UP – झांसी मेडिकल कॉलेज से आई एक दर्दनाक खबर ने हर किसी को स्तब्ध कर दिया। शुक्रवार रात, महारानी लक्ष्मीबाई मेडिकल कॉलेज के न्यू बोर्न इंटेंसिव केयर यूनिट (NICU) में अचानक आग लगने से 10 नवजात बच्चों की जलने से मौत हो गई, जबकि कुछ बच्चे गंभीर रूप से झुलस गए हैं। आग के वक्त वार्ड में 50 से ज्यादा नवजात शिशु भर्ती थे, और गहरे धुएं से सब कुछ अंधेरा हो गया। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि सेफ्टी अलार्म भी नहीं बजा, जिससे प्रशासन और सुरक्षाकर्मियों को हादसे का समय पर पता नहीं चल पाया।
आग लगने के बाद, आग बुझाने के लिए छह दमकल गाड़ियां, पुलिस और सेना के जवान मौके पर पहुंचे। सेना ने खिड़की का शीशा तोड़कर 37 बच्चों को सुरक्षित बाहर निकाला, लेकिन 10 बच्चों की जान नहीं बचाई जा सकी। उत्तर प्रदेश सरकार ने घटना पर गहरी चिंता जताते हुए पीड़ित परिवारों को 5-5 लाख रुपये की आर्थिक सहायता देने का ऐलान किया है।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं और अधिकारियों को राहत व बचाव कार्यों में तत्परता दिखाने के निर्देश दिए। लेकिन इस घटना ने झांसी मेडिकल कॉलेज की सुरक्षा और व्यवस्थाओं की पोल खोल दी है। अगर समय रहते अलार्म बज जाता और व्यवस्थाएं दुरुस्त होतीं, तो शायद इतनी बड़ी त्रासदी से बचा जा सकता था।
शुरुआती जांच में सामने आया है कि आग बुझाने वाले सिलिंडर एक्सपायर हो चुके थे। ये सिलिंडर से आग काबू पाने में नाकाम साबित हुए।
झांसी मेडिकल कॉलेज में आग से बचाव के लिए लगे फायर इंस्टीग्यूशर गवाही दे रहे हैं कि कोई दो साल पहले तो कोई एक साल पहले अपनी उम्र पूरी कर चुका था। जिसकी वजह से ये सिलिंडर आग बुझाने में नाकाम साबित हुआ। एक सिलिंडर पर 2019 की फिलिंग डेट है, एक्सपायरी डेट 2020 की है। यानि फायर सिलिंडर को एक्सपायर हुए कई साल हो चुके थे। यह सिलिंडिर खाली दिखावे के लिए यहां रखे हुए थे।
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