उत्तराखंड में लोकायुक्त नियुक्ति पर हाईकोर्ट ने सरकार को स्थिति स्पष्ट करने के दिए निर्देश

उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने प्रदेश का लोकायुक्त नियुक्त नहीं किये जाने संबंधी रवि शंकर जोशी की जनहीत याचिका में अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद के लिए तय की है।मुख्य न्यायधीश जी नरेंद्र और न्यायमूर्ती आशीष नैथानी की खण्डपीठ के सम्मुख सरकार की तरफ से चीफ सैकेट्री का पूर्व के आदेश का अनुपालन करते हुए शपथपत्र पेश किया गया, जिसमें कहा गया कि न्यायालय के आदेश के अनुक्रम में लोकायुक्त की नियुक्ति करने के लिए राज्य सरकार ने सर्च कमेटी गठित की है।
इस समिति की बीती 22 फरवरी को एक बैठक हो चुकी है। राज्य सरकार लोकायुक्त नियुक्त करने के लिए लोकायुक्त एक्ट के प्रावधानों का पूर्ण रूप से पालन कर रही है। खण्डपीठ ने सरकार से अगली तिथि तक स्थिति स्पष्ट करने को कहा।
मामले के अनुसार, गौलापार निवासी रवि शंकर जोशी ने जनहित याचिका में कहा कि राज्य सरकार ने अभी तक लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं की है। जबकि, संस्थान के नाम पर वार्षिक 2 से 3 करोड़ रुपए खर्च हो रहा है। जनहित याचीका में कहा गया है कि कर्नाटक और मध्य प्रदेश में लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार के विरुद्ध कड़ी कार्यवाही की है, लेकिन उत्तराखंड में तमाम घोटाले हो रहे हैं।
जनहित याचिका में यह भी कहा गया कि वर्तमान में राज्य की सभी जांच एजेंसी सरकार के अधीन हैं, जिसका पूरा नियंत्रण राज्य के हाथों में है। स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच के नाम पर प्रचारित किया जाने वाला विजिलेंस विभाग भी राज्य पुलिस का ही हिस्सा है, जिसका सम्पूर्ण नियंत्रण पुलिस मुख्यालय, सतर्कता विभाग या मुख्यमंत्री कार्यालय के पास ही रहता है। पूर्व में न्यायालय ने लोकायुक्त नियुक्त करने के लिए सरकार को निर्देश दीए थे, लेकिन अभी तक उस आदेश का न तो अनुपालन हुआ और न ही लोकायुक्त की नियुक्ति हुई ।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती



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