उत्तराखंड में एक बार फिर राज्य के बेरोजगारों से धोखा करते हुए पटवारी भर्ती परीक्षा में पेपर लीक किया गया है। यू.के.एस.एस.एस.सी घोटाले के बाद धामी सरकार द्वारा की गई बड़ी बड़ी घोषणाओं के बाद उम्मीद की जा रही थी कि उत्तराखंड सरकार अब होने वाली भर्तियों में अपनी जवाबदेही सुनिश्चित करते हुए उन्हें पारदर्शी, ईमानदार और घोटाला मुक्त बनाएगी। लेकिन एक बार फिर राज्य के युवा बेरोजगारों के साथ राज्य की सरकार ने छल किया है।
राज्य सरकार की मशीनरी और परीक्षा संचालित करने वाली एजेंसियों को इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता कि नौजवानों की कड़ी मेहनत और सालों साल बेरोजगारी का दंश झेलने के बाद उनके साथ किस तरह की नाइंसाफी की जा रही है। पिछले साल uksssc घोटाला सामने आने के बाद राज्य में युवाओं के बड़े आंदोलन के बाद राज्य की भाजपा सरकार ने आगे इस तरह की घटनाओं पर रोक लगाने की बात कही थी, आज भी मुख्यमंत्री वही दोहरा रहे हैं लेकिन उनकी इस बात पर विश्वास नहीं किया जा सकता क्योंकि बिना राजनीतिक संरक्षण के बार बार घोटालों का होना संभव नहीं दिखाई देता।” पटवारी भर्ती परीक्षा के पेपर लीक मामला सामने आने के बाद भाकपा माले के नैनीताल जिला सचिव डा कैलाश पाण्डेय ने यह बात कही।
उन्होंने कहा कि, “उत्तराखंड लोक सेवा आयोग का अति गोपन का अनुभाग अधिकारी जब खुद पटवारी भर्ती पेपर लीक मामले का मुख्य सूत्रधार है तो फिर किसी भी भर्ती परीक्षा में शुचिता की उम्मीद करना व्यर्थ है। इस प्रकरण से आयोग के अध्यक्ष, सचिव व पूरे आयोग की विश्वसनीयता ही संदेह के घेरे में आ गई है। पहले से ही संदिग्ध भर्तियों के मामले में इस पेपर लीक ने राज्य की पूरी तरह लचर हो चुकी व्यवस्था को उजागर कर दिया है।
माले नेता ने कहा कि,”ये मामला एक अधिकारी पर संदेह का है ही नहीं बल्कि पूरे लोक सेवा आयोग की जाँच होनी चाहिए। सबसे पहले आयोग के अध्यक्ष, सचिव समेत सभी शीर्ष अधिकारियों को तत्काल बर्खास्त किया जाना चाहिए। और सभी घोटालों की जांच सुप्रीम कोर्ट के किसी वर्तमान न्यायाधीश की निगरानी में की जानी चाहिए। साथ ही लगातार हो रहे भर्ती घोटालों को रोकने में नाकाम मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को मुख्यमंत्री के पद पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं रह गया है उनको तत्काल प्रभाव से इस्तीफा देना चाहिए।
उन्होंने जोर देकर कहा कि,”uksssc घोटाले से लेकर पटवारी पेपर लीक मामले को अंजाम देना बिना राजनीतिक संरक्षण के संभव ही नहीं है, इसलिए इस तरह के घोटालों को राजनीतिक संरक्षण देने वालों देने का खुलासा किए बिना भर्ती घोटालों पर लगाम लगाना संभव नहीं है इसलिए जांच के दायरे में इस तथ्य को केंद्रीय रूप से शामिल किया जाना चाहिए।
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