उत्तराखंड : दोस्त ही निकले कातिल पत्थर से कुचला चेहरा जंगल मे फेंका शव..ऐसे हुआ खुलासा..

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पुलिस ने तंदूर के कारीगर विजयपाल सिंह नेगी की मौत की गुत्थी सुलझा ली है। उसे दोस्तों ने ही शराब के नशे में झगड़े के बाद मार डाला। पुलिस ने आरोपियों को गिरफ्तार कर आगे की कार्रवाई शुरू कर दी है। आरोपियों की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या के लिए प्रयोग किया गया पत्थर भी बरामद कर लिया है।

23 नवंबर को खारास्रोत में ठेके के पास विजयपाल का शव मिला था। उसके सिर पर चोट के निशान थे। घटनास्थल पर पहुंची टीम ने मौके से दो शराब की बोतलें और पका हुआ मांस भी बरामद किया। मृतक के पास से मिले एक फोन नंबर के आधार पर पुलिस ने परिजनों से संपर्क किया। मृतक की पहचान विजयपाल सिंह नेगी पुत्र शूरवीर सिंह निवासी 14 बीघा, कैलाश गेट मुनिकीरेती के तौर पर

एसएसपी टिहरी गढ़वाल नवनीत सिंह भुल्लर ने बताया कि विजयपाल के भाई प्रेमपाल सिंह निवासी गांव चमियाला, घनसाली (टिहरी गढ़वाल) ने 25 नवंबर को थाने में हत्या की तहरीर दी थी। इसमें उसने बताया कि विजयपाल 19 नवंबर को शादी में तंदूर का काम करने ऋषिकेश आया था। इसके बाद वह घर नहीं लौटा।

एसएसपी ने बताया कि पुलिस ने मुखबिर की मदद ली और सीसीटीवी कैमरों की फुटेज खंगाले। मुखबिर ने बताया कि घटना के दिन विजयपाल के साथ एक व्यक्ति घूम रहा था। उसने उसके पास अपना बैग रखा था। अगले दिन व्यक्ति अपना बैग लेकर चला गया।

एसएसपी नवनीत सिंह भुल्लर के मुताबिक आरोपियों ने बताया कि तीनों की करीब एक महीने पहले ही दोस्ती हुई। अक्सर तीनों शराब पीने के लिए साथ बैठते थे। घटना के दिन भी तीनों ने खारास्रोत में साथ बैठकर शराब पी। मौके पर मीट बनाया और खाया। इसके बाद विजयपाल उनसे गाली-गलौज करने लगा।

आरोपियों ने आवेश में आकर विजयपाल के सिर पर पत्थर मार दिया और उसकी मौत हो गई। उन्होंने उसका चेहरा पत्थर से कुचल कर शव झाड़ियों में फेंक दिया। एसएसपी ने बताया कि आरोपियों को न्यायालय के समक्ष पेश करने की कार्यवाही चल रही है। एसएसपी नवनीत सिंह भुल्लर ने मुकदमा दर्ज होने के 24 घंटे में घटना के खुलासे पर मुनिकीरेती थाना प्रभारी रितेश शाह और पुलिस टीम के काम को सराहा। उन्होंने टीम में शामिल पुलिसकर्मियों के प्रोत्साहन स्वरूप पांच हजार रुपये देने की भी घोषणा की।

आरोपी भूपेंद्र ने पुलिस को बताया कि उसने प्रधान का चुनाव भी लड़ा था। इसमें वो अपने निकट प्रतिद्वंदी से 28 वोटों से हार गया था। इसके बाद वह मुनिकीरेती में आकर नौकरी करने लग गया।

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