रजिस्ट्री फर्जीवाड़े से संबंधित तीन बाइंडर की मौत का रहस्य सुलझाने के लिए एसआईटी ने जांच शुरू कर दी है। तीनों में से किसी के भी परिजनों ने पुलिस को शिकायत नहीं की थी। ऐसे में एसआईटी इनके परिजनों से भी बात करेगी। यही नहीं किसी का भी पोस्टमार्टम न होना साजिश की ओर इशारा कर रहा है। बताया जा रहा है कि इस मामले की जांच में एक अलग से टीम भी बनाई जाएगी।
बता दें कि पिछले दिनों गैंगस्टर ओमवीर तोमर के पकड़े जाने के बाद पता चला था कि इन मामलों से जुड़े तीन बाइंडर की अलग-अलग समय पर मौत हो चुकी है। इनमें से दो शराब पीने से और एक सड़क दुर्घटना में मारा गया। जिससे पुलिस कप्तान अजय सिंह ने इसे साजिश मानते हुए पुलिस को जांच करने के आदेश दिए थे।जांच में चौंकाने वाली बातें सामने आईं। पता चला कि तीनों के शव का पोस्टमार्टम ही नहीं कराया गया था। यही नहीं किसी के परिजन पुलिस तक भी नहीं पहुंचे थे। अब पुलिस इनके परिजनों से भी जानकारी कर रही है कि कहीं उन पर किसी का दबाव तो नहीं था या फिर कोई उन्हें डरा रहा हो।
आपकी जानकारी के लिए आपको बताते चलें रजिस्ट्री फर्जीवाड़ा घोटाला मध्यमप्रदेश में सामने आए व्यापम घोटाला की तरह बनता जा रहा है। हालांकि, अभी तक इस घोटाले में सफेदपोशों का गठजोड़ का खुलासा नहीं हो पाया है। प्रदेश का एक नामी वकील इस मामले में जेल में हैं।केपी सिंह और उससे पहले तीन बाइंडरों की मौत से इस मामले को व्यापम घोटाले की तरह जोड़कर देखा जा रहा है।
यह घोटाला भी दस-बीस करोड़ नहीं बल्कि एक हजार करोड़ से भी अधिक का बताया जा रहा है।वर्ष 2009 में मध्य प्रदेश में सामने आया व्यापम घोटाला ऐसा था। जिसके पीछे कई नेताओं, वरिष्ठ अधिकारियों और व्यवसायियों का हाथ था। जब इस घोटाले की परतें खुलनी शुरू हुई और इसमें बड़े-बडे चेहरे सामने आए तो एक के बाद एक कई लोगों की संदिग्ध मौतें हुई।
देहरादून के फर्जी रजिस्ट्री घोटाले में अभी तक कोई राजनैतिक गठजोड़ तो सामने नहीं आया है, लेकिन एक नामी वकील का नाम इससे जुड़ा है। जो कि किसी बड़े गठजोड़ की ओर इशारा कर रही है।
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