“ध्यान से, शांति की ओर – 21 दिसंबर, विश्व ध्यान दिवस”

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वैश्विक आध्यात्मिक गुरु और मानवतावादी नेता गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर, 21 दिसंबर को संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा विश्व ध्यान दिवस के रूप में घोषित किए जाने के अवसर संबोधन करने के साथ-साथ एक ऐतिहासिक लाइव वैश्विक ध्यान का निर्देशन भी करेंगे। संयुक्त राष्ट्र द्वारा लिया गया यह ऐतिहासिक महत्व का निर्णय एक नई शुरुआत का प्रतीक है यह ध्यान के अद्भुत और परिवर्तनकारी लाभों को वैश्विक स्तर पर स्वीकार किए जाने का दिन है।

ध्यान न केवल लोगों के मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के लिए लाभदायक है बल्कि यह समाज में शांति और एकता का संदेश भी देता है। विश्व ध्यान दिवस पूरी दुनिया को एकसूत्र में जुड़ने का अवसर प्रदान करेगा। इस अवसर पर भारत के स्थायी मिशन द्वारा संयुक्त राष्ट्र मुख्यालय, न्यूयॉर्क में विश्व ध्यान दिवस का आयोजन किया जाएगा।

इस समारोह में गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर मुख्य वक्ता होंगे। वैश्विक शांति और सामंजस्य के लिए ध्यान विषय पर केन्द्रित यह आयोजन पहले विश्व ध्यान दिवस के रूप में मान्यता प्राप्त करेगा।


इस विषय पर गुरुदेव ने कहा, संयुक्त राष्ट्र द्वारा ध्यान की स्वीकृति एक महत्वपूर्ण कदम है। ध्यान आत्मा को पोषित करता है, मन को शांत करता है और आधुनिक चुनौतियों का समाधान प्रदान करता है।


मुख्य आकर्षण

गुरुदेव श्री श्री रवि शंकर का संयुक्त राष्ट्र में मुख्य संबोधन – मानसिक तनाव कम करने और वैश्विक संघर्ष समाधान में अग्रणी भूमिका निभाने वाले गुरुदेव इस अवसर पर वैश्विक नेताओं, संयुक्त राष्ट्र के वरिष्ठ अधिकारियों, राजनयिकों और अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों को संबोधित करेंगे जिसमें ध्यान की, शांति और एकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया जाएगा।

वैश्विक ध्यान कार्यक्रम का सीधा प्रसारण :-

21 दिसंबर को गुरुदेव एक वैश्विक ध्यान का निर्देशन करेंगे, जिसका सीधा प्रसारण विश्व के समस्त देशों में किया जाएगा गुरुदेव ने 21 दिसंबर को रात्रि 8 बजे https://taol.cc/wmd-live लिंक के माध्यम से आनलाईन जुड़कर ध्यान के सागर में डुबकी लगाने व इस ऐतिहासिक अवसर में भागीदारी करने की अपील पूरी दुनिया से की है।


वैश्विक ध्यान क्यों महत्वपूर्ण है:-


संयुक्त राष्ट्र महासभा द्वारा विश्व ध्यान दिवस को सर्वसम्मति से स्वीकार किया जाना एक महत्त्वपूर्ण कदम है जो यह दर्शाता है कि ध्यान बढ़ते तनाव, हिंसा और समाज में विश्वास और संबंधों में गिरावट जैसी आधुनिक जीवन की समस्याओं का समाधान प्रदान कर सकता है।गुरुदेव के मार्गदर्शन में पिछले 43 वर्षों में 180 देशों के करोड़ों लोग ध्यान से होने वाले अनन्य लाभों का अनुभव कर चुके हैं। गुरुदेव का मानना है कि ध्यान मानसिक स्पष्टता, भावनात्मक संतुलन और सामाजिक सामंजस्य
की दिशा में सबसे प्रभावी उपकरण है।ध्यान के परिवर्तनकारी प्रभाव में गुरुदेव का विश्वास, उनके शांति प्रयासों में स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है।

गुरुदेव ने श्रीलंका, इराक, वेनेजुएला और कोलंबिया जैसे संघर्ष प्रभावित क्षेत्रों में शांतिवार्ता की मध्यस्थता की है, जहां उन्हें कोलंबिया सरकार और एफएआरसी के बीच
52 वर्षों पुराने संघर्ष को समाप्त करने मे महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने का श्रेय दिया जाता है। भारत में, उन्होंने 500 वर्ष पुराने बाबरी मस्जिद-राम मंदिर विवाद को सुलझाने में भी प्रभावशाली योगदान दिया।

गुरुदेव का मानना है कि ध्यान का अभ्यास केवल मन की शांति के लिए ही नहीं है बल्कि यह लोगों को एक विशाल दृष्टिकोण भी प्रदान करता है, जो नेताओं और समुदायों को आपसी सहयोग और स्थायी शांति की ओर अग्रसर होने का सामर्थ्य देता है। भौगोलिक संघर्षों से लेकर व्यक्तिगत समस्याओं तक ध्यान एक सार्वभौमिक
समाधान है। ध्यान राष्ट, संस्कृति और विश्वास की सीमाओं को पार कर लोगों में आंतरिक शांति और बाहरी उत्साह का संचार करता है और इसके साथ ही वैश्विक शांतिप्रयासों का एक मुख्य आधार बनता है।


विश्व ध्यान दिवस के अवसर पर आर्ट ऑफ लिविंग की हल्द्वानी इकाई 21 दिसंबर की रात्रि 8 बजे गुरुदेव द्वारा निर्देशित विश्व ध्यान कार्यक्रम में क्षेत्र की महत्तम सहभागिता के लिए अभियान चला रही है साथ हल्द्वानी इस ऐतिहासिक अवसर पर क्षेत्र के विभिन्न शिक्षण संस्थानों, कार्यालयों व अन्य संस्थाओं यथा नैब गोलापार, रोडवेज कार्यालय हल्द्वानी, जेल परिसर हल्द्वानी, पाल कालेज, राजकीय मेडिकल कॉलेज इत्यादि में दिन के समय समूह ध्यान का आयोजन भी संस्था द्वारा अपने शिक्षकों, स्वयंसेवकों के माध्यम से किया जा रहा है।

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