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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