उत्तराखंड के इस गांव पर बनी डॉक्यूमेंट्री सोशल मीडिया पर बना चर्चा का विषय,जानिए क्या है ख़ास..

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उत्तरकाशी के खूबसूरत पहाड़ों में जहां परंपरागत रूप से महिलाओं का जीवन कठिन माना जाता रहा है, वहीं मथोली गांव की महिलाओं ने नयी दिशा में कदम बढ़ाते हुए अपने जीवन में बदलाव की लहर ला दी है।

मथोली गांव, जो बनचौरा क्षेत्र में स्थित है और जिसे ‘बुआरी गाँव’ के नाम से भी जाना जाता है, आज ग्रामीण महिलाओं के लिए स्वरोजगार का एक मजबूत साधन बन चुका है। यहां की महिलाएं अब न केवल घर का चूल्हा-चौका संभालती हैं और मवेशियों के लिए घास लाने का काम करती हैं, बल्कि ट्रेकिंग गाइड, टेंट लगाने और होम स्टे संचालन जैसी सेवाएं भी प्रदान करती हैं, जिससे पर्यटकों को शानदार अनुभव मिलता है।

स्वरोजगार की शुरुआत और महिलाओं का उत्थान:
2022 में पर्वतारोहण और पर्यटन से जुड़े क्षेत्र में कदम रखते हुए प्रदीप पंवार और उनकी पत्नी अनिला पंवार ने एक गौशाला को होम स्टे में परिवर्तित कर स्वरोजगार की दिशा में पहला कदम उठाया। उन्होंने गांव की महिलाओं को इस परियोजना में शामिल किया और उन्हें हॉस्पिटैलिटी, टेंट लगाने तथा ट्रेकिंग पर्यटन से जुड़ी जानकारियां एवं प्रशिक्षण दिया।

इस पहल के बाद ‘बुआरी गाँव’ का कार्य बड़े स्वरूप में आगे बढ़ा। गांव की महिलाएं अपने खेत-खलिहान और घर के काम के साथ-साथ इस परियोजना को सफल बनाने में जुट गई हैं। आज यह पहल न केवल गांव की आर्थिकी का मजबूत आधार बन चुकी है, बल्कि महिलाओं के आत्मनिर्भर बनने का प्रतीक भी बन गई है।

महिलाओं की राय:
गांव की बबीता, रजनी, अर्चना, मूलमा देवी, राजी आदि का मानना है कि ‘बुआरी गाँव’ के शुरू होने से उन्हें स्वरोजगार का एक नया आयाम मिला है। इस पहल से महिलाओं को देश-विदेश के पर्यटकों से संवाद करने का मौका भी मिला है, जिससे वे नई तकनीक और अनुभव सीख रही हैं और अपने गांव के विकास में योगदान दे रही हैं।

प्रदीप पंवार ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर आयोजित एक कार्यक्रम में ‘द वुमेंस विलेज’ की शुरुआत की थी, जिसने न केवल गांव की महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाया बल्कि पूरे क्षेत्र में एक प्रेरणा का काम किया है।

निष्कर्ष:
मथोली गांव की महिलाएं अब परंपरागत भूमिकाओं से बाहर निकलकर पर्यटन, हॉस्पिटैलिटी और स्वरोजगार के क्षेत्र में नए कीर्तिमान स्थापित कर रही हैं। उत्तरकाशी के पहाड़ी इलाकों में उनकी यह पहल निश्चिंत ही समाज के लिए एक प्रेरणास्पद कहानी बन चुकी है।

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