उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय ने कालाढूंगी से बाजपुर के मध्य किये जा रहे पेड़ों के अवैध कटान मामले में स्वतः संज्ञान संबंधी जनहित याचिका में अपना निर्णय सुनते हुए राज्य सरकार को जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही करने के निर्देश दिए हैं। खंडपीठ ने याचिका को निस्तारित कर दिया है।
मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति शरद कुमार शर्मा और न्यायमूर्ति पंकज पुरोहित की खण्डपीठ ने सरकार से कहा कि वो न्यायालय में मौजूद अवैध लकड़ी कटान जारी रखने के आरोपी सभी जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ़ गवर्नमेंट सर्वेंट अनुशासनात्मक और अपील अधिनियम 2003 के तहत कार्यवाही करें।
उन्होंने अधिकारियों के व्यवहार को दुराचार(मिसकंडक्ट)बताया क्योंकि उन्हें नियमों की जानकारी होती है और जानने के बावजूद गलत करते हैं। न्यायालय ने कहा कि ई-रिक्शा, मोटरसाइकिल, साइकिल और ट्रांसपोर्ट के अन्य माध्यमों से सूखकर स्वतः गिरी लकड़ी के बजाए काटी गई लकड़ी ले जाने के साफ साक्ष्य मिले हैं।
न्यायालय ने अवैध कटान के लिए प्रमुख सचिव वन समेत जिम्मेदार अधिकारियों और संबंधित डी.एफ.ओ.को जिम्मेदार माना है। इन अधिकारियों ने अपनी ड्यूटी समझने के बावजूद समय के लंबे अंतराल से ये गड़बड़ियां होने दी हैं। खण्डपीठ ने राज्य सरकार को इन अधिकारियों के खिलाफ कड़े कदम उठाने के निदेश दिए हैं।सुनवाई के बाद न्यायालय ने याचिका को निस्तारित कर दिया है।
वरिष्ठ पत्रकार कमल जगाती
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