नैनीताल – हल्द्वानी : आयुक्त/सचिव मा. मुख्यमंत्री दीपक रावत ने सोमवार को नगर पंचायत कालाढूगी, उत्तरभारत की प्रथम लोहा भट्टी, मूसाबंगर, बजूनिया हल्दू तथा राजकीय महाविद्यालय कोटाबाग का स्थलीय निरीक्षण कर लोगों की जनसमस्याओं से रूबरू हुये।
आयुक्त रावत द्वारा नगर पंचायत परिषद भवन मंे कार्यालय एवं शापिंग काम्लैक्स संचालित हो रहा था। शॉपिंग काम्लैक्स के दुकानदारों ने पार्किंग आदि की समस्या से अवगत कराया। आयुक्त ने कहा शीघ्र की पार्किग व्यवस्था सुनिश्चित की जायेगी। आयुक्त ने उपजिलाधिकारी रेखा कोहली को कार्यालय में सोलार प्लांट लगाने के भी निर्देश दिये।
ब्लाक प्रमुख रवि कन्याल ने बताय कि वन निगम द्वारा स्थानीय लोगों को कार्य नही दिया जा रहा है बाहरी लोगों द्वारा कार्य कराया जा रहा है जिस पर आयुक्त ने दोनो पक्षों को जनसुनवाई में उपस्थित होने के निर्देश दिये। आयुक्त ने कालाढूगी वार्ड की साफ सफाई, लाईटिंग व्यवस्था पर संतोष व्यक्त किया तथा कालाढूगी नगर पंचायत के भ्रमण के दौरान आयुक्त ने उपजिलाधिकारी एवं ईओ नगर पंचायत से कहा कि जिन स्थानों पर सडक मरम्मत करने योग्य हो शीघ्र मरम्मत कराई जाए।
लोगांे द्वारा बताया गया कि कालाढूगी उपनिबंधक सप्ताह मे केवल शुक्रवार को कार्यालय में उपस्थित रहते है जबकि कालाढूगी क्षेत्र की सप्ताह में लगभग 300 से 400 रजिस्ट्री होती है। उन्होंने आयुक्त से प्रत्येक दिन उपनिबंधक की तैनाती का अनुरोध किया। जिस पर आयुक्त ने कहा कि शीघ्र ही कालाढूगी तहसील के लिए स्थायी उप रजिस्ट्रार की तैनाती की जायेगी।
इस दौरान आयुक्त ने कालाढूगी में स्थित उत्तर भारत की प्रथम लोहे की भट्टी का निरीक्षण किया। वर्तमान में पर्यटन विभाग द्वारा मरम्मत का कार्य संचालित किया जा रहा है। आयुक्त ने बताया लोहे की भटटी सन् 1858 में बनवाई गई वर्तमान में भट्टी बन्द है।
आयुक्त ने कहा भटटी को ईकों टूरिज्म के लिए पर्यटन विभाग के द्वारा मरम्मत कार्य किया जा रहा है भविष्य में पर्यटकों के यह धरोहर एक आकर्षण का केन्द्र बनेगी साथ ही स्थानीय लोगों को इससे रोजगार भी मिलेगा।
इसके पश्चात आयुक्त ने मूसाबंगर व बजूनिया हल्दू में किसानों से मुलाकात की तथा जलजीवन मिशन के कार्यो का घर-घर जाकर निरीक्षण किया।
जिस पर आयुक्त ने जेजेएम के कार्यों पर संतोष व्यक्त किया। इसके पश्चात आयुक्त ने राजकीय महाविद्यालय कोटाबाग सडक एवं भवन का निरीक्षण किया। प्राचार्य कोटाबाग नवीन भगत ने बताया कि महाविद्यालय का भवन एक वर्ष पूर्व बना है लेकिन प्रथम वर्षाकाल में भवन की छत से पानी टपक रहा है। जिस आयुक्त ने कडी नाराजगी जताते हुये जनसुनवाई में निमार्ण एजेन्सी एवं प्राचार्या को उपस्थित रहने के निर्देश दिये।
निरीक्षण दौरान विधायक बंशीधर भगत, ब्लाक प्रमुख रवि कन्याल,दीवान सिंह बिष्ट, तारादत्त पाण्डे,उपजिलाधिकारी रेखा कोहली, तहसीलदार मनीषा बिष्ट के साथ विभागीय अधिकारी, क्षेत्रीय लोग उपस्थित थे।
दिलचस्प है _कालाढूंगी की इस हैरिटेज भट्टी का इतिहास
नैनीताल जिले के कालाढूंगी(छोटी हल्द्वानी)में उत्तर भारत की पहली आयरन फाउंड्री की वर्ष 1858 में स्थापना की गई थी। आयरन फाउंड्री में सबसे ज्यादा लोहे का निर्माण होता था। 1876 में अधिक पेड़ों के कटान पर कुमाऊं कमिश्नर सर हैनरी रैमजे द्वारा रोक लगाने के बाद इसको बंद कर दिया गया।
आज आयरन फाउंड्री के पास में पर्यटक लोहा बनाने वाले पत्थरों का दीदार करते हैं। आज भी मौके पर काले पत्थर मिलते हैं, जो सामान्य पत्थर से वजन में ज्यादा भारी होते हैं। बता दें कि उत्तर भारत की पहली आयरन फाउंड्री का जिक्र पर्यटन से जुड़ी कई मशहूर पुस्तकों में किया गया है. प्रसिद्ध शिकारी जिम कॉर्बेट ने भी अपनी किताब ‘माई इंडिया’ में इस आयरन फाउंड्री का जिक्र किया है।
साथ ही लेखिका अंजली रवी भरतरी द्वारा भी लिखी गई किताब में इस आयरन फाउंड्री का जिक्र किया गया है। कॉर्बेट ग्राम विकास सामिति के प्रशिक्षित गाइडों के माध्यम से सैलानी यहां पहुंचते हैं। कालाढूंगी का नाम भी इसी आयरन फाउंड्री की वजह से पड़ा है, क्योंकि आसपास के क्षेत्र में भारी मात्रा में काला पत्थर पाया जाता था, जो आयरन फाउंड्री में लाया जाता था। कुमाऊंनी में काले पत्थर को ‘काल ढूंग’ कहा जाता है। इसी कारण इसका नाम कालाढूंगी पड़ गया।
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