उत्तराखण्ड में अब आर.टी.आई.से मिली जानकारियों पर विश्वास करना मुश्किल हो गया है। पुलिस विभाग की एक जानकारी को तीन अलग अलग आर.टी.आई.में अलग अलग जवाब दिए जाने के बाद आर.टी.आई. एक्टिविस्टों ने गंभीर सवाल खड़े किए हैं।
ऊत्तराखण्ड में पुलिस की लिपिक कान्स.(एम)के सृजित पद और इसमें नियुक्तियों को लेकर अलग अलग समय में आर.टी.आई.एक्टिविस्टों ने जानकारियां मांगी। इन जानकारियों में कुछ बिंदुओं पर तो एक जैसी सूचना प्राप्त हुई लेकिन कुछ जानकारियां अलग अलग संख्याओं के रूप में प्राप्त हुई। ऐसे में किसपर विश्वास करें ये समझना मुश्किल हो गया है।
हल्द्वानी निवासी वरिष्ठ आर.टी.आई.एक्टिविस्ट हेमत गौनिया ने 31 जुलाई को पुलिस मुख्यालय को पत्र लिखकर पुलिस विभाग में कॉन्सटेबल(एम.)के पदों की जानकारी ली। पुलिस महानिदेशक मुख्यालय ने उन्हें बताया कि कुल 33 पद ही स्वीकृत हैं, जिसके सापेक्ष वर्तमान में 49 कान्सटेबल(एम.)कार्यरत हैं।
पुलिस विभाग ने एक अन्य आर.टी.आई.के जवाब में कहा कि पुलिस विभाग में कान्स(एम.)की सीधी भर्ती के द्वारा वर्ष 2009 में 171 पदों पर भर्ती की गई है। कहा गया है कि वर्ष 2016 में 62 उर्दू अनुवादकों को कॉन्सटेबल(एम)में समायोजित किया गया है।
वर्ष 2021 तक 55 मृतक आश्रित अभार्थियों को कान्स.(एम)के पद पर सेवायोजित किया गया है। राज्य स्थापना से वर्तमान तक चतुर्थ श्रेणी समूह(घ)के कर्मचारियों को समय समय पर पदोन्नति का लाभ नहीं दिया जा रहा है, जबकि 2 सितम्बर 2003 के शासनादेश में स्पष्ट अंकित किया गया है कि सीधी भर्ती के सापेक्ष 25% समूह ‘घ’ से समूह ग में पदोन्नति कान्स(एम.)में किया जायेगा।
आर.टी.आई.के जवाब में बताया गया कि 2003 से 2021 तक 171 कान्स.(एम)सीधी भर्ती से आए, जबकि इस कार्यकाल में 55 मृतक आश्रित आए और 62 उर्दू अनुवादक भर्ती हुए। इसके अलावा चतुर्थ श्रेणी(समूह घ)में लिपिक से(समूह ग)पदोन्नत वर्ष 2005 में 7 और 2013 में 7 लोग हैं।
वर्ष 2009 में अखबर अंसारी को एक आर.टी.आई.के जवाब में पुलिस मुख्यालय द्वारा बताया गया कि पुलिस में कान्स.(एम)के 33 पद स्वीकृत हैं, जबकि पुलिस में वर्ष 2005 में 7 और 2007 में 7 लोगों को चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी से कांस्टेबल पद पर पदोन्नत किया गया था।
उधम सिंह नगर निवासी प्रदीप जोशी द्वारा 17 अप्रैल 2021 को इसी बिन्दु पर मांगी एक आर.टी.आई.में पुलिस महानिदेशक मुख्यालय ने लिखा है की लिपिक संवर्ग में पदों का पुनर्गठन एवं लिपिक संवर्ग की सेवा नियमावली प्रख्यापन के लिए शासन को भेजी जानी है, जिसके बाद ही चतुर्थ श्रेणी(समूह घ)से लिपिक पदों(समूह ग)में पदोन्नति की जाएगी।
अक्टूबर 2013 के अपने एक पत्र में पुलिस मुख्यालय ने कहा कि राज्य गठन के बाद वर्ष 2009 में कान्स.(एम)के 165 पदों की सीधी भर्ती की विज्ञप्ति निकाली गई। तेईस अप्रैल 2005 के शासनादेश का जिक्र करते हुए यहां कहा गया कि लिपिक संवर्ग में कान्स.(एम)के मात्र 29 पद रिक्त हैं।
हल्द्वानी निवासी आर.टी.आई.एक्टिविस्ट हेमंत गौनिया के बीती 4 अगस्त के पत्र का जवाब देते हुए पुलिस मुख्यालय देहरादून ने कहा कि पुलिस लिपिक कान्स.(एम)के 33 पद सृजित हैं, जिसके सापेक्ष केवल 49 कान्स.(एम)नियुक्त हैं।
अब आर.टी.आई.कार्यकर्ता हेमंत गौनिया ने सवाल उठाए हैं कि :-
(1)जब वर्तमान तक कान्स(एम.)के 33 पद ही स्वीकृत हैं तो सीधी भर्ती से वर्ष 2009 में 171 पद कैसे भरे गए ?
(2) वर्ष 2016 में उर्दू अनुवादकों के 62 पद को कान्स(एम.)में कैसे समायोजित किया गया ? और (3)मृतक आश्रितो को कान्स(एम.)में वर्ष 2017 से सेवायोजित किया जा रहा है जबकि चतुर्थ श्रेणी समूह ‘घ’ से विभाग द्वारा अभी तक कोई पदोन्नति नहीं दी जा रही है ?
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