केंद्रीय अल्पसंख्यक और कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने गुरुवार को लोकसभा में वक्फ संशोधन विधेयक, 2024 पेश किया। लोकसभा में भारी हंगामे के बीच रिजीजू ने बिल पेश किया। वहीं, सरकार द्वारा बिल पेश किए जाने के बाद मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने कहा कि ये बिल अधिकारों पर चोट है।
साथ ही कांग्रेस ने कहा कि यह बिल संविधान की मूल भावना के खिलाफ है। बता दें कि कांग्रेस के अलावा समाजवादी पार्टी और AIMIM ने भी विधेयक का विरोध किया है।
महाराष्ट्र, हरियाणा चुनावों को देखते हुए लाया गया बिल
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने विधेयक पर चर्चा के दौरान कहा, “हम हिंदू हैं, लेकिन साथ ही हम दूसरे धर्मों की आस्था का भी सम्मान करते हैं। यह बिल महाराष्ट्र, हरियाणा चुनावों को देखते हुए लाया गया है। आप यह नहीं समझते कि पिछली बार भारत की जनता ने आपको साफ तौर पर सबक सिखाया था। यह संघीय व्यवस्था पर हमला है।
विधेयक संविधान के बुनियाद पर हमला- कांग्रेस
सांसद वेणुगोपाल आगे कहा कि यह विधेयक संविधान के बुनियाद पर हमला है। इस विधेयक के जरिए सरकार यह प्रावधान कर रही हैं कि गैर-मुस्लिम भी वक्फ गवर्निंग काउंसिल के सदस्य होंगे। यह धर्म की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है। इसके बाद आप ईसाइयों, फिर जैनियों के पास जाएंगे। भारत के लोग अब इस तरह की विभाजनकारी राजनीति को बर्दाश्त नहीं करेंगे।
वक्फ बोर्ड की पावर को कम करने वाला बिल लोकसभा में पेश कर दिया गया है। केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू ने लोकसभा में वक्फ संसोधन बिल 2024 पेश किया। जिस पर कांग्रेस ने सवाल उठाए हैं। कांग्रेस नेता के वेणुगोपाल ने कहा कि ये बिल संविधान के खिलाफ है। वक्फ काउंसिल को कहां से संपत्ति आती है, जो अल्लाह को मानते हैं। मैं सरकार से सवाल पूछना चाहता हूं कि क्या कोई सोच सकता है कि क्या अयोध्या में कोई नॉन हिंदू में शामिल हो सकता है।
ये बिल धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला- कांग्रेस
कांग्रेस सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा कि देवस्थान बोर्ड में क्या कोई नॉन हिंदू शामिल हो सकता है। ये बिल सीधा-सीधा धार्मिक स्वतंत्रता पर हमला। ये मूलभूत अधिकारों पर हमला है। हम भारत की संस्कृति और धर्म को मानते हैं। हम हिंदू हैं। लेकिन उसी समय हम दूसरे धर्म को भी मानते हैं। यही बेसिक सिद्धांत है। ये बिल आप केवल महाराष्ट्र, हरियाणा चुनाव के लिए लाए हैं। पिछली बार देश की जनता ने आपको सबक सिखाया था। ये संघीय व्यवस्था पर हमला है। वक्फ संपत्ति पर अलग-अलग संस्थाओं के जरिए चलाया जाता है।
संविधान पर मौलिक हमला है- केसी वेणुगोपाल
कांग्रेस सांसद ने कहा कि यह विधेयक संविधान पर एक मौलिक हमला है। इस विधेयक के माध्यम से वे यह प्रावधान कर रहे हैं कि गैर-मुस्लिम भी वक्फ गवर्निंग काउंसिल के सदस्य होंगे। यह धर्म की स्वतंत्रता पर सीधा हमला है। इसके बाद ईसाइयों, फिर जैनियों का नंबर आएगा। भारत के लोग अब इस तरह की विभाजनकारी राजनीति को बर्दाश्त नहीं करेंगे।
गलत मोटिव से ये बिल लाए हैं, बोले केसी वेणुगोपाल
केसी वेणुगोपाल ने कहा कि आपका मूलभूत सिद्धांत समुदायों में तोड़फोड़ करना है। आप लोगों को परेशान करना चाहते हैं। हर बिल का मोटिव होता है लोगों की भलाई। ये दिल से आता है। अब गलत मोटिव से ये बिल लाए हैं, आप देश की जनता के बीच अलगाव लाना चाहते हैं। टीएमसी, समाजवादी पार्टी, डीएमके ने बिल पर सवाल उठाए हैं।
जेडीयू ने वक्फ संशोधन बिल का समर्थन किया
वहीं, लोकसभा में एनडीए की सहयोगी पार्टी जेडीयू ने वक्फ संशोधन बिल का समर्थन किया है। केंद्रीय मंत्री ललन सिंह ने चर्चा में हिस्सा लेते हुए कहा कि ये बिल मुस्लिम विरोधी नहीं है। उन्होंने कहा कि वक्फ संशोधन विधेयक मुस्लिम विरोधी नहीं बल्कि वक्फ में पारदर्शिता लाएगा।
जेडीयू सांसद ने कहा कि विपक्ष मंदिर की बात कर रहा है। इसमें मंदिर की बात कहां से आ गई। उन्होंने कहा कि कोई भी संस्था जब निरंकुश होगी तो सरकार उस पर अंकुश लगाने के लिए, पारदर्शिता के लिए कानून बनाएगी। ये सरकार का अधिकार है। पारदर्शिता होनी चाहिए और ये बिल पारदर्शिता के लिए है।
राज्य वक्फ बोर्डों की शक्तियों को कम करना उद्देश्य
इस विधेयक का मकसद राज्य वक्फ बोर्डों की शक्तियों, वक्फ संपत्तियों के पंजीकरण और सर्वेक्षण तथा अतिक्रमणों को हटाने से संबंधित मुद्दों को प्रभावी ढंग से निपटारा करना है।
किरन रिजिजू ने कहा.. सब कन्विंस हैं
सदन में इस बिल को लेकर बोलते हुए किरेन रिजिजू ने कहा कि मन ही मन में सब लोग इस बिल को अपना समर्थन दे रहे हैं. ये लोग राजनीति दबाव में समर्थन नहीं दे रहे हैं.मन ही मन कंविंस हैं.अंदर ही अंदर समर्थन दे रहे हैं,सबको पता है वक्फ के पास कितनी संपत्ति. भारत जैसे लोकतंत्र देश में ऐसी व्यवस्था चलनी चाहिए.ऐसा तरीका बनाया है कि सच्चाई सुननी पड़ेगी मेरी आवाज नहीं दबा सकते.संविधान से ऊपर कोई कानून नहीं हो सकता.गरीब महिला चाहे कोई भी हो, चाहे हिंदू हो या चाहे मुसलमान हो या फिर बौद्ध हो या फिर जैन, उनको न्याय दिलाना इस संसद की जिम्मेदारी है।
बिल में संसोधन करने से पहले हमनें हजारों लाखों लोगों से संपर्क किया है, उनकी राय ली है. 2014 से लेकर अब तक हमने जितने लोगों से इस कानून में संसोधन को लेकर संपर्क किया है वो शायद ही आज तक कभी हुआ हो.विपक्ष के सांसद कुछ चंद लोगों के आवाज को सदन में बुलंद कर रहे हैं. ये पूरे मुसलमान समुदाय का प्रतिनिधित्व नहीं करते हैं. विपक्ष ने इस बिल को लेकर सिर्फ भर्म फैलाया है. जो बाते कही गई हैं वह पूरी तरह से झूठ पर आधारित हैं।
केंद्र द्वारा इस बिल को पेश किए जाने का विपक्षी दलों ने विरोध किया और इसे एक समुदाय विशेष के खिलाफ बताया है. कांग्रेस के सांसद केसी वेणुगोपाल ने कहा कि इस बिल को लाकर केंद्र धर्म और आस्था पर हमला कर रही है. वहीं, एनसीपी (एसपी) की नेता सुप्रिया सुले ने भी इस बिल को वापस लेने की बात कही.
उन्होंने कहा कि इस बिल को पेश किए जाने से पहले विपक्षी दलों से बात तक नहीं की गई है. इस बिल में क्या कुछ है इसे हमें पढ़ने तक नहीं दिया गया है. विपक्षी दलों को बिल की कॉपी पहले ना दिए जाने के सवाल पर केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि ऐसा कहना पूरी तरह से गलत है. ये बेबुनियाद आरोप है।
“ये बिल उनके लिए है जिनको आज तक हक नहीं मिला है”
इस बिल को लेकर विपक्ष के आरोपों को देखते हुए केंद्रीय अल्पसंख्यक किरेन रिजिजू ने कहा कि मैं इस बिल से जुड़े हर कंफ्यूजन को दूर करूंगा. मैं पूरी जिम्मेदारी के साथ कहना चाहता हूं कि इस बिल को पेश करने में हमारी सरकार ने संविधान का किसी तरह से भी उल्लंघन नहीं किया है. हम इस बिल के सहारे किसी का हक छीनने नहीं जा रहे हैं बल्कि ये बिल इसलिए लाया जा रहा ताकि जिसको आज तक उनका हक नहीं मिल सका है उन्हें उनका हक मिल सके।
ये वक्फ बोर्ड संसोधन बिल सदन में कोई पहली बार पेश नहीं किया गया है. ये एक्ट 1954 में सबसे पहले इसे लाया गया है. इसके बाद कई बार इसमें संसोधन किया गया है. इस बिल के तहत जो संसोधन हम लाए हैं वो वक्फ बोर्ड बिल 1995 से जुड़ा है. 2013 में इसे बदला गया था इस वजह से हमें ये संसोधन करना पड़ रहा है. 1995 में किए गए संसोधन में जो भी प्रावधान लाया गया था उसे कई लोगों ने हर तरह से देखा. इसका पूरा अध्यन किया गया था. ये पाया गया था ये एक्ट जिस मकसद के लिए लाया गया था वो पूरा नहीं हो रहा था।
ये संसोधन एक तरीके से आप लोगों ने जो भी कदम उठाया है वो आप नहीं कर पाए और हम वही करने के लिए इस बिल को लेकर आ रहे हैं. मैं कहूंगा कि आप इस बिल का समर्थन कीजिए करोड़ों लोगों की दुआ मिलेगी. इस बिल का विरोध करने से पहले आप करोड़ों गरीब महिलाओं बच्चों और गरीब मुसलमानों का सोचिएगा।
इसके बाद अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने बिल को लेकर उठाए गए सभी मुद्दों का एक-एक कर के जवाब दिया. उन्होंने कहा,
“इस बिल में जो भी प्रावधान हैं, आर्टिकल 25 से लेकर 30 तक किसी रिलीजियस बॉडी का जो फ्रीडम है, उसमें हस्तक्षेप नहीं किया जा रहा है. न ही संविधान के किसी भी अनुच्छेद का इसमें उल्लंघन किया गया है. इस विधेयक से किसी भी धार्मिक संस्था की स्वतंत्रता में कोई हस्तक्षेप नहीं होगा.
किसी के अधिकार छीनने की बात तो भूल ही जाइए, यह विधेयक उन लोगों को अधिकार देने के लिए लाया गया है जिन्हें कभी अधिकार नहीं मिले. आज जो विधेयक लाया जा रहा है वह सच्चर समिति की रिपोर्ट (जिसमें सुधार की बात कही गई थी) पर आधारित है, जिसे कांग्रेस ने बनाया था. मुस्लिमों को सिर्फ गुमराह किया जा रहा है. विपक्ष सिर्फ चंद लोगों की आवाज उठा रहा है. देश में जितना भी वक्फ बोर्ड है, उस पर माफिया लोगों का कब्जा हो गया है. “
डीएमके सांसद कनिमोझी करुणानिधि ने कहा कि यह बिल एक समुदाय के खिलाफ है. यह संविधान के अनुच्छेद 14 का साफ तौर पर उल्लंघन करता है. यह सेक्युलर देश है. यहां बहुधर्मी, बहुभाषी लोगों का देश है. मैं इस बिल का विरोध करती हूं।
इस बिल को लेकर AIMIM के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि आप मुसलमानों के दुश्मन हैं, ये बिल इसी बात का सबूत है. आप इस बिल की मदद से मुझे प्रार्थना करने से भी रोक रहे हैं. वहीं, समाजवादी पार्टी के सांसद मोहिबुल्लाह ने कहा कि ये बिल मुसलमानों के साथ अन्याय करने जैसा है. हम बहुत बड़ी गलती करने जा रहे हैं, इस बिल का खामियाजा हमें सदियों तक भुगतना पड़ेगा.यह किसी धर्म में हस्तक्षेप करने जैसा है. कुरान या इस्लाम में क्या लिखा है, ये आप तय नहीं करेंगे।
इस बिल का डीएमके, टीएमसी, शरद पवार की एनसीपी जैसी पार्टियों ने भी विरोध किया है. ताजा अपडेट ये है कि सरकार ने बिल को संसद की जॉइंट कमेटी के पास भेजने की बात कही है।
ये बड़े बदलाव होंगे
एनडीए सरकार में कानूनों में बदलाव किए जाने और नए कानून लाए जाने पर विवाद आम हो चुका है. अब तीसरे कार्यकाल में भी सरकार की तरफ से लाया गया एक बिल विवादों में घिरा हुआ है. विपक्षी सांसदों के विरोध और संविधान पर हमले के गंभीर आरोपों के बाद इस बिल को संयुक्त संसदीय समिति (JPC) के पास भेज दिया गया. यानी तुरंत ये कानून का रूप नहीं ले रहा. अगर इन बदलावों को संसद और राष्ट्रपति से मंजूरी मिलती है तो नए कानून का नाम होगा – वक्फ (संशोधन) कानून, 2024.
सरकार का दावा है कि मुस्लिमों में गरीब तबकों के बीच लंबे समय से वक्फ कानून में बदलाव की मांग की जा रही थी. केंद्रीय संसदीय कार्य और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने हाल में द हिंदू अखबार को बताया था कि गरीब मुस्लिम महिलाओं और समूहों का दबाव है कि वक्फ की संपत्तियों का प्रबंधन पारदर्शी तरीके से हो. उन्होंने कहा था कि इन बदलावों के लिए अलग-अलग समूहों से पिछले कई सालों से बातचीत चल रही है।
इस्लामिक कानून के तहत वक्फ का मतलब उन चल या अचल संपत्तियों से होता है, जिसे धार्मिक या जनकल्याण के मकसद के लिए दान करता है. द हिंदू की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में अलग-अलग वक्फ बोर्ड के पास 8 लाख 70 हजार से ज्यादा संपत्तियां हैं. ये 9 लाख 40 हजार एकड़ में फैली हुई है. इन संपत्तियों की कीमत 1 लाख 20 हजार करोड़ रुपये है. संपत्तियों के लिहाज से सशस्त्र बल और भारतीय रेलवे के बाद वक्फ बोर्ड तीसरे नंबर है।
वक्फ की संपत्तियों के प्रबंधन के लिए आजादी के बाद ही वक्फ एक्ट बन गया था. पहली बार 1954 में ये कानून बना. इसके तहत, वक्फ बोर्ड का गठन हुआ और सारी वक्फ संपत्तियां बोर्ड के हिस्से आ गई. बाद में इसमें कई संशोधन होते रहे. साल 1995 में नया वक्फ कानून बना. इससे पहले 2013 में इस कानून में कई संशोधन हुए थे. अब इसी कानून में बड़े बदलाव की तैयारियां चल रही हैं, जिस पर विवाद हो रहा है. बताया जा रहा है कि इस कानून में कम से कम 40 बदलाव प्रस्तावित हैं.
बिल में बड़े बदलाव क्या हैं?
केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्यों के वक्फ बोर्ड में महिलाओं को शामिल करने का प्रावधान है. मौजूदा कानून की धारा-9 और 14 में बदलाव करके परिषद में दो महिलाओं को शामिल किया जाएगा।
इसके अलावा, वक्फ बोर्ड के मैनेजमेंट में दो गैर-मुस्लिम विशेषज्ञों को शामिल किए जाने का प्रावधान है।
नए बिल के मुताबिक, अब केंद्र सरकार वक्फ प्रॉपर्टी का ऑडिट भी करा सकती है. ऑडिटर की नियुक्ति नियंत्रक और महालेखा परीक्षक (CAG) या केंद्र सरकार की तरफ से सीधे होगी.
वक्फ बोर्ड को अपनी संपत्ति जिला मजिस्ट्रेट के ऑफिस में रजिस्टर करानी होगी. ताकि संपत्ति के मालिकाना हक की जांच हो सके. इसके पीछे भी सरकार ने पारदर्शिता का हवाला दिया है.
वक्फ ट्राइब्यूनल के फैसले को कोर्ट में चुनौती देने का प्रावधान है. पहले वक्फ ट्राइब्यूनल के फैसले को सिविल, राजस्व या अन्य अदालतों में चुनौती नहीं दी जा सकती थी. इसके अलावा अब
मौजूदा कानून की धारा-40 को खत्म करने का भी प्रावधान है. कोई संपत्ति वक्फ बोर्ड की संपत्ति होगी, इस धारा के तहत ही बोर्ड को ये शक्ति दी गई है।
वक्फ कानून, 1995 के तहत राज्य सरकार को राज्य की संपत्तियों के सर्वे के लिए सर्वे कमिश्नर नियुक्त करना जरूरी था. अब सर्वे कमिश्नर की जगह जिला कलेक्टर को इस पद के लिए नियुक्त किए जाने का प्रावधान है.
नए कानून के बनने से पहले या बाद में, अगर किसी सरकारी संपत्ति को वक्फ संपत्ति माना या घोषित किया गया है, तो अब वो वक्फ प्रॉपर्टी नहीं होगी. विवाद की स्थिति में जिला कलेक्टर मामले को देखेंगे.
अगर कलेक्टर किसी वक्फ संपत्ति को सरकारी संपत्ति मानता है तो उसे राजस्व रिकॉर्ड में जरूरी बदलाव करवाने होंगे और राज्य सरकार को एक रिपोर्ट सौंपनी होगी.
जब तक कलेक्टर अपनी रिपोर्ट नहीं सौंपते हैं तब तक उस प्रॉपर्टी को वक्फ प्रॉपर्टी नहीं माना जाएगा. यानी इस मुद्दे पर जब तक सरकार कोई फैसला नहीं ले लेती है, तब तक इस विवादित जमीन को वक्फ बोर्ड इसे नियंत्रित नहीं कर सकता है।
अब बिना कागजात के कोई संपत्ति वक्फ नहीं मानी जाएगी. उदाहरण के लिए, वक्फनामा नहीं होने पर अभी एक मस्जिद को वक्फ की संपत्ति मान ली जाती है. लेकिन नए बिल में वैध वक्फनामा नहीं होने पर वक्फ की संपत्ति संदेह के घेरे में आएगी।
संशोधन के जरिये केंद्र सरकार को शक्ति मिल गई है कि वो केंद्रीय वक्फ परिषद में किसी भी तीन सांसद (लोकसभा से दो, राज्यसभा से एक) को रख सकती है. जरूरी नहीं कि वे मुस्लिम हों. अब तक इस परिषद में तीन सांसद मुस्लिम समुदाय से ही होते थे।
बदलाव के तहत अब बोहरा और अगखानी समुदायों के लिए अलग वक्फ बोर्ड बनाने का प्रावधान है. और इसमें शिया, सुन्नी, बोहरा, अगखानी और मुस्लिम समुदाय में आने वाले पिछड़े वर्ग को प्रतिनिधित्व देने की बात कही गई है।
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