अदनान मंसूरी_18 साल का युवक. पिछले 151 दिनों से जेल में था जिसकी अब जमानत हो गयी है. जिस आरोप में जेल भेजा गया था, उस मामले का शिकायतकर्ता और गवाह, दोनों ही कोर्ट में पलट गए. कहा कि पुलिस के दबाव में बयान पर सिग्नेचर किए. लेकिन गिरफ्तारी और ज़मानत के बीच पांच महीने का समय गुज़र गया था. इसके अलावा भी सज़ा मिली. जुर्म साबित होने से पहले ही. मकान पर बुलडोज़र चला. ढोल बजाते हुए. ऑन कैमरा. त्वरित ‘न्याय’ का एक और कैप्सूल।
क्या है ये पूरा मामला? आइए सिलसिलेवार ढंग से समझते हैं।
सोमवार, 17 जुलाई 2023. उज्जैन में महाकाल की शोभायात्रा निकली हुई थी. आरोप लगे कि जब ये शोभायात्रा टंकी चौराहे के पास से गुज़र रही थी, तब मुस्लिम समुदाय के तीन लोगों ने उस पर ‘थूका’. आरोप की पुष्टि के लिए एक वीडियो भी पेश किया गया, जिसमें कुछ मुस्लिम युवक पानी की बोतल के साथ छत पर नज़र आए।
हालांकि किसी भी वीडियो में ‘थूकने’ के विजुअल्स नहीं थे. चूंकि ऐसी बातें कही ही तेज़ी से फैलने के लिए जाती हैं, ये भी फैली. काफी बवाल हुआ. धरना-प्रदर्शन सब हुआ. सावन लोट नाम के व्यक्ति ने प्राथमिकी दर्ज कराई. उज्जैन के खारा कुआं थाने की पुलिस ने तीन मुस्लिम युवकों को हिरासत में लिया. यहां से ये तीनों आरोपी हो गये।
गिरफ्तार लड़कों में दो नाबालिग थे. तीसरा अभी-अभी बालिग़ हुआ था. पुलिस ने IPC की कई धाराएं लगाईं. 295 ए, 153 ए, 296 और 505. यानी धार्मिक भावनाएं आहत करने और दंगे भड़काने की कोशिश जैसी धाराएं. पुलिस पूछताछ में लड़कों ने सफाई दी थी कि वो महज़ पानी पी रहे थे. बहरहाल, दो नाबालिग लड़कों को जुवेनाइल होम भेजा गया और तीसरे – अदनान मंसूरी को, ज्यूडिशियल कस्टडी में भेजा गया. यानी कि न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेज दिया गया. कहानी यही ख़त्म नहीं हुई।
घटना के दो दिन बाद, 19 जुलाई 2023 को एक और एपिसोड हुआ. पुलिस प्रशासन और उज्जैन नगर निगम गाजे- बाजे के साथ अदनान मंसूरी के पिता अशरफ हुसैन मंसूरी के घर पहुंचा. कहा गया कि अवैध निर्माण का केस है. ये नहीं बताया गया कि ऐसा है भी, तो भी ढोल बजाने का क्या औचित्य है?
बुलडोज़र ने अपना काम किया. घर और घर के नीचे बना छोटा सा प्रोविजन स्टोर (किराना दुकान) तोड़ दिया गया. तस्वीरें आईं और टीवी पर खूब चलीं. सोशल मीडिया पर वायरल हुईं. इस कार्रवाई का स्वागत और विरोध उसी तरह हुआ, जैसी इन दिनों परंपरा सी बन गई है।
16 जनवरी 2024. मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की इंदौर बेंच ने इस केस में अदनान मंसूरी को ज़मानत दे दी. क्योंकि मुख्य शिकायतकर्ता सावन लोट ने कोर्ट में कहा कि उसने शोभायात्रा पर थूकने जैसी कोई हरकत देखी ही नहीं थी. ये भी कहा कि उसने पुलिस के दबाव में बयान पर सिग्नेचर किए थे।
इंडिया टुडे में छपी खबर के मुताबिक़ अदनान को मिली बेल के कोर्ट ऑर्डर में इस बात का ज़िक्र भी है कि सावन लोट ट्रायल कोर्ट में होस्टाइल हो गए (बयान से पलट गये) और उन्होंने प्रॉसिक्यूशन (अभियोजन) के केस का समर्थन नहीं किया. और तो और इस केस में गवाह बने अजय खत्री नामक युवक ने भी यही किया. दोनों कोर्ट में अपनी बात से मुकर गए. दोनों ने ही कोर्ट में कहा कि ना तो उन्होंने आरोपियों को शोभायात्रा पर थूकते हुए देखा था, ना ही आरोपियों की पहचान की थी।
दोनों ने कोर्ट में लिखित स्टेटमेंट दिया कि उन्होंने पुलिस के कहने पर अपने बयान पर साइन किए थे, जबकि उनके बयान से FIR मेल नहीं खा रही थी. दोनों के मुकर जाने के बाद जस्टिस अनिल वर्मा ने अदनान मंसूरी को बेल दे दी. अदनान मंसूरी के वकील ने बताया था कि पुलिस कोर्ट में कोई मज़बूत वीडियो एविडेंस नहीं प्रोड्यूस कर पाई।
जो एक वीडियो पेश किया गया, उसमें एक नाबालिग लड़का छत पर हाथ में पानी की बोतल थामे नज़र आता है. पुलिस ने हाई कोर्ट में कहा था कि वो और वीडियो साक्ष्य प्रस्तुत करेगी. लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
बहरहाल, अब अदनान मंसूरी को बेल मिल गई है. 151 दिन बाद. कोर्ट ने उन्हें 75 हज़ार के पर्सनल बॉन्ड पर ज़मानत दी है. केस अभी चल रहा है. इंडिया टुडे से बात करते हुए अदनान के पिता अशरफ ने कहा कि वो बच्चों के सही सलामत घर आने से खुश हैं।
इस पूरे मामले में सबसे पावरफुल वो विजुअल रहा, जब अशरफ हुसैन मंसूरी का घर तोड़ा गया. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया कि बैक डेट में अवैध निर्माण का नोटिस इशू हुआ था. स्पीकर्स पर तेज़ आवाज़ में कैलाश खेर का गाया ‘गोविंदा, गोविंदा’ बजता है और छोटे से प्रोविजन स्टोर समेत मकान ज़मींदोज़।
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