उत्तराखंड उच्च न्यायलय ने पुलिस के याचिकाकर्ता का शोषण, प्रताड़ित करने और राज्य मनवाधिकार आयोग द्वारा चार साल के बाद भी उनकी शिकायत नहीं सुनने के मामले में राज्य मानवाधिकार आयोग को शिकायत सुनने और उसका चार सप्ताह में निस्तारण करने के निर्देश दिए हैं। मामले की सुनवाई वरिष्ठ न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकलपीठ में हुई।
मामले के अनुसार हल्द्वानी के चोरगलिया निवासी भुवन चन्द्र पोखरिया ने याचिका दायर कर कहा कि चोरगलिया में अवैध खनन, भंडारण, स्टोन क्रशर, एन.जी.टी.और उच्च न्यायलय के आदेशों की अवहेलना करने के मामले में उन्होंने जनहित में आवाज उठाई।
चोरगलिया पुलिस ने उनके खिलाफ आई.पी.सी.की अलग अलग धाराओं और गुंडा एक्ट में मुकदमा दर्ज कर दिया। यही नहीं, पुलिस ने बिना उपयोग किये उनका लाइसेंसी शस्त्र जमा कराकर लाइसेंस निरस्त कर दिया। बार बार उन्हें थानों व न्यायलयों में लेजाकर प्रताड़ित किया गया, जिसकी वजह से उनकी सामाजिक छवि धूमिल हुई है।
भुवन ने पुलिस प्रताड़ना के खिलाफ जुलाई 2020 में इन अधिकारियों की शिकायत राज्य मानवाधिकार आयोग में की, लेकिन चार साल बीत जाने के बाद भी राज्य मानवाधिकार आयोग ने न तो उनकी शिकायत पर सुनवाई की और न ही प्रताड़ित करने वाले अधिकारियों पर कोई कार्यवाही की।
याचिका में न्यायालय से प्रार्थना की गई है कि राज्य मानवाधिकार आयोग में उनकी शिकायतों पर शीघ्र सुनवाई और प्रताड़ित करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कार्यवाही करने की मांग की गई है। याचिकाकर्ता ने अपने केस की पैरवी न्यायलय में खुद ही की।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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