उत्तराखंड में ज़मीन की ख़रीद-फ़रोख्त पर जल्द लागू होगा कड़ा कानून, जानिये वजह..

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उत्तराखंड में खास तौर से पर्वतीय इलाकों में भूमि की बिक्री और खरीद को नियंत्रित करने के लिए हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर एक कड़ा कानून लागू होने की संभावना है. राज्य में भूमि कानूनों में संशोधन पर सुझावों के लिए पिछले साल गठित समिति के अगले 10 दिनों में अपनी सिफारिशें राज्य सरकार को सौंप सकती है.

पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर पर्वतीय इलाकों में भूमि की बिक्री और खरीद को नियंत्रित करने के लिए एक कड़ा कानून लागू होने की कवायद शुरू हो गयी है. सरकार ने इसके लिए एक समिति गठित की थी.

समिति के अध्यक्ष और राज्य के पूर्व मुख्य सचिव सुभाष कुमार ने कहा, ‘‘हमने सभी जिलाधिकारियों से उनके क्षेत्रों में भूमि की खरीद-फरोख्त के बारे में रिपोर्ट मांगी थी. कुछ रिपोर्ट आ चुकी हैं जबकि अन्य के भी एक-दो दिन में आने की संभावना है. उम्मीद है कि समिति राज्य सरकार को सप्ताह भर या 10 दिन में अपनी सिफारिशें सौंप देगी.’’ उन्होंने बताया कि इस मुद्दे पर राय व्यक्त करने वालों में से ज्यादातर हिमाचल प्रदेश की तर्ज पर ज्यादा कड़े कानून के पक्ष में हैं जिससे राज्य में खास तौर पर पर्वतीय क्षेत्रों में भूमि की खरीद-फरोख्त को नियंत्रित किया जा सके.

समिति के अध्यक्ष ने कही ये बात

समिति के अध्यक्ष ने कहा, ‘‘अभी जिलाधिकारियों की रिपोर्ट का अध्ययन होना और सिफारिशें तैयार करना बाकी है लेकिन हमारा मत यह है कि भूमि की बिक्री और खरीद बेतरतीब तरीके से नहीं होनी चाहिए.’’ उन्होंने कहा कि यह भी ध्यान रखना होगा कि बहुत ज्यादा नियंत्रण लगाने से राज्य में आने वाले निवेशक हतोत्साहित न हों और रोजगार सृजन के अवसर कम न हो जाएं.

जमीन को दुरुपयोग से बचाने के लिए उठाया गया कदम

पूर्व मुख्य सचिव ने बताया कि नारायणदत्त तिवारी के मुख्यमंत्री रहते हुए राज्य में भूमि खरीदने और बेचने पर कुछ प्रतिबंध लगाए गए थे लेकिन बाद की सरकारों के समय ये कम होते गये और 2018 में इन्हें बिल्कुल समाप्त कर दिया गया. समिति के सदस्य अजेंद्र अजय ने कहा कि जिलाधिकारियों से यह सूचना देने को कहा गया है कि किस उद्देश्य के लिए जमीन खरीदी गयी और उसका उपयोग कैसे किया गया.

उन्होंने कहा कि ऐसे दृष्टांत भी सामने आए हैं जहां जमीन मेडिकल कॉलेज बनाने के लिए खरीदी गयी लेकिन बाद में उस पर होटल बना दिया गया. पिछले साल मुख्यमंत्री को एक पत्र लिखकर राज्य के पर्वतीय इलाकों में जनसांख्यिकीय परिवर्तन की ओर ध्यान आकृष्ट करने वाले अजय ने कहा, ‘‘बाहर के गैर कृषकों ने बड़े पैमाने पर कृषि भूमि खरीदी हुई है. यह रुकना चाहिए.’’

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