रेणु से आयशा बनी युवती को अब मिलेगी सुरक्षा… दिल्ली हाईकोर्ट ने जारी किए आदेश….जानिए पूरी खबर…

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नई दिल्ली : अपनी मर्जी से इस्लाफ (Islam) धर्म अपनाने वाली हिंदू महिला ने दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) में सुरक्षा की मांग को लेकर याचिका दायर की थी. दिल्ली हाई कोर्ट की वेकेशन बेंच ने मामले की विस्तार से सुनवाई करने से किया इनकार कर दिया है. कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट की रेगुलर बेंच ही मामले में सुनवाई करेगी. याचिकाकर्ता महिला की वकील के अनुरोध पर जस्टिस सी हरिशंकर ने दिल्ली पुलिस (Delhi Police), यूपी पुलिस (UP Police) और दिल्ली सरकार (Delhi Government) को सीमित निर्देश जारी कर महिला के मामले के निपटारे तक सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया है.

वहीं दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश हुए पब्लिक प्रोसिक्यूटर ने कोर्ट को बताया कि महिला ने जो पता दिया है, वो वहां पर नहीं रहती है और दिया गया नंबर भी स्वीच ऑफ है. इस पर याचिकाकर्ता की वकील ने कोर्ट को बताया कि उन्हें धमकियां मिल रही हैं इसलिए एड्रेस और फोन नंबर बदलना पड रहा है. कोर्ट ने महिला की वकील से सरकारी वकील को सही पता और नंबर उपलब्ध करवाने का निर्देश दिया है.परिवार को डराया धमकाया जा रहा हैमहिला यूपी के शाहजहांपुर की रहने वाली है, उसका दावा है कि वो दिल्ली में रहती है और स्वेच्छा से इस्लाम धर्म अपनाया है.

लेकिन धर्मांतरण के बाद से उसे और उसके परिवार को डराया धमकाया जा रहा है. सुरक्षा के साथ-साथ महिला ने निजता के अधिकार की भी मांग की है. इस महिला ने अपनी याचिका में कहा है कि धर्म परिवर्तन के कारण उसके और उसके परिवार को निशाना बनाया जा रहा है और मीडिया में उनके बारे में दुर्भावनापूर्ण सामग्री छापी जा रही है जिसे तुरंत रोका जाना चाहिए.महिला को निशाना बनाया जा रहा हैयाचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता वयस्क हैं और संविधान उन्हें अपना धर्म चुनने का अधिकार देता है. वे जिस धर्म को मानने का, चुनने का निर्णय ले सकती हैं,

उसके लिए उन्हें प्रताड़ित नहीं किया जा सकता. उन्हें निशाना नहीं बनाया जा सकता. याचिका के अनुसार रेणु गंगवार उर्फ आयशा अल्वी ने 27 मई को दिल्ली में इस्लाम धर्म अपना लिया था. 23 जून से, जब वह शाहजहांपुर में थी तब उनके पास मीडियाकर्मियों के फोन आने लगे, जिसमें उनसे मिलने का अनुरोध किया गया लेकिन उन्होंने मना कर दिया.पैसों की मांग कर रहे हैं बदमाशमहिला ने कहा कि उनकी इजाजत के बगैर मीडियाकर्मी उनके घर आ गए और उनकी तस्वीरें, वीडियो लेने लगे.

उन्हें धमकी भरे फोन भी आने लगे कि धर्म परिवर्तन की खबर मीडिया में छपने के बाद उन्हें गिरफ्तार कर लिया जाएगा और फोन पर उनसे पैसे भी मांगे गए.याचिकाकर्ता महिला की वकील के अनुरोध पर जस्टिस सी हरिशंकर ने दिल्ली पुलिस, यूपी पुलिस और दिल्ली सरकार को सीमित निर्देश जारी कर, महिला को मामले के निपटारे तक सुरक्षा प्रदान करने का निर्देश दिया. दिल्ली पुलिस की तरफ से पेश हुए पब्लिक प्रोसिक्यूटर ने कोर्ट को बताया कि महिला ने जो पता दिया है वो वहां पर नहीं रहती है और दिया गया नंबर भी स्विच ऑफ है. इसके बाद याचिकाकर्ता की वकील ने कोर्ट को बताया कि उन्हें धमकियां मिल रही हैं

इसलिए एड्रेस और फोन नंबर बदलना पड़ रहा है. कोर्ट ने महिला की वकील से सरकारी वकील को सही पता और नंबर उपलब्ध करवाने का निर्देश दिया है.याचिका में क्या कहा गया?याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता वयस्क है और देश का संविधान उसे अपना मर्जी से कोई भी धर्म अपनाने का अधिकार देता है इसके लिए उसे प्रताड़ित नहीं किया जा सकता. महिला ने बिना किसी दवाब के स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन कर इस्लाम धर्म अपनाया है,

लेकिन तभी से महिला को परेशान किया जा रहा है और जान से मारने की धमकियां दी जा रही हैं. महिला का दावा है कि उत्तर प्रदेश पुलिस, कुछ धार्मिक संगठन और मीडिया का एक वर्ग उसे बेवज़ह परेशान कर रहा है.कौन है महिला?याचिका में कहा गया है कि महिला मूल रूप से यूपी के शाहजहांपुर जिले की रहने वाली है, लेकिन फिलहाल रोजगार के सिलसिले में दिल्ली में ही रह रही है. याचिका में कहा गया है कि 27 मई को महिला ने दिल्ली में इस्लाम धर्म अपनाया था, 23 जून को वो शाहजहांपुर में थी, उनके पास कुछ स्थानीय मीडिया कर्मियों का इंटरव्यू के लिए फोन आया.

हालांकि मना करने वावजूद जबरन उसकी तस्वीर और वीडियो लिए गए.धर्मांतरण करने के बाद उसे और उसके परिवार को बदनाम किया जा रहा है, निजता के अधिकार का उल्लंघन करते हुए मीडिया में उनके बारे में ग़लत बातें प्रकाशित की जा रही हैं. कोर्ट से इनपर तुरंत रोक लगाने के लिए निर्देश जारी करने की मांग की गई है. महिला का कहना है कि उसने उत्तरप्रदेश राज्य में धर्म परिवर्तन नहीं किया है इसलिए उस पर यूपी गैरकानूनी धार्मिक रूपांतरण अध्यादेश, 2020 के प्रावधान के लागू नहीं होते हैं.

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