Haldwani – मौत के मोड़ पर कौन जिम्मेदार ? सिस्टम की लापरवाही ने पूरा परिवार उजाड़ दिया..

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हादसे के बाद दिखावे की जांच और दौरे, जनता बोली -अब किसे बचाओगे?


क्या मौत का इंतज़ार कर रहा था सिस्टम? बारिश के बीच हल्द्वानी के फायर ब्रिगेड कार्यालय के सामने एक नहर में कार गिरने से एक नवजात समेत चार लोगों की दर्दनाक मौत हो गई। ये हादसा नहीं, सिस्टम की मार है। हादसे की जगह कोई पहली बार हादसा नहीं हुआ, फर्क इतना है कि इस बार चार लाशें बह गईं, तब जाकर अफसरों की आंखें खुलीं।

सितारगंज बरा निवासी परिवार एसटीएच से नवजात को लेकर घर लौट रहा था। कार जैसे ही तीव्र मोड़ पर पहुंची, बारिश और कीचड़ के बीच फिसली और सीधे नहर में समा गई। कोई रेलिंग नहीं, कोई स्ट्रीट लाइट नहीं, कोई चेतावनी चिन्ह नहीं,इस मोड़ पर सुरक्षा नाम की चीज़ कभी थी ही नहीं।

स्थानीय लोग बरसों से इस मोड़ की खतरनाक स्थिति की शिकायत कर रहे हैं, लेकिन न नगर निगम जागा, न लोक निर्माण विभाग। अब जब एक ही परिवार की चार जानें चली गईं, तो अफसरों की गाड़ियां घटनास्थल पर पहुंच रही हैं, फोटो खिंचवा रहे हैं और ‘जांच होगी’ की घिसी-पिटी लाइन दोहरा रहे हैं।

जनता पूछ रही है, जब ये सब पहले से पता था, तो इंतज़ाम क्यों नहीं हुए? क्या सिस्टम किसी वीआईपी के मरने का इंतज़ार करता है?

प्रभारी मंत्री रेखा आर्य ने शोक जताया है, लेकिन जनता का सवाल है। क्या संवेदना से रेलिंग लग जाएगी? क्या जांच से जिंदगी वापस आएगी?


अब सवाल सीधा है — लापरवाह सिस्टम कब कटघरे में खड़ा होगा?

अगर संवेदनशील मोड़ पर क्रैश बैरियर लगा होता तो नवजात सहित तीन लोगों की जान बच सकती थी। होटल राज पैलेस से तीन पानी तक कई जगह बैरियर लगे हैं, लेकिन हादसे वाले स्थान पर विभाग ने इसे जरूरी नहीं समझा। लापरवाही ने एक पूरा परिवार उजाड़ दिया।

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