हरक सिंह रावत की हनक_ अगर ऐसा हुआ, तो राजनीति से संन्यास ले लूंगा..


उत्तराखंड की सियासत में उस वक़्त हलचल मच गई जब कांग्रेस के कद्दावर नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री हरक सिंह रावत ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में राजनीतिक संन्यास का ऐलान कर दिया। उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा “अगर इस केस में दोषी साबित हुआ तो राजनीति से हमेशा के लिए किनारा कर लूंगा!”
प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने शुक्रवार को देहरादून की विशेष अदालत में हरक सिंह रावत, उनकी पत्नी दीप्ति रावत समेत कुल 5 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की। यह मामला चर्चित मनी लॉन्ड्रिंग से जुड़ा है जिसमें रावत पर गंभीर आरोप लगे हैं। इन सबके परे अगर बात करें तो हरक सिंह की हनक और तेवर बरकरार है। जिस बेबाकी और साफगोई के लिए वो जाने जाते हैं।
ईडी पर तीखा हमला, भाजपा पर साधा निशाना
देहरादून स्थित कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय में आयोजित एक प्रेस वार्ता में रावत ने केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए आरोप लगाया कि “अगर मैं आज भाजपा में होता, तो मुझे इस तरह से निशाना नहीं बनाया जाता। कांग्रेस में आते ही ईडी मेरे पीछे पड़ गई है। यह विपक्ष को दबाने की सुनियोजित साज़िश है।”
“ईडी अधिकारियों को भुगतना पड़ेगा अंजाम”
हरक सिंह रावत यहीं नहीं रुके उन्होंने ईडी अधिकारियों को चेतावनी भरे लहजे में कहा कि “बिना वजह मुझे पुराने मामलों में फंसाया जा रहा है। इसका अंजाम ईडी के अधिकारियों को भुगतना पड़ेगा।”
उन्होंने दावा किया कि अब तक विपक्षी नेताओं पर ईडी द्वारा जितने भी केस दर्ज किए गए हैं, उनमें से केवल दो मामलों में ही सजा हुई है, जो एजेंसी की निष्पक्षता पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।
क्या यह राजनीतिक बदले की कार्रवाई है?
हरक सिंह रावत के इन तीखे तेवरों ने प्रदेश की राजनीति में नई बहस को जन्म दे दिया है। क्या वाकई केंद्रीय एजेंसियों का दुरुपयोग हो रहा है? क्या विपक्षी नेताओं को जानबूझकर टारगेट किया जा रहा है?
फिलहाल, सभी की निगाहें अदालत की कार्यवाही और ईडी की अगली कार्रवाई पर टिकी हुई हैं। हरक सिंह रावत के इस ऐलान से उत्तराखंड की राजनीति में एक नया मोड़ आता दिख रहा है।


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