उत्तराखंड कांग्रेस की खेमेबाजी तैयार करेगी विपक्ष का रोडमैप ? तीन ने छोड़ा हाथ तो हरक साध रहे निशाना..

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उत्तराखंड कांग्रेस के तीन सीनियर नेताओं ने सोमवार को इस्तीफा देते हुए दिल्ली में आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया. आप उत्तराखंड संयोजक जोत सिंह बिष्ट ने बताया कि उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता राजेन्द्र प्रसाद रतौरी, प्रदेश महिला कांग्रेस उपाध्यक्ष कमलेश रमन और सोशल मीडिया सलाहकार कुलदीप चौधरी ने दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की मौजूदगी में आम आदमी पार्टी ज्वाइन कर लिया.

जिसके बाद कांग्रेस के खेमे में हलचल शुरू हो गई है पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत के घर कांग्रेसियों की हुई बैठक में ये नतीजा निकला कि उत्तराखंड कांग्रेस के दिग्गज नेता अब जल्द ही राज्य में मज़बूत विपक्ष के तौर पर दिखेंगे और सरकार के खिलाफ सड़कों पर भी उतरेंगे. यह बात पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत और पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने सोमवार को एक मीटिंग के बाद कही. दरअसल, सोमवार सुबह से ही कांग्रेस के खेमे में भारी गहमागहमी रही. सुबह ही कांग्रेस से 45 साल जुड़े रहे आरपी रतूड़ी व अन्य नेताओं ने पार्टी से इस्तीफा दिया और दोपहर में आम आदमी पार्टी जॉइन कर ली. इसके बाद शाम को हरक सिंह के घर कई कांग्रेसी नेता बैठक करते दिखे.

हरक सिंह के घर पहुंचने वालों में प्रीतम सिंह गुट के कई नेता शामिल थे. उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी, गंगोत्री के पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण पूर्व विधायक राजकुमार आदि नेताओं की इस बैठक के बाद हरक ने कहा, अब उत्तराखंड में विपक्ष कमज़ोर दिख रहा है. ‘मैं जब नेता विपक्ष था, कांग्रेस सड़क से सदन तक लड़ती थी. इस वक्त प्रदेश में खालीपन दिख रहा है.’ इन नेताओं ने आपस में बातचीत कर एक बड़ी पहल या फैसला करने का इशारा दिया.

हरीश रावत और करन मेहरा पर निशाना!
असल में कांग्रेस ने पिछले दिनों युवा चेहरे करन मेहरा को प्रदेश अध्यक्ष बनाकर पार्टी के भीतर की गुटबाज़ी को खत्म करने के लिए एक बड़ा दांव खेलते हुए मेहरा से उम्मीद लगाई थी. दूसरी ओर, पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने पिछले दिनों यह बयान देकर सबके कान खड़े कर दिए थे कि 2027 का चुनाव उनका आखिरी चुनाव होगा. अब हरक सिंह ने इन दोनों नेताओं को निशाना बनाते हुए कहा, ‘अब हरीश रावत की उम्र काफी हो गई है और भले ही युवा को कमान दी गई हो, लेकिन कई बार नये नेता भी बड़े काम नहीं कर पाते.’

जी हां कांग्रेस में प्रदेश के भीतर पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत विरोधी मोर्चा फिर सक्रिय हो रहा है। पार्टी में लंबे समय से हाशिए पर चल रहे पूर्व मंत्री डा हरक सिंह रावत के आवास पर सोमवार को पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह, उपनेता प्रतिपक्ष भुवन कापड़ी के साथ पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की बैठक हुई।

इसमें भविष्य की रणनीति पर मंथन तो किया ही गया, हरीश रावत को भी सीधे तौर पर निशाने पर लिया गया। बैठक के बाद हरक सिंह रावत बोले कि हरीश रावत की राजनीति गंभीर नहीं है। कई बार वह ऐसे काम कर बैठते हैं कि नए-नवेले राजनीतिज्ञ भी न करें।

मीडिया से बातचीत में हरक सिंह रावत ने कहा कि प्रदेश में अब टोटकों की राजनीति नहीं चलने वाली। परोक्ष रूप से हरीश रावत पर जबानी हमले में उन्होंने कहा कि ऐसे टोटकों को जनता गंभीरता नहीं नहीं लेती। दरअसल हरीश रावत राजनीतिक सक्रियता बनाए रखने के लिए कुछ न कुछ करते रहते हैं।

उनके इसी अंदाज को हरक सिंह ने निशाने पर लिया। यही नहीं उन्होंने यह भी कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री रावत की आयु हो चुकी है। बड़ी उम्र और बड़े पदों पर रहने के बाद उन्हें बदलते समय के अनुसार बदलना चाहिए।

तैयार कर रहे भविष्य की रणनीति: प्रीतम

पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने कहा कि हरक सिंह वरिष्ठ नेता हैं। वर्तमान में लोकतंत्र पर प्रहार हो रहा है। सत्तापक्ष विपक्ष को कमजोर करने का हरसंभव प्रयास कर रहा है। कांग्रेस कार्यकर्त्ता निकट भविष्य में सड़कों पर उतरकर विरोध करेंगे। बैठक में पार्टी को मजबूत बनाने और आगे के रोडमैप पर मंथन किया गया।

भविष्य की रणनीति तैयार की जा रही है। प्रीतम सिंह ने अपने बयानों में हरीश रावत का नाम तो नहीं लिया, लेकिन भविष्य की रणनीति तैयार करने के उनके वक्तव्य को हरीश रावत विरोधी मोर्चे को सक्रिय करने के तौर पर लिया जा रहा है।

हरीश-प्रीतम में हो चुकी भिड़ंत

हरीश रावत और प्रीतम सिंह के बीच बीते दिनों वार-पलटवार हो चुका है। हरीश रावत हार का ठीकरा उन पर फोड़े जाने को लेकर प्रीतम सिंह और उनके करीबियों पर तीखे प्रहार कर चुके हैं। हरीश रावत के इसी तेवर के बाद अब कांग्रेस के भीतर उनका विरोधी खेमा सक्रिय होने लगा है।

हरक सिंह रावत के आवास पर हुई बैठक में पूर्व विधायक विजयपाल सजवाण व राजकुमार व महानगर कांग्रेस अध्यक्ष लालचंद शर्मा उपस्थित रहे।

प्रदेश के सियासी गलियारों में इन दिनों यह चर्चा आम है कि खेमेबाजी में जुटी बिखरी हुई कांग्रेस क्या मज़बूत विपक्ष की भूमिका भी निभा पाएगी ?

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