देश में गहराया बिजली संकट, युद्धस्तर पर होगी कोयले की ढुलाई,42 यात्री ट्रेनें रद्द,देखिये लिस्ट
देशभर में कोयले का संकट गहरा गया है. इसको देखते हुए भारतीय रेलवे ने देशभर के अलग-अलग जोन में 42 पैसेंजर ट्रेनें रद्द की हैं ताकि उनकी जगह मालगाड़ियों के फेरे बढ़ाए जाएं और बिजली उत्पादन संयंत्रों तक कोयले की आपूर्ति जल्द से जल्द की जा सके. देशभर के कई बिजली संयंत्रों के पास जरूरी 21 दिन से भी कम कोयला भंडार बचा है. कुछ जगहों पर तो एक दिन का ही कोल स्टॉक बचा है.
देश के कई बिजली उत्पादन संयंत्र भीषण कोयले का संकट झेल रहे हैं. इससे ऊर्जा संकट गहरा गया है. ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट के मुताबिक, रेलवे ने इससे निपटने के लिए और कोयले की निर्बाध ढुलाई के लिए कई पैसेंजर ट्रेनों को रद्द कर दिया है, ताकि कोयला ले जा रही माल गाड़ियों को और तेजी से चलाया जा सके और उसे ससमय निर्धारित स्टेशनों पर पहुंचाया जा सके.
यहां देखें रद्द की गई ट्रेनों की पूरी लिस्ट:
रेलवे से जारी ताजा आदेश में कहा गया है कि 42 ट्रेनें अगले आदेश तक रद्द की जाती हैं. इनमें से 34 ट्रेनें साउथ ईस्ट सेंट्रल रेलवे (SECR)और 8 ट्रेनें नॉदर्न रेलवे जोन की हैं. MP और छत्तीसगढ़ में सांसदों के विरोध के बाद छत्तीसगढ़ की 3 रद्द ट्रेनों को रिस्टोर भी किया गया है.
भारत में थर्मल पावर प्लांट में कोयले के स्टॉक का बड़ा संकट सामने आया है. लिहाजा, युद्ध स्तर पर कोयले की ढुलाई के लिए ये कदम उठाए जा रहे हैं.
दिल्ली के दो पावर स्टेशंस में सिर्फ एक-दो दिन का कोयला, मेट्रो की बिजली आपूर्ति पर भी संकट-
इस बीच, दिल्ली के ऊर्जा मंत्री सत्येंद्र जैन ने कहा कि पूरे देश में कोयले की भयंकर कमी है, कोई बैकअप नहीं है , बिजली स्टोर नहीं की जा सकती. आज काफ़ी जगह 1 दिन का ही कोयला बचा है जबकि 21 दिनों का होना चाहिए. दिल्ली के अंदर हमारी कोई पेमेंट पेंडिंग नहीं है. केंद्र सरकार कोयले के रैक्स बढ़ाएं. कॉर्डिनेशन की कमी है. इसको ठीक करना होगा.
देशभर में बिजली का संकट तब गहराया है, जब चिलचिलाती गर्मी पड़ रही है और बिजली की मांग लगातार बढ़ रही है. इस बीच बिजली उत्पादन संयंत्रों में भी कोयले की मांग बढ़ गई है लेकिन मांग के अनुरूप सप्लाई नहीं हो पा रही है. देश की बिजली का लगभग 70% उत्पादन ताप विद्युत केंद्रों से ही होता है.
कोयले संकट की वजह से भारत के कई हिस्से लंबे समय से ब्लैकआउट का सामना कर रहे हैं, जबकि कुछ उद्योग ईंधन की कमी के कारण उत्पादन में कटौती कर रहे हैं. इस संकट की वजह से महामारी से उपजी मंदी से अर्थव्यवस्था के विकास में खतरा पैदा कर सकता है. आने वाले समय में महंगाई और बढ़ सकती है.
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